राजा विक्रमादित्य जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और कोई न था | राजा को एक बार दो व्यक्ति दिखाई दिए एक मानव मुण्डों की माला पहने बीभत्स दिखने वाला कापालिक है तथा दूसरा एक बेताल है |उन दोनों में किसके लिए द्वंद चल रहा है और राजा किस प्रकार निर्णय देते हैं इस रोचक कहानी को आवाज दी है शिवानी आनंद में..
महाभारत का युद्ध प्रारंभ से ही बड़ा ही भयंकर रूप ले चुका था| भीष्म पितामह के रहते हुए पांडव पुत्रों की विजय असंभव दिखाई पड़ रही थी| किंतु भीष्म ने स्वयं अपनी मृत्यु का रहस्य श्री कृष्ण के समक्ष रख दिया |महाभारत के युद्ध में पितामह भीष्म की किस प्रकार मृत्यु हुई और अर्जुन पुत्र अभिमन्यु ने किस प्रकार वीरगति को प्राप्त किया? इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी भीष्म -अभिमन्यु वध ,शिवानी आनंद की आवाज में…
महाभारत के युद्ध की तैयारी किस प्रकार हुई ?श्री कृष्ण को शांति दूत बनाकर हस्तिनापुर क्यों भेजा गया? कुंती और कर्ण के बीच में क्या संवाद स्थापित हुए और किस प्रकार महाभारत युद्ध करने का निश्चय हुआ ?ऐसे ही महाभारत की कुछ रोचक प्रसंगों का उल्लेख है ,महाभारत की कहानियों में से एक कहानी उद्योग पर्व में. जिसे सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में..
पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
विजयनगर में होली और दिवाली का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता था | होली के त्यौहार पर महामूर्ख की उपाधि पाने वाले को पुरस्कार के तौर पर 10000 स्वर्ण मुद्राएं दी जाती थी |तेनाली रामा ने अपनी बुद्धिमत्ता से किस प्रकार यह पुरस्कार जीता ?इस पूरे रोचक किस्से को सुनते हैं तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी महामूर्ख की उपाधि, शिवानी आनंद की आवाज में….
राजा विक्रमादित्य की अतिथि -सेवा की परीक्षा किस प्रकार वरुण देव ने ली और उस परीक्षा का क्या नतीजा निकला ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-छठी पुतली- रविभामा शिवानी आनंद की आवाज में
चौथी पुतली कामकंदला की कथा से भी विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना का पता चलता है कैसे ?पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानी सिंहासन बत्तीसी-चौथी पुतली कामकंदला शिवानी आनंद की आवाज में…
नवीं पुतली- मधुमालती ने जो कथा सुनाई उससे विक्रमादित्य की प्रजा के हित में प्राणोत्सर्ग करने की भावना झलकती है। कैसे ?पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-नवीं पुतली – मधुमालती शिवानी आनंद की आवाज में…
राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपना योग बल से उन्होंने यह भी जान लिया था कि उनका अंतिम समय काफी निकट आ गया है विक्रमादित्य की मृत्यु के पश्चात उनका पुत्र सिंहासन पर नहीं बैठ पाया, अंत में उनके पुत्र ने राजा विक्रमादित्य के सिंहासन के लिए क्या और कैसे निर्णय लिया ? इस पूरी कहानी इकत्तीसवीं पुतली कौशल्या विक्रमादित्य की मृत्यु को जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में ..
राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। एक आदमी ने अद्भुत कारीगरी का काठ का घोड़ा विक्रमादित्य को महंगे दाम में बेचा | आगे क्या हुआ पूरा जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में कहानी सिंहासन बत्तीसी-आठवीं पुतली पुष्पवती
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