आज छठा दिन था। बच्चे स्कूल छोड़े घरों में बैठे ,अपनी और सारे घर वालों की जिंदगी मुसीबत किए दे रहे थे । कोई और मामूली दिन होता तो कमबख्तों से कहा जाता कि बाहर मुँह काला करके गदर मचाओ। लेकिन चंद रोज से शहर का वातावरण इतना खराब था कि शहर के सारे मुसलमान एक तरह से नजरबंद थे। झटपट सामान बँधने लगा। अम्मा ने जाने से साफ इनकार कर दिया। लाख समझाने के बावजूद वे राजी़ न हुई । सारा घर खाली हो गया ।और अम्मा उजाड़ सहन में आकर खड़ी हुई तो उनका बूढ़ा दिल नन्हे से बच्चे की तरह सहम कर कुम्हला गया।
दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने की आदत होती है। वह किसी की परवाह नहीं करते। लोग क्या कहेंगे ? क्या सोचेंगे? अगर किसी को बुरा लगा तो ? वगैरह -वगैरह जैसे प्रश्नों के बारे में तो सोचते ही नहीं। लाख मुश्किलें आएँ, वह अपने तरीके से उसका सामना करते हैं। ऐसे लोगों को दुनिया की परवाह नहीं होती। लेकिन कुछ तो होता है, जो उनकी शख्सियत को भी हिला देता है। लेकिन क्या?
आज हम खुद को बहुत मॉर्डन, कल्चर्ड, इंटेलेक्चुअल समझते हैं। औरत और मर्द को बराबर समझने का दम भरते हैं। लेकिन कुछ जगहों पर, कुछ परिस्थितियों में हमारी सोच आज भी दकियानूसी और पुरानी है। ऐसा क्यों होता है ? क्या हम वास्तव में कभी अपनी सोच बदल पाएँगे ?क्या कभी मर्द और औरत बराबर हो पाएंगँ? ऐसे अनेकों प्रश्न जहन में उठते रहते हैं जिनके उत्तर शायद वक्त के पास है।
जब मैंने पहली बार उन्हें देखा तो वह रहमान भाई की खिड़की में बैठी लंबी-लंबी गालियाँ और कोसने दे रही थी । उस दिन पहली दफा मुझे मालूम हुआ कि हमारी इकलौती सगी फूपी, बादशाही खानम है। हर ईद- बकरीद को मेरे अब्बा मियां बेटों को लेकर सीधे फूपी अम्मा के यहाँ कोसने और गालियाँ सुनने जाया करते। मरते दम तक भाई- बहन का मिलन न हुआ । जब अब्बा मियां पर फालिश का चौथा हमला हुआ और बिल्कुल ही वक्त आ गया तो हलहलाती, छाती कूटती, सफेद पहाड़ की तरह भूचाल लाती हुई बादशाही खानम उसी ड्यूटी पर उतरी जहाँ अब तक उन्होंने कदम नहीं रखा था।
अम्मा जब आगरा जाने लगी तो हफ्ता भर के लिए उन्होंने मुझे बेगम जान के पास छोड़ दिया। नवाब साहब , बेगम जान से शादी करके कुल साज़-ओ- सामान के साथ ही घर में रखकर भूल गए ।बेगम जी जान छोड़ कर बिल्कुल ही यासो हसरत की पोट ही बन गई। रब्बो ने उन्हें नीचे गिरते- गिरते संभाल लिया साथ खाती, साथ उठती -बैठती और माशाअल्लाह! साथ ही सोती थी। रब्बो और बेगम जान आम जलसों और मज़मूओ की दिलचस्प गुफ्तगू का मौजूँ थी। जहाँ उन दोनों का जिक्र आया और कहकहे उठे। लोग जाने क्या-क्या चुटकुले गरीब पर उड़ाते।
बहुत ज्यादा सुख भी नींद उड़ा देता है ,तो बहुत ज्यादा दुख भी ।कभी मखमल के बिस्तर पर भी नींद नहीं आती ,तो कभी जमीन पर भी चैन की नींद आ जाती है। दिल की गहराई में छुपा कोई जख्म भी कभी सोने नहीं देता और दिल की दबी ख्वाहिश भी नींद चुरा लेती है।
राजा कृष्णदेव राय की इस दुविधा को कि वास्तव में ही रे किसके पास है नौकर के पास या मालिक के पास तेनाली रामा ने किस प्रकार अपने चातुर्य से राजा की इस दुविधा का निवारण किया पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी हीरो का सच शिवानी आनंद की आवाज में
Mrichika (मरीचिका) – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
अपराजिता आज अपने दु:खों के निवारण के लिए विधायक गोपाल जी से मिलने के लिए उनके ऑफिस गई ,यह सोच कर कि वह उनके लिए मसीहा साबित होंगे। किंतु आज उनसे मिलने के बाद अपराजिता यह सोचने के लिए मज़बूर हो गई कि जैसे सब कुछ मृग -मरीचिका के समान है। आखिर अपराजिता के साथ ऐसा क्या घटित हुआ और वह ऐसा क्यों महसूस कर रही है ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी मृग -मरीचिका शिवानी आनंद की आवाज़ में..
कीचक, विराट नरेश का साला था| अज्ञातवास के समय पांडू पुत्रों ने विराट की राजधानी में निवास किया था |उनके साथ उनकी पत्नी द्रौपदी भी थी |ऐसे में कीचक की कामुक दृष्टि द्रौपदी के ऊपर पड़ी| द्रौपदी ने इस बात को भाँप लिया अब कीचक को किस प्रकार इस बात का दंड मिला? महाभारत की कहानियों में से एक कहानी कीचक का वध के पूरे प्रसंग को सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में …
सुधा अरोड़ा की कहानियां आम लोगों के जीवन से कहीं ना कहीं जुड़ी हुई होती है |कहानी सत्ता संवाद में स्पष्ट रूप से इस बात की झलक मिलती है |कहानी में घर की सत्ता घर की महिला के पास है कहानी में घर की मुख्य कर्ताधर्ता महिला किस प्रकार का व्यवहार करती है? ऐसे में वह किस प्रकार घर में सभी से संवाद करती है?इसे बेहद रोचक ढंग से कहानी में प्रस्तुत किया गया है|
Nazm Subhash ji ki likhi kahani adhoori khwaahish, badi khoobsoorti se, Umrao Jaan, jinke husn aur adaaon ke laakhon deewaane thei, unke dard aur unki man mein dafn ho chuki khwaahishon ka sajeev chitran karti hai. Unki ekAdhoori khwaahish jo bas un
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसका विवाह मामा द्वारा दहेज की मांग करने से टूट जाता है और उसके लंबे समय बाद उसे जिस अपरिचित लड़की से प्रेम होता है, वह लड़की कोई और नहीं बल्कि वही होती है।
दुराचारी दुःशासन सभी बड़ों और गुरुजनों के सामने द्रौपदी के साथ अभद्र व्यवहार करता है और द्रौपदी का चीर हरण करने के लिए आगे बढ़ता है किंतु द्रौपदी को अपने तत्व पर सतीत्व पर पूर्ण विश्वास है और कहती है सत्य की हमेशा जीत होती है सत्य की ही जीत होती है|
बलिया के रहने वाले राधेश्याम की एक नौटंकी मंडली है, उसका सपना है कि वह एक भोजपुरी फिल्म बनाएं और उसमें अपनी मंडली के सभी सदस्यों को मुख्य किरदार के रूप में रखें| क्या उसका सपना सच हो पाता है ?? जानने के लिए सुनते हैं कहानी एक भोजपुरी भोजपुरी फिल्म की हिट स्टोरी
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एक कंजूस व्यक्ति के पास बहुत सारा सोना था लेकिन वह उसका सदुपयोग ना करके उसे जमीन में गाडे रखता था ।एक दिन उसका यह सारा सोना चोरी हो गया। इस बात से कंजूस को क्या सीख मिली और उसने क्या किया जाने के लिए सुनते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा लिखी गई कहानी कंजूस और सोना निधि मिश्रा जी की आवाज में
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