बालि की पत्नी तारा, रामायण में एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व है। किष्किंधा नगर की सम्राज्ञी तारा सुंदर थीं, लेकिन उनके साथ वाकचातुर्य और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। इसलिए वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें रामायण में सभी स्त्रियों में सर्वाधिक महत्व दिया है।वानर समाज में पुरुषों की प्रमुखता थी। स्त्रियाँ केवल भोग्य वस्त्र थीं। सुग्रीव की कनिष्ठ पत्नी का दर्जा उसने स्वीकार करने की शुरुआत की। तारा की कितनी ही मानसिक पीड़ा हो, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन वे अपने पुत्र के भविष्य और वानर समुदाय के हित के लिए सभी पीड़ा को खुशी से सहन किया। रामायण में तारा जैसी उत्कृष्ट स्त्री कोई और नहीं है|
अहिल्या, महर्षि गौतम की पत्नी हैं। अनेक हिन्दू शास्त्रों में उनकी कथा का वर्णन है, जिसमें देवराज इंद्र द्वारा उनके साथ किए गए छल, उनके पति द्वारा उनकी निष्कामता के लिए श्राप, और उनके श्राप से मुक्ति की वर्णन है जो भगवान राम द्वारा होती है।
कौशल्या दक्षिण राज्य कौशल के राजा सुकौशल और रानी अमृत प्रभा की पुत्री थी। वह राजा दशरथ की प्रथम पत्नी थी और प्रभु श्री राम की मां। उन्होंने एक पुत्री को जन्म दिया था, जिसका नाम था शांता। शिकार के दौरान राजा दशरथ को मिली कैकेयी, जो उनकी दूसरी पत्नी थी और भरत की मां। कैकेयी युद्ध कला में पारंगत थीं और श्री राम के लिए अत्यंत प्रिय थीं। उन्होंने भरत को राजगद्दी प्राप्त करवाने के लिए श्री राम को 14 वर्ष का वनवास दिलवाया। द्वापर युग में, कैकेयी ने देवकी के रूप में पुनर्जन्म लिया।
Maa Katyayani
नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। मां दुर्गा की छठवीं शक्ति कात्यायनी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।
कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।
मांडवी और उर्मिला का यह अद्भुत त्याग और समर्पण सीता के समान महान था, जो उन्होंने अपने पतियों और परिवार के प्रति दिखाया।
बालि की पत्नी तारा, रामायण में एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व है। किष्किंधा नगर की सम्राज्ञी तारा सुंदर थीं, लेकिन उनके साथ वाकचातुर्य और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। इसलिए वाल्मीकि ऋषि ने उन्हें रामायण में सभी स्त्रियों में सर्वाधिक महत्व दिया है।वानर समाज में पुरुषों की प्रमुखता थी। स्त्रियाँ केवल भोग्य वस्त्र थीं। सुग्रीव की कनिष्ठ पत्नी का दर्जा उसने स्वीकार करने की शुरुआत की। तारा की कितनी ही मानसिक पीड़ा हो, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन वे अपने पुत्र के भविष्य और वानर समुदाय के हित के लिए सभी पीड़ा को खुशी से सहन किया। रामायण में तारा जैसी उत्कृष्ट स्त्री कोई और नहीं है|
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