भारत के सर्वाधिक करिश्माई नेताओं में से भारत रत्न विजेता अटल बिहारी वाजपेई को 1994 में भारत का सर्वश्रेष्ठ सांसद चुना गया 1996 और 1998 में वे दो बार प्रधानमंत्री बने 1977 में UN में अपना पहला हिंदी में भाषण दिया UN जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और हिंदी भाषा का उन्होंने मान बढ़ाया।
झलकारी बाई (22 नवंबर 1830 – 4 अप्रैल 1857) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को गुमराह करने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेज़ों के हाथों पकड़ी गयीं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया।
बीबीसी की शुरुआत ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड के रूप में 18 अक्टूबर 1922 को एक निजी कंपनी के तौर जॉन रीथ ने की थी. 1926 में ब्रिटेन में आम हड़ताल के दौरान प्रसारण का बेखौफ अंदाज जनता को पसंद आया और ये ब्रिटेन की जनता का विश्वास जीतने में कामयाब हुआ
भारतीय नृत्य सम्राट शंभू महाराज का वास्तविक नाम ‘शंभूनाथ मिश्रा’ था। नृत्य के संग ठुमरी गाकर उसके भावों को विभिन्न प्रकार से इस अदा से शंभू महाराज प्रदर्शित करते थे कि दर्शक मुग्ध हुए बिना नहीं रह सकते थे ।शंभू महाराज को 1967 में ‘संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप’ से तथा 1956 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।
6 नवंबर 1861 को कनाडा के ओंटारियो में अलमोंटे शहर में जेम्स नाइस्मिथ का जन्म हुआ। उन्होंने मैकगिल यूनिवर्सिटी से शारीरिक शिक्षा में ग्रेजुएशन किया। साल 1959 को स्प्रिंगफील्ड, मैसाचुसेट्स में जेम्स नाइस्मिथ को बास्केटबॉल हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया। खेल को ऐसे समय में पेश किया गया, जब स्कूलों को अलग कर दिया गया था।
जम्मू-कश्मीर रियासत को पाकिस्तान से बचाने के लिए महारजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी थी. तब की नेहरू सरकार ने महाराजा के साथ विलय करने की शर्त रखी थी. 26 अक्टूबर 1947 को विलय होते ही भारतीय सेना ने पाक कबायलियों को खदेड़ दिया था. 26 अक्टूबर 1947 के दिन ही जम्मू-कश्मीरभारतीय संघ का हिस्सा बना था |
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दुःशासन नारी को वासना एवं भोग की वस्तु कहता है।वह नारी के प्रति रूढ़िवादी दृष्टिकोण रखता है |वह नारी को भोग्या और पुरुष की दासी मानता है। वह नारी कीदुर्बलता का उपहास उड़ाता है|
निशिकांत एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत है |12 साल की नौकरी में बहुत खुश नहीं है| अपनी योग्यता के हिसाब से ही पद की इच्छा रखता है | वास्तव में उसकी इच्छा अपने देश की स्वतंत्रता में योगदान देने की है| ऐसे में आखिर उसके साथ क्या होता है ?क्या होता है आगे निशिकांत की जीवन में ?जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर की द्वारा लिखी गई कहानी अरुणोदय, नयनी दीक्षित की आवाज में
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