आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
बोलने वाली लड़की – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कॉलेज के दिनों से दीपशिखा अपना नाम हमेशा अग्निशिखा बतलाती थी, क्योंकि उसे अग्नि की तरह प्रज्वलित रहना पसंद था ।बोलने में निडर ,वाचाल ।उसके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर कपिल ने दीपशिखा से विवाह किया किंतु शादी के बाद कपिल को दीपशिखा के यही गुण क्यों अच्छे नहीं लग रहे? क्या दीपशिखा भी अपने ससुराल में गुमसुम हो जाएगी? सुनिए बेहद भावपूर्ण कहानी बोलने वाली लड़की, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।
सेवा – ममता कालिया – शैफाली कपूर
पुरुषोत्तम सहाय की पत्नी करीब 15 दिनों से अस्पताल में कोमा की स्थिति में पड़ी है। पुरुषोत्तम सहाय अकेले ही अपनी पत्नी की सेवा कर रहे हैं। कहने को पुरुषोत्तम सहाय की दो शादी-शुदा बेटियां, पुत्र, पुत्र-वधू ,पोता सभी है पर ऐसी स्थिति में अपनी उस मां के लिए जिसने ता-उम्र अपने पति और बच्चे की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया ,आज वही बच्चे क्या अस्पताल में जाकर मां की सेवा करना चाह भी रहें हैं या फिर मात्र औपचारिकता (formality) निभा रहे हैं ?ऐसी स्थिति में पुरुषोत्तम सहाय अपने बच्चों से क्या उम्मीद कर रहा है। पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी सेवा ,शेफाली कपूर की आवाज़ में
एकाक्षर – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में संकल्प खन्ना और खुर्शीद पति-पत्नी है। संकल्प खन्ना की आयु करीब साठ वर्ष की है ,जो पेशे से एक प्रोफेसर है। उनका दांपत्य जीवन ठीक-ठाक चल रहा होता है। लेकिन जब से संकल्प खन्ना की रूचि सोशल -मीडिया, फेसबुक व्हाट्सएप पर बढ़ने लगी है, खुर्शीद को संकल्प खन्ना के व्यवहार में परिवर्तन महसूस होने लगा है ।ऐसी क्या वजह हो सकती है कि संकल्प खन्ना को अपनी वास्तविक दुनिया से काल्पनिक दुनिया में रहना ज्यादा पसंद आने लगा है? क्या संकल्प खन्ना के जीवन में खुर्शीद के अलावा किसी और ने जगह बना ली है ?या फिर ऐसा भी हो सकता है कि खुर्शीद बेवज़ह ऐसा- वैसा सोच रही है। कुछ भी हो सकता है। पूरी कहानी जानने के लिए सुने ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी एकाक्षर -प्रेम ,जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
सेवा – ममता कालिया – शैफाली कपूर
पुरुषोत्तम सहाय की पत्नी करीब 15 दिनों से अस्पताल में कोमा की स्थिति में पड़ी है। पुरुषोत्तम सहाय अकेले ही अपनी पत्नी की सेवा कर रहे हैं। कहने को पुरुषोत्तम सहाय की दो शादी-शुदा बेटियां, पुत्र, पुत्र-वधू ,पोता सभी है पर ऐसी स्थिति में अपनी उस मां के लिए जिसने ता-उम्र अपने पति और बच्चे की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया ,आज वही बच्चे क्या अस्पताल में जाकर मां की सेवा करना चाह भी रहें हैं या फिर मात्र औपचारिकता (formality) निभा रहे हैं ?ऐसी स्थिति में पुरुषोत्तम सहाय अपने बच्चों से क्या उम्मीद कर रहा है। पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी सेवा ,शेफाली कपूर की आवाज़ में
अभिमान – आर्या झा – शेफ़ाली कपूर
माधवी बचपन से बेहद मेधावी छात्रा रही है, क्लास की टॉपर। इस बात का उसे अपने ऊपर कहीं न कहीं अभिमान भी है किन्तु एक अति साधारण लड़का आनंद जब उससे आगे निकल जाता है तब माधुरी विचलित हो जाती है ।समय बीतता जाता है ग्रेजुएशन के करीब 9 साल के बाद माधवी और आनंद की पुनः आज मुलाकात हो रही है ।आनंद एक सफ़ल डॉक्टर बन चुका है और माधवी अपने पिता का बिज़नेस संभाल रही है ।क्या यह मुलाकात माधवी के अभिमान को फिर से चकनाचूर कर देगा? आनंद और माधवी किस तरह एक-दूसरे का सामना करेंगे? क्या होगा आगे कहानी में? जानने के लिए सुने आर्या झा के द्वारा लिखी गई कहानी अभिमान, शेफ़ाली कपूर की आवाज़ मे…
दर्पण – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कितने ही वर्तमान के अरमानों को कुचल कर ,इंसान भविष्य की इमारत बनाने की इच्छा तो रखता है किंतु क्या यह सच नहीं है कि जब भविष्य में जब उन इच्छाओं के पूरा होने का क्षण आता है तब तक उस इच्छा का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। ऐसा ही कुछ हो रहा है नायिका बानी के साथ। बानी जब तक मां-बाप के साथ थी तो उनके कड़े अनुशासन के कारण अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं का दमन करना पड़ता था ।आज जब बानी शादीशुदा है तो पति के नियमों के चलते उसे फिर अपनी इच्छाओं पर मौन का चोला पहनाना पड़ रहा है। इतने वर्षों के बाद जब उसकी छोटी-छोटी इच्छाओं का सम्मान किया जा रहा है तो वह क्यों उत्साह विहीन हो चुकी है ?बेहद भावुक कर देने वाली ममता कालिया की कहानी है दर्पण, जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
बोलने वाली लड़की – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कॉलेज के दिनों से दीपशिखा अपना नाम हमेशा अग्निशिखा बतलाती थी, क्योंकि उसे अग्नि की तरह प्रज्वलित रहना पसंद था ।बोलने में निडर ,वाचाल ।उसके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर कपिल ने दीपशिखा से विवाह किया किंतु शादी के बाद कपिल को दीपशिखा के यही गुण क्यों अच्छे नहीं लग रहे? क्या दीपशिखा भी अपने ससुराल में गुमसुम हो जाएगी? सुनिए बेहद भावपूर्ण कहानी बोलने वाली लड़की, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
द्रौपदी स्वाभिमानिनी है। वह अपमान सहन नहीं कर सकती। वह अपना अपमान नारी जाति का अपमान समझती है। वह नारी के स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने वाली किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर सकती। वह अन्यायी और अधर्मी पुरुषों से संघर्ष करने वाली है। जानते हैं कैसे ?द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के द्वारा लिखी गई सत्य की जीत ( भाग – 2),नयनी दीक्षित की आवाज़ में
बाल मनो विज्ञानं को दर्शाती हुई मेरी ये कहानी ‘ पहली चोरी ‘ है।
Reviews for: Aapki Choti Beti (Part -1)