शबरी की कथा धर्म और भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी निष्ठा, सादगी और भक्ति में दृढ़ता ने उन्हें भगवान् श्री राम के दर्शन का अद्वितीय आनंद प्राप्त कराया। शबरी ने अपने जीवन के प्रत्येक पल में भगवान् की सेवा की, उनके आगमन का इंतज़ार किया, और उनको पूरी श्रद्धा और प्रेम से स्वागत किया
रामायण, भारतीय साहित्य की अनुपम कृति, जिसमें नारी शक्ति के अद्वितीय आयामों का गहराई से चित्रण किया गया है, इस नवरात्रि “रामायण की 9 महान नारी शक्तियाँ”- नौ असाधारण महिला पात्रों की कहानियों के माध्यम से, नारी शक्ति की अनेक स्वरूपों को प्रस्तुत करती है।अनुपम रमेश किंगर की सुमधुर आवाज़ में इन कहानियों को सुनना न केवल आपको भावविभोर कर देगा बल्कि आपको नारी शक्ति की अदम्य गाथा के प्रत्येक पहलू से रूबरू भी कराएगा। यह सिर्फ़ और सिर्फ़ “गाथा” पर उपलब्ध है
मांडवी और उर्मिला का यह अद्भुत त्याग और समर्पण सीता के समान महान था, जो उन्होंने अपने पतियों और परिवार के प्रति दिखाया।
माता सीता समस्त नारी जाति के लिए अभिमान और प्रेरणा स्रोत हैं। एक स्त्री के सभी शक्ति रूप जिनमें समाहित है। एक पतिव्रता स्त्री होने के साथ-साथ एक ओजस्विनी नारी का पर्याय भी है ।रावण जैसे त्रिलोक विजेता के समक्ष निर्भीकता से रहना अपने आप में एक अद्वितीय है। सीता के जन्म से लेकर उनके संघर्ष, प्रेम समर्पण की पूरी कथा सुनिए गाथा पर
बालि की पत्नी तारा, रामायण में एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व है। किष्किंधा नगर की सम्राज्ञी तारा सुंदर थीं, लेकिन उनके साथ वाकचातुर्य और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। इसलिए वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें रामायण में सभी स्त्रियों में सर्वाधिक महत्व दिया है।वानर समाज में पुरुषों की प्रमुखता थी। स्त्रियाँ केवल भोग्य वस्त्र थीं। सुग्रीव की कनिष्ठ पत्नी का दर्जा उसने स्वीकार करने की शुरुआत की। तारा की कितनी ही मानसिक पीड़ा हो, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन वे अपने पुत्र के भविष्य और वानर समुदाय के हित के लिए सभी पीड़ा को खुशी से सहन किया। रामायण में तारा जैसी उत्कृष्ट स्त्री कोई और नहीं है|
Maa Skandamata
नवरात्रि के पंचम दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा लिए शुभ्र वर्ण का होता है। वात्सल्य की मूर्ति हैं स्कंद माता। मान्यता अनुसार संतान प्राप्ति हेतु मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है।
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।
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