
रामायण के प्रमुख नारी पात्रों की गौरव गाथाएं
रामायण के प्रमुख नारी पात्रों की गौरव गाथाएं
मंदोदरी : शक्ति और समर्पण की प्रतिमा”
मंदोदरी : शक्ति और समर्पण की प्रतिमा”

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मंदोदरी : शक्ति और समर्पण की प्रतिमा”
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रामायण में मंदोदरी का पात्र एक ऐसी नारी के व्यक्तित्व को दर्शाता है जो विवेक और समर्पण के की प्रतिमूर्ति थी। जिसने अपने अहंकारी पति रावण के कल्याण हेतु अथक प्रयास किया ।पुत्र की मृत्यु के बाद भी वह समर्पित पत्नी और पटरानी होने का दायित्व निभाती रही ।लंका के कल्याण हेतु रावण वध के बाद विभीषण से जिसने विवाह किया।
शबरी: साधना की अनवरत प्रेरणा
शबरी: साधना की अनवरत प्रेरणा

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शबरी: साधना की अनवरत प्रेरणा
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शबरी की कथा धर्म और भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी निष्ठा, सादगी और भक्ति में दृढ़ता ने उन्हें भगवान् श्री राम के दर्शन का अद्वितीय आनंद प्राप्त कराया। शबरी ने अपने जीवन के प्रत्येक पल में भगवान् की सेवा की, उनके आगमन का इंतज़ार किया, और उनको पूरी श्रद्धा और प्रेम से स्वागत किया
रानी तारा: धैर्य, बुद्धिमत्ता और राजनीतिक नायिका
रानी तारा: धैर्य, बुद्धिमत्ता और राजनीतिक नायिका

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रानी तारा: धैर्य, बुद्धिमत्ता और राजनीतिक नायिका
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बालि की पत्नी तारा, रामायण में एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व है। किष्किंधा नगर की सम्राज्ञी तारा सुंदर थीं, लेकिन उनके साथ वाकचातुर्य और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। इसलिए वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें रामायण में सभी स्त्रियों में सर्वाधिक महत्व दिया है।वानर समाज में पुरुषों की प्रमुखता थी। स्त्रियाँ केवल भोग्य वस्त्र थीं। सुग्रीव की कनिष्ठ पत्नी का दर्जा उसने स्वीकार करने की शुरुआत की। तारा की कितनी ही मानसिक पीड़ा हो, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन वे अपने पुत्र के भविष्य और वानर समुदाय के हित के लिए सभी पीड़ा को खुशी से सहन किया। रामायण में तारा जैसी उत्कृष्ट स्त्री कोई और नहीं है|
अहिल्या: धर्म, प्रेम और मुक्ति की कहानी
अहिल्या: धर्म, प्रेम और मुक्ति की कहानी

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अहिल्या: धर्म, प्रेम और मुक्ति की कहानी
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अहिल्या, महर्षि गौतम की पत्नी हैं। अनेक हिन्दू शास्त्रों में उनकी कथा का वर्णन है, जिसमें देवराज इंद्र द्वारा उनके साथ किए गए छल, उनके पति द्वारा उनकी निष्कामता के लिए श्राप, और उनके श्राप से मुक्ति की वर्णन है जो भगवान राम द्वारा होती है।
मांडवी और उर्मिला :त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति
मांडवी और उर्मिला :त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति

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मांडवी और उर्मिला :त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति
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मांडवी और उर्मिला का यह अद्भुत त्याग और समर्पण सीता के समान महान था, जो उन्होंने अपने पतियों और परिवार के प्रति दिखाया।
महारानियाँ और मातृत्व: कौशल्या और कैकेयी की गाथा
महारानियाँ और मातृत्व: कौशल्या और कैकेयी की गाथा

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महारानियाँ और मातृत्व: कौशल्या और कैकेयी की गाथा
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कौशल्या दक्षिण राज्य कौशल के राजा सुकौशल और रानी अमृत प्रभा की पुत्री थी। वह राजा दशरथ की प्रथम पत्नी थी और प्रभु श्री राम की मां। उन्होंने एक पुत्री को जन्म दिया था, जिसका नाम था शांता। शिकार के दौरान राजा दशरथ को मिली कैकेयी, जो उनकी दूसरी पत्नी थी और भरत की मां। कैकेयी युद्ध कला में पारंगत थीं और श्री राम के लिए अत्यंत प्रिय थीं। उन्होंने भरत को राजगद्दी प्राप्त करवाने के लिए श्री राम को 14 वर्ष का वनवास दिलवाया। द्वापर युग में, कैकेयी ने देवकी के रूप में पुनर्जन्म लिया।
माता सीता : शक्ति,संघर्ष, प्रेम ,समर्पण का पर्याय
माता सीता : शक्ति,संघर्ष, प्रेम ,समर्पण का पर्याय

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माता सीता : शक्ति,संघर्ष, प्रेम ,समर्पण का पर्याय
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माता सीता समस्त नारी जाति के लिए अभिमान और प्रेरणा स्रोत हैं। एक स्त्री के सभी शक्ति रूप जिनमें समाहित है। एक पतिव्रता स्त्री होने के साथ-साथ एक ओजस्विनी नारी का पर्याय भी है ।रावण जैसे त्रिलोक विजेता के समक्ष निर्भीकता से रहना अपने आप में एक अद्वितीय है। सीता के जन्म से लेकर उनके संघर्ष, प्रेम समर्पण की पूरी कथा सुनिए गाथा पर