बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
उर्वशी एक आधुनिक लड़की है जो होशियार होने के साथ ही जीवन में कुछ कर दिखाने की चाहत रखती है। प्रेम विवाह कर पति से उपेक्षित होने के बाद भी उसने हिम्मत न हारते हुए अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने की चाहत को पूरा करने का प्रयास किया जिसमें उसकी खूबसूरती ही उसके लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसकी जिंदगी एक कटी पतंग की तरह झूलने लगी।
ईरान का एक व्यापारी चांद खान जब भारत आया तो उसे गन्ने बहुत पसंद आए और वह गन्ने को रसगुल्ले की जड़ के नाम से जानने लगा| जब दोबारा चांद खां के सामने रसगुल्ले पेश किए गए किए गए तो उसने रसगुल्ले की जड़ के बारे में प्रश्न किया? अब तेनालीरामा ने किस प्रकार चांद खान कि इस गलतफहमी को दूर किया |पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी “ रसगुल्ले की जड़ “शिवानी आनंद की आवाज में…
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