जीवन में रिश्ते नहीं ,रिश्तो में जीवन ढूंढो| कनक के पिता की मृत्यु हो चुकी है और कनक विदेश से कानपुर अपनी मां के पास आई है, उसके आने का मकसद अपने एक पिता और उनके दोस्त गुप्ता जी के साझा खरीदे हुए प्लॉट को बेचने का भी है |किंतु कहानी के प्रसंग में ऐसा भी आता है कि कनक अपना इरादा बदल देती है| कहानी का वह प्रसंग क्या है ?क्या कनक पर अपने पिता की परवरिश का रंग चढ़ा हुआ है? पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं नीतू मुकुल के द्वारा लिखी गई कहानी, “रंग जो छूटे नाहि” पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
कविता और शांतनु भाई बहन है |एक समय ऐसा भी था कि दोनों भाई- बहन में असीम प्रेम झलकता था| किंतु आज क्या? क्यों उनके बीच में इतनी दूरियां पैदा हो गई ?आज कविता राखी पर क्या यह दूरियां मिटा आएगी ?पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ जी के द्वारा लिखी गई कहानी आंखों में किरकिराते रिश्ते ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
पत्नि के भाग्य से जुड पति का भाग्य प्रखर होता है। मीनू तू भाग्यलक्ष्मी है मीनू जब मात्र 19 वर्ष की थी तब अपने से उम्र में काफी बड़े साइंटिस्ट विलास जी से उसका विवाह करा दिया गया था | शादी से पूर्व मीनू इस बेमेल विवाह से खुश नहीं थी | किंतु क्या हुआ विवाह के उपरांत मीनू के साथ? क्या वे उस घर की भाग्यलक्ष्मी बन पाई? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी भाग्य लक्ष्मी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
प्रेम में छली गयी स्त्री – ये कहानी है एक अत्यंत सुंदर युवती निम्मी की .. जो वर्षों बाद एक विवाह में शामिल होने वापस अपने घर जा रही है । रास्ते में ट्रेन में उसकी सहयात्री निकलती है उसके बचपन की सखी और फिर याद आती है वो सब बातें जो उस भाग्यवान रूपवती के विवाह निश्चित होने और उसके टूटने की कई घटनाओं से जुड़ी थी । … निम्मी की सहेली ने उसे ऐसा क्या बताया की निम्मी ने आधे रास्ते से ही वापसी कर ली। क्यों नहीं जा पायी निम्मी फिर उस घर में वापस ….
गीति और अनिरुद्ध का प्रेम विवाह हुआ था, किंतु आज एक जरा सी बात पर दोनों का जमकर झगड़ा हुआ| गीति इस झगड़े के बाद अनिरुद्ध का घर छोड़ने का निर्णय कर लेती है किंतु कहानी के एक प्रसंग में गीति अपने निर्णय पर विचार करने लग जाती है |क्या है कहानी का वह प्रसंग जो गीति को अपने निर्णय को बदलने पर मजबूर कर देता है |क्या होगा गीति और अनिरुद्ध के वैवाहिक का ?जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी टिटहरी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
अपनी भावी बहू को ले कर मेरे भी कुछ सपने थे, अरमान थे और बेटा अपनी पसंद से शादी करे मुझे उसमें भी कोई एतराज़ नहीं था। मगर जब ध्रुव ने मीतू यानी मैत्रीय को मेरे सामने ला कर खड़ा किया तो उस दुबली पतली , कटे बालों और ज़ींस टी शर्ट वाली लड़की में मैं अपनी बहू देख ही नहीं पा रही थी । शादी के बाद उसने इस घर को बड़ी सहजता से अपना लिया था पर मैं ना जाने क्यों उसको अपना नहीं पा रही थी । ना जाने क्यों उसकी हर छोटी बात भी मुझे नागवार हो जाती थी .” क्या मीतू अपनी सासू माँ को अपने स्नेहबँध में बांध सकी … सुनिए मालती जोशी जी की कहानी स्नेहबँध मे
कहानी में विक्की के मां-बाप उसकी शादी अपनी मर्जी से कराना चाह रहे हैं विक्की के ना आने पर विक्की की मां विकी के पिताजी की बीमारी का झूठा बहाना बनाती है इधर विक्की भी किसी दूसरे धर्म की लड़की से प्रेम करता है यह बात वह सिर्फ अपनी बहन को बताता है क्या मां-बाप के दबाव में विक्की शादी करेगा बहन का इस संदर्भ में क्या सोचना है मालती जोशी की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर लिखी हुई कहानी शर्मनाक जिसे आवाज दी है शिवानी खरे ने
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर, बिना विषय की गंभीरता समझे अपनी किट्टी पार्टी की सहेलियों के साथ श्रीमती खन्ना की पर्यावरण बचाने की मुहीम पर हास्य व्यंग।
छकौड़ी एक कपड़े का गरीब व्यापारी है स्वदेशी आंदोलन के तहत विलायती चीजों को बेचने पर तावान (हर्जाना) लगता है छकौड़ी अपनी गरीब हालत से तंग आकर विलायती कपड़े बेच देता है जब कांग्रेसियों को इस बात का पता चलता है तो वह छकौड़ी से तावान मांगते हैं क्या छकौड़ी अपनी गरीबी स्थिति में तावान दे पाता है प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी तावान में जानते हैं भूपेश पांड्या की आवाज में
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