बदरूनिसा.. जैसा रूप यौवन,उससे भी मीठा गला। पहले पहल उसका संगीत ही खींच ले गया था । फिर उसके रूप ने मोहपाश में ऐसा बंधा की दो दिन अपनी बदरू से ना मिलते जो जैसे साँस ही ना आती थी । उनकी जान थी वो फिर भी थी तो वो एक गाने वाली। वक़्त के साथ एक नामी परिवार के वारिस होने की ज़िम्मेदारी में उनकी बदरु कहीं पीछे छूट गयी । और फिर सालो बाद आया उसका वो पैग़ाम … “ एक बार मिल लीजिए , आपको आपकी अमानत सौपनी है “ क्या थी वो अमानत ? सेठ जी को अपनी पूरी साख मिट्टी में मिलती दिख रही थी । क्या सेठ जी बदरु से मिलने गए। क्या वो जान सके की किस अमानत की बात कर रही थी बदरूनिस्सा, और अब Iक्यों ? एक बेहतरीन कहानी शिवानी जी की लेखनी से … “कौन “
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
1947 में हुए देश के बँटवारे ने देश के नक़्शों और सीमाओं के साथ ना जाने कितने परिवारो और लोगों की ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल डाली थी। ताहिरा, अपने परिवार के साथ आज फिर हिंदुस्तान के उस ही शहर में थी जहाँ वो दुल्हन बन कर आयी थी । वो आना नहीं चाहती थी पर शायद आना भी चाहती थी , एक बार और … नववधु सुधा को उसके तरुण पति के गालों पर गुलाल मलते और शरारत से हँसने का सुंदर दृश्य उसे आज भी ज्यों का त्यों याद था .. ताहिरा और सुधा का क्या सम्बंध है ? ताहिरा को सुधा की याद क्यों रुला गयी .. देश के बँटवारे में ये क्या हुआ था? पूजा श्रीवास्तव की आवाज़ में सुनिए शिवानी जी की लिखी कहानी “लाल हवेली “ में क़िस्सा ताहिरा और सुधा का
भारत की गरीब बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं और सेनेटरी पैड की उपयोगिता एवं जागरूकता फैलाने वाली पैड वूमेन के नाम से मशहूर अमेरिका रिटर्न माया विश्वकर्मा ने किस प्रकार इसके प्रति अपनी एक बड़ी मुहिम छेड़ी? कैसा रहा उनके छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने तक का सफ़र? जानिए आम आदमी की खा़स कहानी में, पूजा श्रीवास्तव की आवाज़ में.
वो पड़ोसी के घर से घर जैसे सम्बंध होना, वो बचपन से लेकर बड़े होने तक छतों पर जमने वाली महफ़िलों का साथ हिस्सा बनना, वो पसंदो का मिलना, वो साथ वक़्त बिताना .. वो एक दूसरे को हर बात बताना , वो एक दूसरे से हर बात पूछना… क्या ये सारे लक्षण प्यार के नहीं है ? नयना और अनुराग … प्यार ही था .. और भाभी ने तो बात भी बढ़ा दी थी …प्यारी सी कहानी का अलग सा मगर प्यार सा अंत जाने के लिए सुनिए – अंज़ू शर्मा की लिखी कहानी – “छत वाला कमरा और इश्क़ वाला लव “
प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो कब , कैसे , किसके लिए महसूस होगी , ये कह पाना कब सम्भव हुआ है? अविनाश, एक फ़ौजी अफ़सर, जिसकी पहली शादी का अनुभव बहुत ही तकलीफ़देह रहा था, उसने शादी ना करने का मन बना लिया था । सुधा, एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, रूप- गुण युक्त एक स्वावलंबी महिला थी। और उसने भी शादी को कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दी थी। और फिर, नीलांजना , बचपन को पीछे छोड़ती वो रूपसी तरुणी जिसके लिए दुनिया रंगो से सजी जीवंत तस्वीर जैसा था । इन तीनो किरदारो के जीवन तार एक दूसरे से कैसे उलझते है , आइए सुनते है मनीषा कुलश्रेष्ठ की भावनाओं में डूबती उतराती इस कहनी “ अधूरी तसवीरें” मे..,
Female Protrayal in Bollywood with Anandita Bhasin (Part – 2)
महादेवी वर्मा जी के द्वारा लिखा गया प्रेमचंद्र जी के लिए संस्मरण सुनते हैं नयनी दीक्षित जी की आवाज में
पति -पत्नी का रिश्ता जो एक दूसरे के साथ पूरा जीवन बिता देते हैं किंतु क्या यह सच्चाई नहीं कि वह एक दूसरे के मन की तालों को जीवन भर नहीं खोल पाते ।एक खूबसूरत विपिन जैन की कहानी अलमारी और कागज का टुकड़ा में इस अहसास को किस तरीके से रखा गया है जानिए विनीता श्रीवास्तव की आवाज़ में…
रूहानी इश्क का नाम सुना है आपने ।ऐसा इश्क जो समय के साथ फीका नहीं पड़ता |जो कभी ना मिलकर भी हमेशा साथ रहता है |उषा राजे सक्सेना जी की कहानी आपको रूबरू कराएगी इससे ऐसी की दास्तान से ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
शोध में पुरातत्व विभाग को एक सन 1950 ईस्वी की स्मारक मिलती है जिसमें खुदी हुई चार पंक्तियां होती है कवि का नाम गोवर्धन दास लिखा होता है पुरातत्व विभाग को गोवर्धन दास के बारे में पहले से कुछ भी ज्ञात नहीं होता है गोवर्धन दास कवि कैसे बना क्या उसका है उसका इतिहास और पुरातत्व विभाग में उनके विषय में क्या लिखा पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं हरिशंकर परसाई द्वारा लिखी गई कहानी सन् 1950 ईसवी
उर्वशी एक आधुनिक लड़की है जो होशियार होने के साथ ही जीवन में कुछ कर दिखाने की चाहत रखती है। प्रेम विवाह कर पति से उपेक्षित होने के बाद भी उसने हिम्मत न हारते हुए अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने की चाहत को पूरा करने का प्रयास किया जिसमें उसकी खूबसूरती ही उसके लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसकी जिंदगी एक कटी पतंग की तरह झूलने लगी।
Reviews for: Kaun(कौन)
Average Rating
9956934048
tiwariamit
tiwariamit