Classics
Sayani bua ( सयानी बुआ )
Sayani bua ( सयानी बुआ )
Sayani bua ( सयानी बुआ )
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सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
Ek Raat (एक रात)
Ek Raat (एक रात)
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Ek Raat (एक रात)
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यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो अपनी महत्वकांक्षाओ के चलते अपने बचपन की सहचरी सुरबाला से विवाह के लिए इंकार कर देता है और जब जीवन के यथार्थ पर उतरकर देखता है तो उसे एहसास होता है कि उसने सिर्फ सुरबाला ही नहीं बल्कि सब कुछ खो दिया।
Anmol Bhent ( अनमोल भेंट)
Anmol Bhent ( अनमोल भेंट)
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Anmol Bhent ( अनमोल भेंट)
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रायचरण जो कि अनुकूल बाबू के यहां नौकर है बड़े ही चाव और अपनेपन से उनके छोटे बच्चे को संभालता है। एक दिन बच्चा ज़िद करके उसे फूल तोड़ने को भेज स्वयं नदी में चला जाता है और फिर कभी वापस नहीं आता। रायचरण जिसे नौकरी से निकाल दिया गया है अपने बच्चे को अपने मालिक के बच्चे की तरह पाल कर उन्हें उसे भेंट कर देता है।
kanchan ( कंचन)
kanchan ( कंचन)
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kanchan ( कंचन)
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नवीन का कंचन से प्रेम करना किंतु कह ना पाना इस कहानी को प्रेम के शिखर पर ले जाता है।
Padosin (पड़ोसिन )
Padosin (पड़ोसिन )
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Padosin (पड़ोसिन )
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यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपनी बाल विधवा पड़ोसन से प्रेम तो करता है किंतु समाज और अन्य भय से कह नहीं पाता। वहीं उसका एक मित्र जो कि उसी से कविताएं सीखने आता है, उसी की लिखी कविताएं सुनाकर उसकी पड़ोसन से प्रेम विवाह कर लेता है।
Ghar Waapsi (घर वापसी )
Ghar Waapsi (घर वापसी )
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Ghar Waapsi (घर वापसी )
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“पाठक चक्रवर्ती – मुहल्ले का नायक, अपने छोटे-से साम्राज्य का बादशाह। मगर जब वही नायक अपने घर से दूर, नए शहर और अनजान रिश्तों के बीच घुटने लगता है, तो क्या होता है उसके ‘अहम’ का, उसके मासूम बचपन का? क्या ‘घर वापसी’ केवल शरीर की होती है या आत्मा की भी?”
रवींद्रनाथ ठाकुर की यह मार्मिक कहानी एक बच्चे की मानसिक यात्रा, परिवार से जुड़ाव, और अहंकार से आत्मबोध की कथा है।
बचपन के खेलों से शुरू होकर, एक अनजाने शहर में तिरस्कार, मां की याद, और बीमारी के सन्नाटे तक पहुंचती यह कहानी —
हर उस दिल को छूती है, जिसने कभी घर की गर्माहट खोई हो।
“क्या घर लौटने के लिए सिर्फ रास्ता काफी होता है? या एक लंबी पीड़ा भी ज़रूरी है?”
सुनिए रवींद्रनाथ ठाकुर की संवेदनशील और आत्मा को छू लेने वाली कहानी — ‘घर वापसी’, सिर्फ गाथा पर।
Vida (विदा) – Part 3
Vida (विदा) – Part 3
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Vida (विदा) – Part 3
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विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें बंधकर हर लड़की को अपने प्रियजनों से विदा लेनी पड़ती है। हेम भी इसी बंधन में बंध कर अपने पिता से दूर अपने ससुराल चली आई थी किंतु तब ये किसने जाना था कि यह विदा एक दिन अनंत कालीन विदा बन जाएगी|
Vida (विदा) – Part 2
Vida (विदा) – Part 2
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Vida (विदा) – Part 2
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विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें बंधकर हर लड़की को अपने प्रियजनों से विदा लेनी पड़ती है। हेम भी इसी बंधन में बंध कर अपने पिता से दूर अपने ससुराल चली आई थी किंतु तब ये किसने जाना था कि यह विदा एक दिन अनंत कालीन विदा बन जाएगी।
Vida (विदा) – Part 1
Vida (विदा) – Part 1
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Vida (विदा) – Part 1
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विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें बंधकर हर लड़की को अपने प्रियजनों से विदा लेनी पड़ती है। हेम भी इसी बंधन में बंध कर अपने पिता से दूर अपने ससुराल चली आई थी किंतु तब ये किसने जाना था कि यह विदा एक दिन अनंत कालीन विदा बन जाएगी।
Dhan ki bhent ( धन की भेंट) – Part 2
Dhan ki bhent ( धन की भेंट) – Part 2
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Dhan ki bhent ( धन की भेंट) – Part 2
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यह कहानी जगन्नाथ नाम के एक बेहद कंजूस बूढ़े व्यक्ति की है जिसने थोड़ा सा धन बचाने के लिए अपनी बीवी और बहु का उचित इलाज नहीं करवाया, परिणाम स्वरूप उनकी मृत्यु के बाद उसका बेटा भी उसके पोते गोकुल को लेकर घर से पलायन कर जाता है। अपने कंजूस स्वभाव से ग्रस्त जगन्नाथ अपने पोते गोकुल की मृत्यु का कारण बनता है तथा पागल हो स्वयं भी प्राण त्याग देता है।
Dhan ki bhent ( धन की भेंट) – Part 1
Dhan ki bhent ( धन की भेंट) – Part 1
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Dhan ki bhent ( धन की भेंट) – Part 1
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यह कहानी जगन्नाथ नाम के एक बेहद कंजूस बूढ़े व्यक्ति की है जिसने थोड़ा सा धन बचाने के लिए अपनी बीवी और बहु का उचित इलाज नहीं करवाया, परिणाम स्वरूप उनकी मृत्यु के बाद उसका बेटा भी उसके पोते गोकुल को लेकर घर से पलायन कर जाता है। अपने कंजूस स्वभाव से ग्रस्त जगन्नाथ अपने पोते गोकुल की मृत्यु का कारण बनता है तथा पागल हो स्वयं भी प्राण त्याग देता है।
Bhai Bhai (भाई-भाई) – Part 2
Bhai Bhai (भाई-भाई) – Part 2
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Bhai Bhai (भाई-भाई) – Part 2
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Genre
दो भाईयों की ऐसी कहानी जो अपनी पत्नियों के रोज़ रोज़ के झगड़े से आहत हैं। एक दिन खाना मांगने पर न मिलने से क्रुद्ध हो एक भाई अपनी पत्नी के सर पर प्रहार करता है जिससे कि उसकी मृत्यु हो जाती है लेकिन दूसरा भाई सबके सामने बताता है कि खून भाई ने नहीं बल्कि उसकी पत्नी ने किया है क्योंकि उसका मानना है कि पत्नी तो उसे और मिल जाएगी लेकिन भाई तो दूसरा नहीं मिल सकता।
Bhai Bhai (भाई-भाई ) – Part 1
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Bhai Bhai (भाई-भाई ) – Part 1
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दो भाईयों की ऐसी कहानी जो अपनी पत्नियों के रोज़ रोज़ के झगड़े से आहत हैं। एक दिन खाना मांगने पर न मिलने से क्रुद्ध हो एक भाई अपनी पत्नी के सर पर प्रहार करता है जिससे कि उसकी मृत्यु हो जाती है लेकिन दूसरा भाई सबके सामने बताता है कि खून भाई ने नहीं बल्कि उसकी पत्नी ने किया है क्योंकि उसका मानना है कि पत्नी तो उसे और मिल जाएगी लेकिन भाई तो दूसरा नहीं मिल सकता।
Avgunthan ( अवगुंठन) – Part-2
Avgunthan ( अवगुंठन) – Part-2
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Avgunthan ( अवगुंठन) – Part-2
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महामाया और राजीव लोचन बचपन के साथी हैं। राजीव महामाया से प्रेम करता है किंतु एक दिन महामाया और राजीव को साथ देख महामाया का भाई उसका विवाह एक मरनासन्न बूढ़े से करवा देता है, जिसके अगले ही दिन महामाया विधवा हो जाती है तथा किसी तरह सती प्रथा के नाम पर जलती हुई चिता से बचकर भागने में सफल हो जाती है। वह राजीव के साथ इस शर्त पर रहना मंजूर करती है कि वह जीवन भर उसका अवगुंठन नहीं हटाएगा। एक रात राजीव खुद को रोक नहीं पाता और महामाया को हमेशा के लिए खो देता है।
Avgunthan ( अवगुंठन)- Part 1
Avgunthan ( अवगुंठन)- Part 1
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Avgunthan ( अवगुंठन)- Part 1
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महामाया और राजीव लोचन बचपन के साथी हैं। राजीव महामाया से प्रेम करता है किंतु एक दिन महामाया और राजीव को साथ देख महामाया का भाई उसका विवाह एक मरनासन्न बूढ़े से करवा देता है, जिसके अगले ही दिन महामाया विधवा हो जाती है तथा किसी तरह सती प्रथा के नाम पर जलती हुई चिता से बचकर भागने में सफल हो जाती है। वह राजीव के साथ इस शर्त पर रहना मंजूर करती है कि वह जीवन भर उसका अवगुंठन नहीं हटाएगा। एक रात राजीव खुद को रोक नहीं पाता और महामाया को हमेशा के लिए खो देता है।
Aprichita ( अपरिचिता) – Part-2
Aprichita ( अपरिचिता) – Part-2
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Aprichita ( अपरिचिता) – Part-2
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Narrator
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यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसका विवाह मामा द्वारा दहेज की मांग करने से टूट जाता है और उसके लंबे समय बाद उसे जिस अपरिचित लड़की से प्रेम होता है, वह लड़की कोई और नहीं बल्कि वही होती है।
Aprichita ( अपरिचिता) – Part-1
Aprichita ( अपरिचिता) – Part-1
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Aprichita ( अपरिचिता) – Part-1
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यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसका विवाह मामा द्वारा दहेज की मांग करने से टूट जाता है और उसके लंबे समय बाद उसे जिस अपरिचित लड़की से प्रेम होता है, वह लड़की कोई और नहीं बल्कि वही होती है।
Patni ka patra (पत्नी का पत्र) – Part-3
Patni ka patra (पत्नी का पत्र) – Part-3
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Patni ka patra (पत्नी का पत्र) – Part-3
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Narrator
यह कहानी हर उस पत्नी की है जो पढ़ी- लिखी और विवेकशील होने के कारण परिस्थितियों से समझौता नहीं कर पाती बल्कि उनसे लड़ती है तब -तक, जबतक कि वह लड़ सकती हैं…


