बीबीसी की शुरुआत ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड के रूप में 18 अक्टूबर 1922 को एक निजी कंपनी के तौर जॉन रीथ ने की थी. 1926 में ब्रिटेन में आम हड़ताल के दौरान प्रसारण का बेखौफ अंदाज जनता को पसंद आया और ये ब्रिटेन की जनता का विश्वास जीतने में कामयाब हुआ
1983 मेंआज ही के दिन देश में पहली बार नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। यह राष्ट्रमंडल देशों का सातवां शिखर सम्मेलन था। इसकी अध्यक्षता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी। यह सम्मेलन 29 नवंबर तक चला।
4 नवंबर, 1845 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के शिरढोणे गांव में जन्मे वासुदेव बलवंत फड़के ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का संगठन करने वाले पहले क्रांतिकारी के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने ही 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद आज़ादी के महासमर की पहली चिंगारी जलाई थी
गुरु नानक देव जी की 500 जयंती के अवसर पर अमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।यह पंजाब राज्य विधानमंडल द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था। विश्वविद्यालय को यूजीसी द्वारा “उत्कृष्टता की क्षमता वाले विश्वविद्यालय” का दर्जा भी दिया गया है।
गणेश वासुदेव मावलंकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष थे। उन्हें ‘दादासाहेब’ के नाम से भी जाना जाता था। वे अहमदाबाद लोकसभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रुप में लोकसभा में निर्वाचित हुये थे। उन्होने भारतीय संसदीय संस्थान में एक उत्कृष्ट वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
संयुक्त राष्ट्र ने 16 अक्टूबर 1945 को विश्व खाद्य दिवस मनाने की शुरुआत की. संयुक्त राष्ट्र ने 16 अक्टूबर 1945 को रोम में “खाद्य एवं कृषि संगठन” की स्थापना की. उसके बाद “कॉन्फ्रेंस ऑफ द फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन” ने साल 1979 से विश्व खाद्य दिवस मनाने की घोषणा की
दो मित्र – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कहानी यह दर्शाती है कि चाहे सत्ता की लड़ाई हो ,दो देशों के बीच की लड़ाई हो, या अपने अपने ईगो की लड़ाई हो, सत्ता धारियों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता बल्कि इस बात का खामियाजा़ एक आम आदमी ही उठाता है। इस कहानी में लेखक ने दो मित्रों को के द्वारा बेवज़ह मारे जाने वाले लोगों का उल्लेख किया है। वह दो मित्र जो फ्रांस में रह रहे हैं और किस तरह भुखमरी गरीबी और तकलीफ़ से गुजर रहे हैं और किस तरह इस लड़ाई में मारे जाते हैं ?दो मित्रों को केंद्र बनाकर लेखक ने बेवज़ह मारी जा रही जनता का मार्मिक वर्णन किया है,जिसे नयनी दीक्षित ने उसे उतनी ही भाव प्रधान आवाज़ में पेश किया है।
जब कवि सम्मेलन में नेताओं की ऐसी फजीहत देखी तो मेरे तन बदन में आग लग गई। मैंने अपनी कहानी द्वारा कवि महाशय को प्रत्युत्तर देने के लिए एक सर्वगुण संपन्न नेता को गरीब परिवार में जन्म दिया। किंतु गरीबी के कारण वह पथ से भ्रष्ट होकर चोर बन गया । मैंने उसको खत्म कर दिया ,और एक बार फिर हौसला करके एक नए नेता की नए परिवेश में रचना की। वह करोड़पति सेठ के घर जन्मा किंतु उसकी रईसी ने उसे पथ से डिगा दिया और मुझे उसको भी खत्म करना पड़ा। लेकिन अब फिर एक बार हिम्मत न जुटा पाई और मैं हार गई।
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