लचित बरफूकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को अहोम साम्राज्य के एक अधिकारी सेंग कालुक-मो-साई और माता कुंदी मराम के घर हुआ था। उनका पूरा नाम ‘चाउ लाचित फुकनलुंग’ था। लचित को अहोम साम्राज्य के राजा चक्रध्वज सिंह की शाही घुड़साल के अधीक्षक और महत्वपूर्ण सिमलूगढ़ किले के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। बहादुर और समझदार लचित जल्दी ही अहोम साम्राज्य के सेनापति बन गए। ‘बरफूकन’ लचित का नाम नहीं, बल्कि उनकी पदवी थी।
विश्व व्यावसायिक चिकित्सा दिवस हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसे पहली बार 27 अक्टूबर 2010 को मनाया गया था। द वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट (WFOT) व्यावसायिक चिकित्सा पेशे का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें बैश्विक स्तर पर 101 राष्ट्रीय व्यावसायिक चिकित्सा पेशेवर संगठन शामिल हैं।
31 अक्टूबर, 2019 — जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 लागू हुआ। दोनो केंद्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा पद की शपथ दिलवाई गई
एक भारतीय अभिनेता, फिल्म निर्माता, फिल्म निर्देशक, लेखक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा के मूक युग में अपना करियर शुरू किया था । वह इप्टा के संस्थापक सदस्यों में से एक के रूप में जुड़े थे और उन्होंने 1944 में मुंबई स्थित एक ट्रैवलिंग थिएटर कंपनी, पृथ्वी थिएटर की स्थापना की थी। वह हिंदी फिल्मों के कपूर परिवार के पितामह थे , जिनमें से चार पीढ़ियों ने उनसे शुरुआत की थी1969 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया इसके अलावा 1972 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी इन्हें नवाजा गया
3 अक्टूबर 2010 में भारत ने पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों की मेज़बानी की ।खेलों के इतिहास में ये एक नई उपलब्धि थी। 1930 में कनाडा के हेमिल्टन शहर में राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत हुई थी ।जिसे 2010 में भव्य तरीके से दिल्ली में आगाज़ किया गया भारत 101 पदक लेकर दूसरे स्थान पर रहा। 177 पदको के साथ ऑस्ट्रेलिया का प्रथम स्थान रहा।
छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवंबर, 2000 को मध्य प्रदेश से अलग कर किया गया था. मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्व के हिस्से को अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया| Chhattisgarh Foundation Day: देश के 26वें राज्य छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का आज स्थापना दिवस है| छत्तीसगढ़ ने अपना 23 साल का सफर पूरा कर लिया|
बाधाएं और समस्याएं हर कदम पर हमारी प्रगति को रोकने की कोशिश करती है , किंतु हमें हार ना मानकर निरंतर प्रयास करते हुए अपना कर्म करना है | यह संदेश देते हुए यह कविता की पंक्तियां……
भीष्म पितामह द्रौपदी द्वारा उठाए गए प्रश्नों को सर्वथा उचित मानते हैं किंतु साथ में यह कहते हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर धर्म से बंधे हुए हैं अतः इस कारण उन्हें अपनी हार स्वीकार करनी होगी |पत्नी ,पति की अर्धांगिनी होती है इस नाते उनका तुम्हारे ऊपर अधिकार बनता है|
Reviews for: Chhotu Ram – 24 Nov