सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
कहानी एक लड़की तनु की है- तनु एक ऐसे परिवार की लड़की है जिसके मां -बाप का स्वयं प्रेम विवाह हुआ था तनु की मां अपनी बेटी को यह बात बताया करती है किस प्रकार इस सिलसिले में उसने अपने पिता से मोर्चा लिया था आज आज यही स्थिति स्वयं उनकी है तनु भी एक लड़के शेखर से प्रेम करने लगी है जानते हैं कि क्या आज अभिभावक के रूप में इस बात को स्वीकार कर पाते हैं या इस बात से इनकार करते हैं
गर्मियों का मौसम है टी हाउस में काफी भी है गे-लॉर्ड भी भरा हुआ है वहां बैठे युवक-युवतियों और अन्य सभी लोगों के बीच अलग-अलग तरह की बातचीत हो रही है क्या है टी- हाउस का माहौल ?किस प्रकार की बातचीत वहां चल रही है ?इसका पूरा आनंद लेने के लिए मन्नू भंडारी की कहानी एक प्लेट सैलाब सुनते हैं आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में
बेहद भावुक कर देने वाली मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी जिसमें समाज बीमार व्यक्ति की चिंता करता है किंतु उस व्यक्ति का कोई ख्याल नहीं रखता जो उसकी दिन-रात सेवा करता है कहानी में अम्मा जो अपने खाने-पीने और सोने का ध्यान ना रखते हुए अपने अपने कैंसर से पीड़ित बीमार पति की दिन-रात सेवा करती है उनके पति की मृत्यु हो जाती है तब भी क्या किसी का ध्यान अम्मा के ऊपर जाता है जानते हैं आरती श्रीवास्तव की आवाज में कहानी मुक्ति
the writers is involved in extra marital affair and makes her life कहानी की नायिका अपने बॉस शिंदे से प्रेम करने लगती है |शिंदे एक शादीशुदा आदमी है |शिंदे नायिका को लुभावने सपने दिखाता है |क्या नायिका को इस बात का एहसास होता है कि वह एक खिलौना मात्र है जिसे जब तक मन चाहा खेला और फिर ठुकरा दिया नायिका समाज में औरतों को अपने अनुभवों से क्या समझाना चाहती है पूरी बात जानने के लिए सुनते हैं मन्नू भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी स्त्री सुबोधिनी आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में
सोमा बुआ एक बूढ़ी, गरीब और अकेली महिला है जिसका जवान पुत्र 20 साल पहले गुजर गया है |पति भी घर-बार त्याग कर तीरथ वासी बन गया है किंतु सोमा बुआ दूसरों की खुशियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर अपनी खुशी और अपना अकेलापन दूर करने की कोशिश करती है किंतु क्या समाज भी उन्हें उसी रूप में स्वीकार कर पाता है और वह प्यार व सम्मान दे पाता है जैसा वह दूसरों को देना चाहती है भावुक कर देने वाली देने वाली मन्नू भंडारी की कहानी है अकेली आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में |
सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
अगर डटकर मुकाबला किया जाए तो कौन-सा ऐसा अन्याय है, जिसकी धज्जियाँ न बिखेरी जा सकती हैं।कहानी में रजनी एक निडर महिला है| जो सच्चाई के लिए हमेशा लड़ती है |रजनी द्वारा किस प्रकार स्कूल में ट्यूशन का जो घिनौना रैकेट चल रहा होता है, उसका किस प्रकार पर्दाफाश करती है? जानने के लिए सुनते हैं मन्नू मन्नू भंडारी की लिखी कहानी रजनी ,माधवी शंकर की आवाज में…
जब कवि सम्मेलन में नेताओं की ऐसी फजीहत देखी तो मेरे तन बदन में आग लग गई। मैंने अपनी कहानी द्वारा कवि महाशय को प्रत्युत्तर देने के लिए एक सर्वगुण संपन्न नेता को गरीब परिवार में जन्म दिया। किंतु गरीबी के कारण वह पथ से भ्रष्ट होकर चोर बन गया । मैंने उसको खत्म कर दिया ,और एक बार फिर हौसला करके एक नए नेता की नए परिवेश में रचना की। वह करोड़पति सेठ के घर जन्मा किंतु उसकी रईसी ने उसे पथ से डिगा दिया और मुझे उसको भी खत्म करना पड़ा। लेकिन अब फिर एक बार हिम्मत न जुटा पाई और मैं हार गई।
कामता प्रसाद जी के द्वारा लिखी गई कहानी मकान जिसमें शंकर कई वर्षों के बाद अपने उस मकान में आता है जहां उसने 30 -32 साल गुजारे हैं उसकी बहुत सारी यादें उस मकान से जुड़ी हुई है अब उस मकान की अवस्था जर्जर सी हो रही है शंकर की मकान को लेकर क्या योजना है कौन-कौन सी यादें उसके साथ जुड़ी हुई है और अंत में अपने मकान को लेकर क्या निर्णय लेता है जाgने के लिए सुनते हैं तिवारी जी की आवाज में कहानी मकान
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
अतृप्त आत्माओं से भरे एक महल की कथा जिसका एक एक पत्थर जिंदा व्यक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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