नागार्जुन के काव्य संग्रह हजार- हजार पांव वाली से ली गई रचना उनको प्रणाम… कवि ने अपनी रचना के माध्यम से उन सभी को उन सभी को शत-शत नमन किया है जिनका किसी न किसी रूप में अपनी सेवाओं के द्वारा देश ,समाज आदि के लिए अतुलनीय योगदान रहा है |नागार्जुन के द्वारा लिखी गई इस खूबसूरत प्रेरक रचना को आवाज दी है डॉक्टर पवन मिश्रा
Nazm Subhash ji ki likhi kahani adhoori khwaahish, badi khoobsoorti se, Umrao Jaan, jinke husn aur adaaon ke laakhon deewaane thei, unke dard aur unki man mein dafn ho chuki khwaahishon ka sajeev chitran karti hai. Unki ekAdhoori khwaahish jo bas un
कहानी पाश्चात्य सभ्यता लिवइन रिलेशनशिप आधारित है |प्रतिमा बिना शादी के प्रणव के साथ रह रही है वह उसके बच्चे की मां बनने जा रही है| उसके अनुसार स्वतंत्रता, अस्तित्व, वजूद, पसंद, सब शादी के साथ मिटने लगते है| किन्तु क्या उसे एहसास हो पायेगा कि सारे रिश्ते रस्मों के मोहताज होतें हैं |
बचपन कितना मासूम होता है | कहानी 6- 7 साल की छोटी बच्ची की है जिसका खुद का दिया हुआ नाम है रानी मुखर्जी |बच्ची को एक परिवार गोद लेने के लिए आता है किंतु बच्ची इस बात से पूरी तरीके से अनभिज्ञ है | क्या होता है आगे कहानी में जाने के लिए सुनते हैं संध्या त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी रानी मुखर्जी की गुड़िया,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में आवाज में
तिलिस्मी दुनिया जहां बड़े लोग, बड़े व्यापार, बड़ी पार्टियां, बड़ी सुंदरता ,बड़ी मारकाट ,बड़ी सफलता और चकाचौंध कर देने वाली जिंदगी को पाने के लिए इंसान ऐसी नींद के आगोश में चला जाता है कि उसके कारण वह अपने सच्चे रिश्ते, सच्चा प्यार और यहां तक की अपने से भी प्यार करना भूल जाता है |वह समझ नहीं पाता है कि उस नींद के बाहर की दुनिया अब उसके लिए कितनी अजनबी हो चुकी है ?एक आम -इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में आए हुए कई बदलावों को चित्रित करती हुई धीरेंद्र अस्थाना की कहानी नींद के बाहर ,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में
डॉक्टर ब्रूस एक मनोवैज्ञानिक है | वह ऐसे लोगों पर अपना शोध कर रहे हैं ,जो अपने जीवन से निराश होकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं और पुनः जीवित हो जाते हैं |क्या रहा उनका अनुभव जानने के लिए सुनते हैं अमित जी की आवाज में, सुख की नींद
कहानी में चौबे जी ने पुत्री की चाहत में अपनी पत्नी मंगला की सौतेली मां की बेटी बिन्नी को अपने घर में संरक्षण दिया और उसे पुत्री के समान स्नेह भी किया। कहानी में स्तब्ध कर देने मोड तब आता है जब चौबे जी की पत्नी मंगला की मृत्यु हो जाती है चौबे जी अधेड़ उम्र के हो चुके हैं और बिन्नी एक युवती बन चुकी है। पूरे जीवन जिसे चौबे जी ने पुत्री समान स्नेह दिया आज उनका चित्त बिन्नी को लेकर भ्रमित है और वह पुत्री मान चुके बिन्नी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने जा रहे हैं।किंतु क्या यह मर्यादा के अनुकूल है? कहानी कई दिलचस्प मोड़ से गुज़रती हुई बेहद रोचक है ।मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी भूत आज ही सुनिए सिर्फ़ गाथा पर..
Reviews for: Ann Pachhisi (अन्न पचीसी के दोहे)