
Valentine's day Special
प्यार करने वालों के लिए यह Valentine week किसी प्यार के त्यौहार से कम नहीं होता ।अपने -अपने तरीके से प्रेमी अपने प्रेम का इज़हार कर ही देते हैं ।गाथा भी आपके लिए लाया है इन प्यार की ख़ास दिनों के लिए कुछ love and Romance से भरी कहानियां ,कविताएं और शायरियां …सुनते रहिए गाथा..
Valentine's day Special
Let Us Grow Together ( लेट अस ग्रो टुगेदर)
Let Us Grow Together ( लेट अस ग्रो टुगेदर)

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Let Us Grow Together ( लेट अस ग्रो टुगेदर)
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Narrator
नयी नयी शादी के बाद कैसे हम हर वक़्त साथ रहना चाहते है। लगता है एक पल भी दूर रहने का मतलब है प्यार कम हो रहा है। पर कैसे वक़्त के साथ ये प्यारा सा रिश्ता भी परिपक्व होता है। वैवाहिक जीवन के पलो को बेहद खूबसूरती और सजीवता से प्रस्तुत करती है ये कहानी “ लेट उस ग्रो टुगेदर”
Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )
Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )

Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )
Writer
Pyar tumhara sach lagta hai (प्यार तुम्हारा सच लगता है)
Pyar tumhara sach lagta hai (प्यार तुम्हारा सच लगता है)

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Pyar tumhara sach lagta hai (प्यार तुम्हारा सच लगता है)
Writer
Narrator
जब कोई व्यक्ति प्रेम में होता है ,तो वास्तव में उसके अलावा हर एक बात मिथ्या लगती है | इसी अहसास को दर्शाता यह मधुर गीत भावना तिवारी जी की आवाज में
Chocolate aur lal gulab(चॉकलेट और लाल गुलाब)
Chocolate aur lal gulab(चॉकलेट और लाल गुलाब)

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Chocolate aur lal gulab(चॉकलेट और लाल गुलाब)
Writer
Narrator
प्रेम के वास्तविक स्वरूप को समझाती हुई यह कहानी प्रतिमा और सचिन की है |सचिन स्वभाव से सौम्य है किंतु रोमानी प्रवृत्ति का नहीं है प्रतिमा अक्सर इस बात को लेकर अब अवसाद में रहती है किंतु वह कौन सा प्रसंग था जिससे प्रतिमा को प्रेम के वास्तविक स्वरूप का एहसास होता है | जानने के लिए सुनते हैं आशीष कुमार त्रिवेदी जी के द्वारा लिखी गई कहानी चॉकलेट और लाल गुलाब, अमित तिवारी जी की आवाज में
कब हाथ में तेरा
कब हाथ में तेरा

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कब हाथ में तेरा
Narrator
शायर ने उस इश्क का जिक्र किया है जो किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी टूटता नहीं है और हमेशा वैसे का वैसा ही बना रहता है |इश्क (प्रेम )हार- जीत से बहुत ऊपर होता है, शायर का मानना है कि इसमें सिर्फ जीता जा सकता है, हारने का तो सवाल ही नहीं होता…
Tera naam mera naam (तेरा नाम मेरा नाम)
Tera naam mera naam (तेरा नाम मेरा नाम)

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Tera naam mera naam (तेरा नाम मेरा नाम)
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Narrator
कितना सुकून देता है प्यार का एहसाह, और अपने प्यार के पास रहने से कितनी मिलती है ताकत, इस कविता में बखूबी बताया गया है।
Digvalya
Digvalya

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Digvalya
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Narrator
दिग्वलय – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
प्रेम की अलग-अलग अनुभूति होती है प्रेम मीरा और कृष्ण के मध्य भी था कहानी कुछ इसी तरह के भावों को आधुनिक समीकरण के रूप में ढाल दिया गया है कहानी का नायक अभिनव एक शादीशुदा युवक है जिसकी मित्रता अनीता के साथ हो जाती है ।उनकी मित्रता में एक अजीब सी आत्मीयता और लगाव है किंतु जैसे-जैसे अभिनव को सामाजिक मान मर्यादा की तरफ ध्यान आकर्षित होता है उसके अंदर अजीब सी बेचैनी उत्पन्न हो जाती है ।अभिनव की यह बेचैनी उसे किस हद तक ले जाएगी? जानेंगे अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी दो नावों में सवार, शिवानी आनंद की आवाज़ में..
Ek tanha sa mai tha
Ek tanha sa mai tha

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Ek tanha sa mai tha
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एक तन्हा सा मै था – Arvind saxena – Priya bhatia
मैं हूँ, दिल है, तन्हाई है तुम भी होते अच्छा होता|
Dhue ke challe
Dhue ke challe

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Dhue ke challe
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Narrator
धुंए के छल्ले – Arvind saxena – Priya bhatia
जो तूने_दिया उसे हम याद करेंगे, हर पल तेरे मिलने की #फ़रियाद करेंगे, चले_आना जब कभी ख्याल आये मेरा, हम रोज़ खुदा से पहले “तुझे” याद करेंगे।
Tum ho ya chand
Tum ho ya chand

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Tum ho ya chand
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Narrator
तुम हो या चाँद – Arvind saxena – Priya bhatia
कल मिरे मेहबूब क्या आ गए छत पर, जला चाँद तमाम रात चमक चमक कर।
Mai kaisi lagti hu
Mai kaisi lagti hu

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Mai kaisi lagti hu
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Narrator
मैं कैसी लगती हूँ – Arvind saxena – Priya bhatia
“मुझको मालूम नहीं… हुस़्न की तारीफ, मेरी नज़रों में हसीन ‘वो’ है, जो तुम जैसा हो..”
Bhun ke apne dil ko
Bhun ke apne dil ko

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Bhun ke apne dil ko
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भून के अपने दिल को – Arvind saxena – Priya bhatia
तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल.. जिनके चाहने वाले ज्यादा हो.. वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं….
Tum muje kabhi bhula na paoge
Tum muje kabhi bhula na paoge

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Tum muje kabhi bhula na paoge
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Narrator
तुम मुझे कभी भुला न पाओगे – Arvind saxena – Priya bhatia
हमरी किस्मत में तो सिर्फ यादें हैं तुम्हारी, जिसके नसीब में तू है उसे ज़िन्दगी मुबारक।
kai dino tak
kai dino tak

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kai dino tak
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कई दिनों तक – Arvind saxena – Priya bhatia
एक ऐसा एहसास जब सारी बातें, सारे लोग ब़ेगाने से लगने लगे,जो कभी हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा हुआ करते थे। ऐसा कब होता है ?और यह एहसास कब जन्म लेता है ?खूबसूरत शब्दों में पिरोया हुआ यह एहसास अरविंद सक्सेना की कविता कई दिनों से में सुनते हैं प्रिया की आवाज़ में..