20 नवंबर एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि इसी दिन 1959 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा ने बाल अधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी| विश्व बाल दिवस को पहली बार 1954 में सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाया गया था और प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाता है|
जम्मू-कश्मीर रियासत को पाकिस्तान से बचाने के लिए महारजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी थी. तब की नेहरू सरकार ने महाराजा के साथ विलय करने की शर्त रखी थी. 26 अक्टूबर 1947 को विलय होते ही भारतीय सेना ने पाक कबायलियों को खदेड़ दिया था. 26 अक्टूबर 1947 के दिन ही जम्मू-कश्मीरभारतीय संघ का हिस्सा बना था |
लीला सेठ का जन्म लखनऊ, उत्तर प्रदेश में 20 अक्टूबर, 1930 को हुआ। लीला सेठ बचपन में ही पिता की मृत्यु के बाद विधवा मां के सहारे पली-बड़ीं और मुश्किलों का सामना करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जैसे पद तक पहुंचने का सफर पूरा किया
शिक्षा के महत्व को बताने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है ।विश्व में शिक्षकों की महत्ता को स्थापित किए जाने के उद्देश्य से 5 अक्टूबर 1994 से यह दिन ‘अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 2 नवंबर को विश्व स्तर पर “इंटरनेशनल डे टू इंड इम्प्युनिटी फॉर क्राइम्स अगेंस्ट जर्नलिस्ट” यानि “पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्ड मुक्ति समाप्त करने का अंतरराष्ट्रीय दिवस” मनाया जाता है। यह दिन पत्रकारों और मीडियाकर्मियों के खिलाफ हिंसक अपराधों के लिए कम वैश्विक सजा दर पर ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है, जिसका अनुमान प्रत्येक दस मामलों में केवल एक में जताया जाता है।
3 नवंबर, 1957 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई, जब सोवियत संघ ने पहली बार स्पुतनिक-2 स्पेसक्राफ़्ट से लाइका नाम की स्ट्रीट फ़ीमेल डॉग को अंतरिक्ष में भेजा. वैज्ञानिक दावा करते हैं कि लाइका को स्पेस में भेजने के प्रयोग ने इंसानों के अंतरिक्ष तक पहुंचने का रास्ता साफ किया
कहानी में एक औरत अपने जीवन के खालीपन को भरने के लिए क्या रास्ता अपनाती है ?विवेक श्रीवास्तव की कहानी चैट में जानते हैं ,अमित तिवारी की आवाज में
कहानी बेहद भावपूर्ण है एक लेखक निशिकांत अपने दोस्त रमेश के पास जाता है जो एक अनाथालय चला रहा है | बंगाल से आई एक प्यारी सी मासूम अनाथ लड़की मीनू से उसकी मुलाकात होती है |निशिकांत के जीवन में मीनू की क्या भूमिका रहती है और क्या है मीनू का अतीत? विष्णु प्रभाकर की कहानी मुक्ति में जानते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में…
दुराचारी दुःशासन सभी बड़ों और गुरुजनों के सामने द्रौपदी के साथ अभद्र व्यवहार करता है और द्रौपदी का चीर हरण करने के लिए आगे बढ़ता है किंतु द्रौपदी को अपने तत्व पर सतीत्व पर पूर्ण विश्वास है और कहती है सत्य की हमेशा जीत होती है सत्य की ही जीत होती है|
जीवन में फैशन, पैसे की प्रति एक-दूसरे से होड़ , पाश्चात्य संस्कृति को हमेशा फॉलो करते रहना जैसी कई बातें बहुत शीघ्रता से हावी हो जाती है |हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं कहीं कुछ कम, तो कहीं कुछ ज्यादा| तो उसी तरीके से मीडिया एक इतनी खतरनाक चीज है कि जिसमें आज की तारीख में कोई संस्कृति और सभ्यता कोई समाज के प्रति लगाव जैसी चीज नहीं रह गई हैं | मीडिया नाम की संस्था वही लोग चला रहे हैं जिनके पास सिर्फ दंगा भड़काऊ बातें हैं, इन बातों से समाज में क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात से बेफिक्र होकर समाज को किस गर्त में पहुंचा रहे हैं ? जानिए इन बातों को कहानी जो मारे जाएंगे में…
हजूर नौकरी करता हूं, जान दे कर सरकार का नमक हलाल कर सकता हूँ पर ईमान नहीं बेच सकता,सरकार मालिक है। मैंने गद्दारी नहीं की, है………. नहीं की, लेकिन खुदा के रूबरू दरोगहलफी करके आकबत नहीं बिगाड़ सकता। यहाँ आप मालिक है, वहाँ वो मालिक है…। ऐसा कुछ कहानी का नायक उबेद कह रहा है | जो बचपन से बस यही सोचता था की मेहनत और सब्र का फल एक दिन मिलेगा ,खुदा सब कुछ देखता है किंतु क्या वाकई उसकी यह सोच सही साबित हुई? क्या वह अपने जीवन की कशमकश में कभी ऐसे मुकाम पर पहुंचा ,जहां उसे वाकई खुदा की मदद मिली हो| पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी खुदा की मदद, नयनी दीक्षित की आवाज में…
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