शायर ने उस इश्क का जिक्र किया है जो किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी टूटता नहीं है और हमेशा वैसे का वैसा ही बना रहता है |इश्क (प्रेम )हार- जीत से बहुत ऊपर होता है, शायर का मानना है कि इसमें सिर्फ जीता जा सकता है, हारने का तो सवाल ही नहीं होता…
शायर दुनिया से,अपनी जिंदगी से बेज़ार है,उसका दिल कहीं नहीं लग रहा है| वह बे-दिली से पूछता है क्या हमारे दिन यूं ही गुजर जाएंगे ?पूरी ग़ज़ल को सुनते हैं और समझते हैं आमिर के द्वारा ग़ज़ल में…
शायर अपने वतन से शिकायत और अफसोस कर रहा है |ए- वतन तुझे कितनों के बलिदान चाहिए,ताकि तेरे बेरंग गाल अनार के फूल की तरह खिल सके| कितनों की आहे तेरे कलेजे को ठंडक पहुंचा सके! कितनों के आंसू तेरे रेगिस्तान को हरा -भरा कर सके! फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ द्वारा लिखी गई नज़्म “तुझको कितनों के लहू चाहिए “,को सुनते हैं आमिर की आवाज में…
शायर बता रहा है किसी तरह उसकी शाम बस गुजर ही गई |तकलीफ हुई, परेशानी भी हुई लेकिन जुदाई का गम हमसे पूछ कर फिर क्यों याद दिला रहे हो | शायर ने अपने महबूब को याद कर लिया है जिससे उसकी तकलीफ खत्म तो नहीं हुई बस कुछ हद तक कम जरूर हुई है | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ द्वारा लिखी गई नज़्म “शाम ए फिराक “,को सुनते हैं आमिर की आवाज में…
शायर आज अपने रकीब( प्रेम में उसका प्रतिद्वंदी )से कह रहा है कि वह कितना किस्मत वाला है कि उसे वास्तव में उसकी महबूबा का प्यार मिल रहा है, जबकि वह केवल अपनी कल्पनाओं में उसके प्रेम को महसूस कर पाया है| आमिर की खूबसूरत आवाज में सुनते हैं फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म रकीब से…
शायर अपनी महबूबा से रिश्ते खत्म करते हुए,एक हमदर्दी का रिश्ता कायम रखना चाहता है| यह मंज़र दुखदायीहै लेकिन शायर ने अपनी दिलकश अंदाज में अपने जज्बातों को हसीन ढंग से अपनी शायरी में रचा-बसा दिया है| दिल को छू जाने वाली ग़ज़ल जॉन और फ़ारेहा, सुनते हैं आमिर की आवाज में..
शायर बता रहा है किसी तरह उसकी शाम बस गुजर ही गई |तकलीफ हुई, परेशानी भी हुई लेकिन जुदाई का गम हमसे पूछ कर फिर क्यों याद दिला रहे हो | शायर ने अपने महबूब को याद कर लिया है जिससे उसकी तकलीफ खत्म तो नहीं हुई बस कुछ हद तक कम जरूर हुई है | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ द्वारा लिखी गई नज़्म “शाम ए फिराक “,को सुनते हैं आमिर की आवाज में…
कहानी बृहस्पति देव के बेटे कच की है, जो शंकराचार्य के पास अमर जीवन का रहस्य प्राप्त कर स्वर्ग-लोक को जाने के लिए तैयार हैं |जाने से पहले गुरु पुत्री उसकी तथा देवयानी से भेंट करने के लिए आता है, किंतु देवयानी कच को समझाने का प्रयत्न करती है कि संसार में यह मिथ्या होगा कि केवल शिक्षा का मूल है परंतु प्रेम का कोई मूल्य नहीं है | क्या वह देवयानी के प्रेम का उपहास करता है ? क्या वह नारी हृदय की वेदना को समझ पाता है? क्या वह प्रेम के मूल्य को समझ पाता है ? इसे जानने के लिए सुनते हैं रविंद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी प्रेम का मूल्य ,शिवानी आनंद की आवाज में…
शायर आज अपने रकीब( प्रेम में उसका प्रतिद्वंदी )से कह रहा है कि वह कितना किस्मत वाला है कि उसे वास्तव में उसकी महबूबा का प्यार मिल रहा है, जबकि वह केवल अपनी कल्पनाओं में उसके प्रेम को महसूस कर पाया है| आमिर की खूबसूरत आवाज में सुनते हैं फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म रकीब से…
शायर ने बड़े व्यंग्यात्मक ढंग से अपने देश को संबोधित करते हुए कहा है कि अब यहां कोई वतन -परस्त भी सुकून से नहीं रह सकता |यहां पर खास जगह जाने वालों के ऊपर पाबंदी है और जो लोगों को रोक रहे हैं, वह आवारा घूम रहे हैं| फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ द्वारा लिखी गई नज़्म “निसार में तेरी गलियां “को सुनते हैं आमिर की आवाज में…
अपने तज़ुर्बे औरअपने एहसासों को अपनी नज़्म में पूरी तरीके से उड़ेल देने वाले शायर थे सुदर्शन फ़ाकिर ।उनकी कुछ बेहतरीन गज़ल जैसे हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब, आई बरसात तो बरसात में दिल तोड़ दिया ।।बहुत चर्चित रही ।उनके जीवन के कई पहलुओं को जानते हुए उनकी खूबसूरत शायरियों का लुफ़्त लीजिए, आनंद कक्कड़ के साथ..
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pragati sharma