एक आम लड़की की तरह सुमिता ने भी शादी के सुनहरे सपने देखे थे। सोम के रुप में जीवनसाथी को पाकर सुमिता जैसे खुशी से पागल सी हो गई थी। लेकिन उसका यह भ्रम बहुत जल्दी टूट गया। शादी के तीन दिन बाद ही उसे सोम की बीमारी का पता चला । उसे लगा कि जैसे वह ठगी गई है। तब, उसने एक अहम फैसला लिया।
प्यार एक एहसास है। प्यार एक जुनून है। वह किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता । वह कभी भी ,कहीं भी हो जाता है। फिर चाहे उसको मंजिल मिले या ना मिले। प्यार अधूरा रह जाए तो वह उम्र भर याद रहता है । सभी प्यार करने वालों को मंजिल मिले यह जरूरी तो नहीं । सच्चा प्यार तन से नहीं मन से होता है और मन ! वह तो चंचल होता है।
लड़की देखने जाने के लिए उतावला परिवार होटल पहुँचता है। और वहाँ पर लड़की के पिता को स्वागत के लिए ना पाकर नाराज होता है । जब लड़की अपनी माँ के साथ आती है तो अफसर पुत्र के पिता उसकी लंबाई नापते हैं। और वास्तविक रंग देखने के लिए लड़की को मुँह धोने के लिए कहते हैं ।उसके बाद तो वहाँ का सारा माहौल बदल जाता है।
ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जो एक जानवर को पाल के रखता है , और समय के साथ वो जानवर बड़ा होता जाता है , उस इंसान के घर में उसकी बीवी भी बहुत कलेश करती है क्युकी उसकी अपने पति से कुछ उमीदें और कुछ शक हैं जिनको वो अधूरा पति है , दूसरी और वो जानवर समय के साथ बड़ा होता जाता है , और वो उस इंसान को खाना चाहता है , फिर एक वक्त ऐसा आता है की उस जानवर जिसे कैद किया गया था इंसान में लड़ाई होती है ,,, कौन था वो जानवर ? और क्या हुआ इस लड़ाई में ? जानने के लिए सुनिए ये कहानी
प्यार एक एहसास है। प्यार एक जुनून है। वह किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता । वह कभी भी ,कहीं भी हो जाता है। फिर चाहे उसको मंजिल मिले या ना मिले। प्यार अधूरा रह जाए तो वह उम्र भर याद रहता है । सभी प्यार करने वालों को मंजिल मिले यह जरूरी तो नहीं । सच्चा प्यार तन से नहीं मन से होता है और मन ! वह तो चंचल होता है।
गर्मी की चिलचिलाती धूप और दूर-दूर तक सपाट सूखी धरती ।पानी का नामोनिशान नहीं।यहाँ वीरान खंडहरों में कुछ नंग-धडंग बच्चे और अम्माएँ। निपट अकेली, बिना किसी सहारे के कैसे रह रही हैं ?ना तन ढकने के लिए कपड़े और ना घर का कोई आदमी !
प्यार एक एहसास है। प्यार एक जुनून है। वह किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता । वह कभी भी ,कहीं भी हो जाता है। फिर चाहे उसको मंजिल मिले या ना मिले। प्यार अधूरा रह जाए तो वह उम्र भर याद रहता है । सभी प्यार करने वालों को मंजिल मिले यह जरूरी तो नहीं । सच्चा प्यार तन से नहीं मन से होता है और मन ! वह तो चंचल होता है।
ताहदे नज़र एक बयाबान सा क्यू हैं – Malti Joshi (मालती जोशी) – Arti Srivastava
एक औरत जीवन साथी से धोखा खाने के बाद अपनी औलाद से उम्मीदें रखती है । लेकिन वही औलाद जब मुँह मोड़ ले , तो उसके पास जीने के लिए क्या रह जाता है ? रेखा ने हिम्मत नहीं हारी है । उसे उम्मीद है कि शायद एक दिन उसका बेटा ,सक्षम उसके पास लौट आएगा ।
माता-पिता हमें पाल – पोस कर बड़ा करते हैं ।इस काबिल बनाते हैं कि हम समाज में सर उठा कर जी सके। फिर ऐसा क्यों होता है ,कि काबिल होते ही हम माता-पिता को इस्तेमाल की वस्तु समझ लेते हैं ? उन्हें घर का माली ,घर का सामान लाने वाला नौकर, बच्चों की केयर- टेकर, और वॉचमैन मान लेते हैं ?
बरसात ना होने से सारी फसल सूख गई। जाधो राय के फाके के दिन आ गए। वह पत्नी और इकलौते बेटे साधो के साथ मजदूरी करने लगा। साधे अच्छे खाने के लालच में पादरी के साथ चला गया। बेबस माँ-बाप उसे ढूँढते रहे ।अच्छे दिन आए लेकिन साधो नहीं आया। 14 साल बाद साधो वापस आया , लेकिन धर्म- परिवर्तन के उपरांत। गाँव वालों ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया। किंतु माँ की ममता इंकार नहीं कर सकी। बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन साधो वापस चला गया। मां-बाप विवश थे।
कुबरा जवान थी। कौन कहता था कि कुबरा जवान थी ? वह तो जैसे बिस्मिल्लाह के दिन से ही अपनी जवानी की आमद की सुनावनी सुनकर ठिठक कर रह गई थी। ना जाने कैसी जवानी आई थी, कि ना तो उसकी आँखों में किरने थी। ना उसके रुखसारों के ऊपर जुल्फें परेशान हुई। ना उसके सीने पर तूफान उठे ।और ना उसने सावन भादो की घटाओं से मचल-मचल कर प्रीतम यह सावन माँगे।
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
कहानी की मुख्य नायिका शशिकला है |जिसका विवाह जयगोपाल बाबू से हुआ है |शशिकला अपनी पिता की एकमात्र लाडली लड़की थी |जयगोपाल वास्तव में एक साधारण सी नौकरी करते हैं किंतु भविष्य को लेकर निश्चिंत है यह सोचकर उसके ससुर के पास पर्याप्त चल- अचल संपत्ति है, जो अंत में उसकी ही हो जाएगी| यहां कहानी में एक नया मोड़ आता है शशिकला की वृद्ध पिता के यहां पुत्र का जन्म होता है| जयगोपाल बाबू की सारी आशाएं चकनाचूर हो जाती है| इधर शशि के मां-बाप दोनों की मृत्यु हो जाती है शशि अपने छोटे नाबालिक अनाथ भाई की देखभाल करना चाहती हैं किंतु पति और भाई दोनों के बीच चल रहे अपने मानसिक द्वंद में बुरी तरह से उलझ कर रह जाती है| कहानी में आगे क्या घटित होता है इसे जान ने के लिए सुनते हैं रविंद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी अनाथ, जिसे आवाज दी है शिवानी आनंद ने..
रात! तारे-तारे, तारे! लूनी के मन में एक विचार उठा, मैं इन्हें देख रही हूँ, वह भी एक बार तो इन्हें देख ही लेगा और पहाड़ों की याद कर लेगा… तारे क्षण-भर झपक लेंगे; जब जागेंगे, तब मैं इन्हें अलपक ही देख रही हूँगी, पर वह-? भाई बहन के निश्छल प्रेम को दर्शाती यह कहानी जिसमें जिसने भाई-बहन अनाथ होते हैं और एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं किंतु भाई को मिलता है प्राण दंड मिलता है तो बहन की मनोदशा किस प्रकार हो जाती है भूतकाल में बिताए हर एक क्षण को याद कर रही है
हरसुंदरी ने मां न बन पाने के कारण अपने पति निवारण का विवाह शेलबाला नाम की किशोरी से तो कर दिया पर उसे क्या पता था कि इसके बाद उसका जीवन इतनी मुश्किलों से भर जाएगा।
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