जहां चाह वहां राह की कहावत को सार्थक करती कहानी। जिसमें चार चोर चोरी की राह छोड़ एक आम इंसान का जीवन बिताते हुए सबके लिए कहानी वाले बाबा बन जाते हैं।
जहां चाह वहां राह की कहावत को सार्थक करती कहानी। जिसमें चार चोर चोरी की राह छोड़ एक आम इंसान का जीवन बिताते हुए सबके लिए कहानी वाले बाबा बन जाते हैं।
समय द्वारा अपने मनोरंजन के लिए वायु. जल, अग्नि और कई प्रकार के जीवों के उपरांत मनुष्य के बनाए जाने की कथा।
जहां चाह वहां राह की कहावत को सार्थक करती कहानी। जिसमें चार चोर चोरी की राह छोड़ एक आम इंसान का जीवन बिताते हुए सबके लिए कहानी वाले बाबा बन जाते हैं।
एक था नन्हा खरगोश, जिसेअपने लंबे कान अपने पूरे शरीर में सबसे अधिक पसंद थे, लेकिन एक दिन झाड़ियों में भेड़िए से बचते हुए उसके कान ज़ख्मी हो गए जिससे वह बेहद दुखी रहने लगा। लेकिन अपनी बहादुरी से उसने कुछ ऐसा किया की सभी उसे नन्हा बहादुर कहकर पहले से भी ज्यादा प्रेम करने लगे।
यह कहानी गड़बड़ और सड़बड़ नाम के दो भाईयों की है जो हैं तो जुड़वा लेकिन आदतों से एकदम विपरीत।
ये कहानी एक बकरी के बेचने और खरीदने के बहुत ही सरल माध्यम से हमे यह सिखाती है कि हमे यूं तो कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए लेकिन अगर कोई आपके साथ बुरा करे तो उसे सबक ज़रूर सिखाना चाहिए।
Saguni was a poor little girl, whose dream was to study in a school, Ipsa, another little girl of class five make Saguni’s dream come true.
सुभाषिनी नाम की ऐसी लड़की की कहानी जो बोल नहीं सकती, इसलिए उसकी मित्रता भी मूक प्राणियों से अधिक है जिसे बोलने वाले समाज से हमेशा निरादर ही प्राप्त हुआ।
कन्नड़ राज्योत्सव का ऐतिहासिक महत्व साल 1956, 1 नवंबर को दक्षिणी भारत के कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को मिलाकर कर्नाटक राज्य बनाया गया। इस दिन को कर्नाटक राज्योत्सव (Karnataka Rajyotsava 2023) के रूप में मनाया जाता है। कन्नड़ राज्योत्सव का सीधा और सरल अनुवाद “कर्नाटक का राज्य महोत्सव” है।
राजा कृष्णदेव राय बहुत बड़े कला प्रेमी थे| इस संदर्भ में कलाकारों को तेनाली रामा की सलाह से सम्मानित भी करते थे| इस बात से राज दरबार के अन्य लोग तेनालीरामा से चिढ़ते थे उन्होंने तेनाली रामा के ऊपर रिश्वतखोर होने का आरोप लगा दिया| अब तेनालीरामा ने इस आरोप को कैसे गलत सिद्ध किया ?इस रोचक किस्से को सुनते हैं तेनाली रामा की कहानी में से एक कहानी रिश्वत का खेल सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में….
एक भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता, फिल्म निर्देशक, लेखक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा के मूक युग में अपना करियर शुरू किया था । वह इप्टा के संस्थापक सदस्यों में से एक के रूप में जुड़े थे और उन्होंने 1944 में मुंबई स्थित एक ट्रैवलिंग थिएटर कंपनी, पृथ्वी थिएटर की स्थापना की थी। वह हिंदी फिल्मों के कपूर परिवार के पितामह थे , जिनमें से चार पीढ़ियों ने उनसे शुरुआत की थी1969 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया इसके अलावा 1972 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी इन्हें नवाजा गया
यह कविता हमें पत्तों के रूप में धरती पर पर्यावरण का क्या महत्व है वह समझाती है
Reviews for: Kahani wale baba (कहानी वाले बाबा)- Part-2