किचन के बर्तनो के माध्यम से एक दुसरे के महेत्वा को स्वीकार करने की बात इस कहानी ‘ गुडबाय डार्लिंग’ में कही गई है।
इंसानी मनोवृतियों तथा उसकी अनगिनत मजबूरियों को इस कहानी ‘राजहंस’ के माध्यम से दर्शाया गया है।
बाल सोषड़ कभी भी न ख़त्म होने वाली हमारे समाज की एक बड़ी समस्या है। इस समस्या का दुखद पहलु ये है की सिर्फ छोटे बच्चो से काम करवाने वाला केवल मालिक ही गुन्हेगार नहीं है बल्कि उनके माता-पिता भी इन बच्चो को पैसा कमाने वाली मशीन समझे हुए है। ऐसे ही कुछ सवाल उठाये गए हैं मेरी इस कहानी ‘ एटीएम मशीन के द्वारा ‘
बाल मनो विज्ञानं को दर्शाती हुई मेरी ये कहानी ‘ पहली चोरी ‘ है।
भूत की कल्पना के माध्यम से आम लोगो के घमंड को तोड़ने का प्रयास किया गया है इस कहानी ‘भूत की बातों’ में।
हिंदी और अंग्रेजी भाषा के सामान महेत्वा को दर्शाती हुई मेरी ये कहानी ‘चोला उतार दो’ है.
हिंदी और अंग्रेजी भाषा के सामान महेत्वा को दर्शाती हुई मेरी ये कहानी ‘चोला उतार दो’ है.
हमारे समाज की कितनी बड़ी विडम्बना है की एक तरफ गरीब के सर पर छत नहीं और वहीं दूसरी तरफ हम धार्मिक स्थलों पर पानी के जैसे पैसा बहाते हैं। ऐसी ही कुछ बात कह रही है मेरी यह कहानी ‘ वो टपकती झोपडी ‘
ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने जीवन में कभी हार नहीं मानी।, जीवन में बहुत सी विसम परिस्तिथियाँ आई पर उनके क़दम कभी नहीं डगमगाए और वो हर मुश्किल का सामना करते हुए , सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते गए , इनकी कहानी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है
स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर, 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) एक संपन्न कायस्थ परिवार में हुआ था।स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गरम राष्ट्रवादी विचारों के प्रतीक रहे।
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