किसी पर जुल्म करने के बाद वास्तव में मन की स्थिति क्या होती है? जानिए शायर की नज़र से…
शायर सोच रहा है जब हम किसी से मिले तो हमारे बीच ना कोई सियासत की बात हो ना ही कोई हिकमत अथार्त ज्ञान की बात हो ,तो आखिर शायर किस तरह की बात करना चाह रहा है ?जानिए शायर की नज़र से…
शायर कह रहा है कि उसकी ग़ैरत अथार्त उसकी modesty को क्यों नहीं लोगों ने समझा आज उसके पास सब कुछ है, लेकिन फिर भी वह तन्हा है सुनिए शायर अनिमेष की नज़र से…
शायर का मानना है जब वह मुफ़लिसी की स्थिति अथार्त गरीबी की स्थिति में था तब उसे अपने और परायों की सही पहचान हुई..। कैसे जानिए शायर की नज़र से…
हम जीवन में बहुत से किरदार अर्थात रिश्ते निभाते हैं लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर हम सिर्फ़ एक आदमी बन कर रहे तो कैसा लगेगा? जानिए शायर की नज़र से..
शायर का मानना है कि वह अपना सब कुछ लुटा चुका है फिर भी उसने फायदे का सौदा किया है। जाना नहीं चाहेंगे कैसे ?
शायर का मानना है कि वह अपना सब कुछ लुटा चुका है फिर भी उसने फायदे का सौदा किया है। जाना नहीं चाहेंगे कैसे ?
माना तो जाता है कि प्यार में शैतान भी इंसान बन जाते हैं लेकिन ऐसा भी होता है कि प्यार में इंसान शैतान भी सकता है। आखिर कैसे? जानिए शायर की नज़र से…
शायर सोच रहा है जब हम किसी से मिले तो हमारे बीच ना कोई सियासत की बात हो ना ही कोई हिकमत अथार्त ज्ञान की बात हो ,तो आखिर शायर किस तरह की बात करना चाह रहा है ?जानिए शायर की नज़र से…
शायर कह रहा है कि उसकी ग़ैरत अथार्त उसकी modesty को क्यों नहीं लोगों ने समझा आज उसके पास सब कुछ है, लेकिन फिर भी वह तन्हा है सुनिए शायर अनिमेष की नज़र से…
हम जीवन में बहुत से किरदार अर्थात रिश्ते निभाते हैं लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर हम सिर्फ़ एक आदमी बन कर रहे तो कैसा लगेगा? जानिए शायर की नज़र से..
दिल्ली शहर में रहने वाली एक युवती है मीनू | मीनू को अक्सर एक अनजान युवती बार बार मिलती है और किसी ना किसी बहाने उसकी मदद भी करती है |अचानक एक दूसरे शहर आगरा में मीनू की मुलाकात नमिता से होती है जो हूबहू वही अनजान युवती है ,किंतु नमिता इस बात से इंकार करती है कि मीनू और उसकी मुलाकात पहले कभी हुई है | क्या यह मीनू का भ्रम है या फिर इसके पीछे कोई कहानी |जानने के लिए सुनते हैं कहानी वह कौन थी
जब तक बातें होती रहतीं, उन्हें लगता कि वे एक चलती-फिरती, जीती-जागती दुनिया से जुड़े हुए हैं, वरना इस शहर के अनजाने चेहरों के समुद्र में एक भी पहचाना चेहरा उन्हें नजर नहीं आता था। तब उनकी मनःस्थिति एक भटके हुए जहाज की हो जाती। कहाँ जाएँ… क्या करें… सब कुछ अपरिचित… अटूट एकाकीपन| विधुर रविंद्र बाबू अपने बेटे- बहू के पास आए हुए | बेटा और बहू दोनों नौकरी- पेशा है |घर में सारी सुविधाएं होने के बावजूद एकाकीपन परेशान कर रहा है एकाकीपन से बचने के लिए यहां -वहां लोगों से अपना परिचय बढ़ा रहे हैं किंतु क्या यह उनका प्रयास उनका एकाकीपन दूर कर पाता है? क्या होता है आगे रविंद्र बाबू जी की जिंदगी में ?जानने के लिए सुनते हैंअंजना वर्मा जी के द्वारा लिखी गई कहानी यहाँ-वहाँ हर कहीं,पूजा श्रीवास्तव जी की आवाज में…
मि. कानूनी कुमार, एम.एल.ए. अपने आँफिस में समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और रिपोर्टों का एक ढेर लिए बैठे हैं। देश की चिन्ताओं से उनकी देह स्थूल हो गयी है; सदैव देशोद्वार की फिक्र में पड़े रहते हैं जिन कानूनी कुमार जी का देश की समस्याओं से मन हमेशा परेशान रहता है आखिर उनके घर की कानून व्यवस्था के का क्या हाल है जानने के लिए सुनते हैं हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी मिस्टर कानूनी कुमार ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
उर्वशी एक आधुनिक लड़की है जो होशियार होने के साथ ही जीवन में कुछ कर दिखाने की चाहत रखती है। प्रेम विवाह कर पति से उपेक्षित होने के बाद भी उसने हिम्मत न हारते हुए अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने की चाहत को पूरा करने का प्रयास किया जिसमें उसकी खूबसूरती ही उसके लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसकी जिंदगी एक कटी पतंग की तरह झूलने लगी।
एक आलीशान कॉलोनी के बीच में एक मैदान जहां पर गरीब बस्ती के लोग ,बच्चे खेलते- कूदते आते -जाते और सर्दियों में धूप सेंकते हैं किंतु आलीशान बंगलों में रहने वालों को यह बात नागुज़ार है तो क्या ये अमीर लोग अपनी झूठी शान के ख़ातिर उस मैदान के साथ ऐसा कुछ करेंगे कि जिससे कोई गरीब आदमी उस मैदान में आये ही ना । क्या होगा? जानने के लिये सुनतें हैं अंजना वर्मा की कहानी नंदन पार्क ,विनीता श्रीवास्तव की आवाज़ में..
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