“3 अक्टूबर 1672 को राणा अमर सिंह द्वितीय का जन्म हुआ ।वे मेवाड़ साम्राज्य के राजपूताना शासक बने ।मातृभूमि की समृद्धि के लिए राजपूतों को एकजुट करने में उनकी अहम भूमिका रही। इतिहास में उनकी वीरता ,शौर्य, त्याग ,पराक्रम अमर रहेगा
1576 में महाराणा प्रताप की नेतृत्व में ऐतिहासिक हल्दीघाटी युद्ध में बहलोल खान को उनके घोड़े सहित दो टुकड़ों में छिन्न-भिन्न कर दिया था। “
भारत संघ में त्रिपुरा राज्य विलय होने से पूर्व एक रियासत थी। त्रिपुरा के अंतिम महाराज बीर विक्रम सिंह की मृत्यु के बाद पत्नी महारानी कंचन प्रभा ने इसकी बागडोर संभाली ।1972 में पूर्ण इसे राज्य का इसको दर्जा मिला ।
स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर, 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) एक संपन्न कायस्थ परिवार में हुआ था।स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गरम राष्ट्रवादी विचारों के प्रतीक रहे।
यतीन्द्रनाथ दास का जन्म 27 अक्टूबर 1904 को कोलकता में हुआ था। जब वे नौ वर्ष के थे तभी उनकी माँ का देहान्त हो गया था। उनके पिता ने उनका पालन पोषण किया। पढ़ाई के दौरान ही जब गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया तो यतीन्द्र भी आन्दोलन में कूद पड़े थे।
साल 1996 में 20 अक्टूबर को पहली बार विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World Osteoporosis Day) मनाया गया था। जिसकी शुरुआत यूनाइटेड किंगडम के नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस सोसाइटी ने यूरोपीय आयोग के साथ मिलकर एक अभियान के साथ की थी।
स्वामी विवेकानंद को अपना आध्यात्मिक गुरु मानने वाली मार्गरेट एलिजाबेथ नोबेल ‘भगिनी निवेदिता’ के नाम से प्रसिद्ध हुई। उन्होंने भारत देश को अपनी कर्मभूमि बनाया। विवेकानंद ने उन्हें ‘सिस्टर निवेदिता’ का नाम दिया ।स्वामी विवेकानंद के विचारों के प्रसार के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित किया।
कहानी की नायिका ने एक मिशनरी स्कूल मैं अध्यापन कार्य शुरू किया है| मिशनरी स्कूल के नियम बहुत ही कठिन है ,फादर नियमों को ना मानने वालों के साथ कड़ा रवैया अपनाते हैं किंतु कहानी के अंत में फादर स्वयं बीमार हो जाते हैं |फादर की बीमारी की क्या वजह है आखिर क्या हुआ था उनके साथ? मन्नू भंडारी की कहानी ईसा के घर इंसान सुनते हैं आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में
आपको अपनी किस्मत खुद लिखनी होगी 🔥- Rise Above Hard Times – CA Poonam Pathak- Josh Talks Hindi
पेटीएम (Paytm) के संस्थापक विजय शेखर शर्मा आज भारतीय युवा कारोबारियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं. यूपी के अलीगढ़ जिले के एक छोटे से गांव के मूल निवासी और एक स्कूल टीचर के बेटे शर्मा आज फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में शामिल हैं i 27 साल की उम्र में विजय शेखर शर्मा 10 हजार रुपये महीना कमा रहे थे. उस सैलरी को देखकर उनकी शादी तक में मुश्किल हो रही थी. वह बताते हैं, “2004-05 मे मेरे पिता ने कहा कि मैं अपनी कंपनी बंद कर दूं और कोई 30 हजार रुपये महीना भी दे तो नौकरी ले लूं.” 2010 में शर्मा ने पेटीएम (Paytm) की स्थापना की, जिसका आईपीओ ढाई अरब डॉलर पर खुला. बहुत समय तक उनके माता-पिता को पता ही नहीं था कि उनका बेटा करता क्या है. विजय शेखर शर्मा बताते हैं, “एक बार मां ने मेरी संपत्ति के बारे में हिंदी के अखबार में पढ़ा तो मुझसे पूछा कि वाकई तेरे पास इतना पैसा है.” फोर्ब्स पत्रिका ने विजय शेखर शर्मा की संपत्ति 2.4 अरब डॉलर यानी भारतीय रुपयों में लगभग सवा खरब रुपये आंकी है.
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