वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
प्रेम में छली गयी स्त्री – ये कहानी है एक अत्यंत सुंदर युवती निम्मी की .. जो वर्षों बाद एक विवाह में शामिल होने वापस अपने घर जा रही है । रास्ते में ट्रेन में उसकी सहयात्री निकलती है उसके बचपन की सखी और फिर याद आती है वो सब बातें जो उस भाग्यवान रूपवती के विवाह निश्चित होने और उसके टूटने की कई घटनाओं से जुड़ी थी । … निम्मी की सहेली ने उसे ऐसा क्या बताया की निम्मी ने आधे रास्ते से ही वापसी कर ली। क्यों नहीं जा पायी निम्मी फिर उस घर में वापस ….
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
बदरूनिसा.. जैसा रूप यौवन,उससे भी मीठा गला। पहले पहल उसका संगीत ही खींच ले गया था । फिर उसके रूप ने मोहपाश में ऐसा बंधा की दो दिन अपनी बदरू से ना मिलते जो जैसे साँस ही ना आती थी । उनकी जान थी वो फिर भी थी तो वो एक गाने वाली। वक़्त के साथ एक नामी परिवार के वारिस होने की ज़िम्मेदारी में उनकी बदरु कहीं पीछे छूट गयी । और फिर सालो बाद आया उसका वो पैग़ाम … “ एक बार मिल लीजिए , आपको आपकी अमानत सौपनी है “ क्या थी वो अमानत ? सेठ जी को अपनी पूरी साख मिट्टी में मिलती दिख रही थी । क्या सेठ जी बदरु से मिलने गए। क्या वो जान सके की किस अमानत की बात कर रही थी बदरूनिस्सा, और अब Iक्यों ? एक बेहतरीन कहानी शिवानी जी की लेखनी से … “कौन “
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
70 वर्ष की सोना घोष का जीवन कभी वैभवशाली रहा है लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद उसका जीवन भजनाश्रम में गुजर रहा है दीपांकर को उसने अपने बेटे की तरीके से पाला है दीपांकर आज उससे मिलने तो आया है पर क्या दीपांकर सोना घोष के अंतिम पड़ाव में उसे अपने साथ रखता है हरिवंश राय बच्चन जी की भावुक कर देने वाली कहानी अंतिम पड़ाव पूजा श्रीवास्तव जी के द्वारा
तान्या— आज के वक़्त की एक पढ़ी लिखी स्वावलंबी लड़की है . माता पिता से दूर एक बड़े शहर में अच्छी नौकरी करती है। वो आजकल के तौर तरीक़ों यानी की जब तक हो सके शादी बच्चे जैसी जिम्मेदारियो से अलग एक स्व्छन्द जीवन जीना चाहती है । माता पिता अक्सर उसके विवाह की बात छेड़ते रहते है और वो टालती रहती है । फिर ऐसा क्या होता है की रिश्तों से दूर भागने वाली तान्या बदलने लगती है ? कहानी तान्या दीवान में आपको हम सबको ज़िंदगी की बड़ी सामयिक झलक दिखेगी
बड़ी उम्र में शादी होने से क्या अरमान ख़त्म हो जाते है ? क्या शादी का मतलब सिर्फ़ शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति मात्र होता है ? क्या बड़ी उमर में शादी होने से भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरतें नहीं रह जाती है ? अंजू इन ही सवालों से जूझ रही थी । उमर बढ़ती जा रही थी तो भइया ने दो बच्चों के विधुर पिता से शादी करा के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली। आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के बावजूद समझौते तो उसने भी किए ही थे पर फिर ऐसा क्या हुआ की अंजू को निर्णय लेना ही पड़ा। वो बातें क्या थी जिन्होंने अंजू के स्वाभिमान को झकझोरा था .. सुनिए मल्टी जोशी को कहानी “ बहुरि अकेला”
कहानी मंदी में जान सकते हैं कि मंदी के दौर में किस प्रकार ग्राहकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है |नायक किस प्रकार इन बातों को अनुभव कर रहा है |जानने के लिए सुनते हैं मोहन राकेश के द्वारा लिखी गई कहानी मंदी ,सुमन वैद्य की आवाज में
70 वर्ष की सोना घोष का जीवन कभी वैभवशाली रहा है लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद उसका जीवन भजनाश्रम में गुजर रहा है दीपांकर को उसने अपने बेटे की तरीके से पाला है दीपांकर आज उससे मिलने तो आया है पर क्या दीपांकर सोना घोष के अंतिम पड़ाव में उसे अपने साथ रखता है हरिवंश राय बच्चन जी की भावुक कर देने वाली कहानी अंतिम पड़ाव पूजा श्रीवास्तव जी के द्वारा
कहानी प्रारंभ से ही उन संकीर्ण मानसिकता वाले पुरुषों और स्त्रियों की मनोदशा से परिचित कराते हुए आगे बढ़ती है कि किस प्रकार एक अकेली युवती को देखकर बिना यथार्थ जाने लोग उसके चरित्र का विश्लेषण करने लग जाते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी मनोवृति मनोवृति सुनते हैं भूपेश पांडे जी की आवाज में
रघु और अरुणा दो मासूम बच्चे हैं | रघु के पिता भी विधुर है |दादी उन दोनों बच्चों का ख्याल रखती है |रघु के पिता का पुनर्विवाह मासूम रघु के जीवन में क्या बदलाव लाता है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं राजेंद्र कृष्ण की लिखी बेहद मार्मिक कहानी अतीत की एक ढीठ खिडक़ी पूजा श्रीवास्तव जी की आवाज में
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