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Introduction

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Nobel Prize – 27 Nov

Nobel Prize – 27 Nov

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27 नवंबर 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी आखिरी वसीयत लिखी थी। इसी वसीयत के आधार पर नोबेल पुरस्कारों की स्थापना हुई। 1901 में पहली बार नोबेल पुरस्कार दिए गए। अब तक 975 शख्सियत और संस्थानों को 609 नोबेल पुरस्कार मिल चुके हैं।

Ganesh Vasudev Mavalankar – 27 Nov

Ganesh Vasudev Mavalankar – 27 Nov

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गणेश वासुदेव मावलंकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष थे। उन्हें ‘दादासाहेब’ के नाम से भी जाना जाता था। वे अहमदाबाद लोकसभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रुप में लोकसभा में निर्वाचित हुये थे। उन्होने भारतीय संसदीय संस्थान में एक उत्कृष्ट वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई।

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Mirabehn – 22 Nov

Mirabehn – 22 Nov

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मीरा बेन का जन्म इंग्लैंड में साल 1892 को 22 नवंबर के दिन हुआ था। उनका असली नाम मेडेलीन स्लेड था। मेडेलीन मुंबई के नौसेना के ईस्ट इंडीज स्क्वाड्रन में कमांडर इन चीफ के पद पर तैनात सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं। गाँधीजी के व्‍यक्तित्‍व के जादू में बँधी सात समंदर पार देश हिंदुस्‍तान चली आई और फिर यहीं की होकर रह गईं। गाँधी ने उन्‍हें नाम दिया था – ‘मीरा बेन’।

Guru Nanak Dev University – 24 Nov

Guru Nanak Dev University – 24 Nov

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गुरु नानक देव जी की 500 जयंती के अवसर पर अमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।यह पंजाब राज्य विधानमंडल द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा स्थापित किया गया था। विश्वविद्यालय को यूजीसी द्वारा “उत्कृष्टता की क्षमता वाले विश्वविद्यालय” का दर्जा भी दिया गया है।

Lachit Borphukan – 24 Nov

Lachit Borphukan – 24 Nov

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सर छोटू राम, (जन्म-24 नवंबर 1881 – 9 जनवरी 1945) ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के एक प्रमुख राजनेता एवं विचारक थे। उन्होने भारतीय उपमहाद्वीप के ग़रीबों के हित में काम किया। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में ‘नाइट’ की उपाधि दी गई।

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Chhotu Ram – 24 Nov

Chhotu Ram – 24 Nov

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लचित बरफूकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को अहोम साम्राज्य के एक अधिकारी सेंग कालुक-मो-साई और माता कुंदी मराम के घर हुआ था। उनका पूरा नाम ‘चाउ लाचित फुकनलुंग’ था। लचित को अहोम साम्राज्य के राजा चक्रध्वज सिंह की शाही घुड़साल के अधीक्षक और महत्वपूर्ण सिमलूगढ़ किले के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। बहादुर और समझदार लचित जल्दी ही अहोम साम्राज्य के सेनापति बन गए। ‘बरफूकन’ लचित का नाम नहीं, बल्कि उनकी पदवी थी।

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Episode 1

क्या ऐसी कोई इमारत आपने देखी है जिसके अंदर बनी हुई सालों पुरानी कब्र से मुर्दा निकलकर लोगों का मर्डर कर दे? और आखिर वह मुर्दा ऐसा क्यों कर रहा है? क्या सचमुच उसके अंदर मुर्दा है या कहानी कुछ और ही है ?क्या इस सीरीज़ का जासूस इमरान इन लोगों का पता लगा पाएगा? कौन है यह मुर्दा? मुर्दा है या फिर कोई जिंदा व्यक्ति? कौन कातिल है और कौन शिकारी ? इब्रेसफ़ी की सस्पेंस और थ्रिलर से भरपूर कहानियों की सीरीज़ सुनिए ख़ौफ़नाक इमारत मे, नयनी दीक्षित की आवाज़ में…

Episode 1

यह कैसा इंसान है जो एक बेख़ौफ़ मुज़रिम है और बेहद दिलेर ।जिसे अपना गुनाह कुबूल करने में कोई हिचक भी नहीं, उसकी दिलेरी तो देखिए उसे अपने पकड़े जाने का भी कोई भय नहीं।लेकिन इंस्पेक्टर फ़रीदी भी कुछ कम नहीं, वो ऐसे दिलेर मुज़रिम से कैसे सामना करता है जो रहस्य की दुनिया का अजीब सा शाका बना हुआ है? उसके गुनाहों को कुबूल कराते उसे कैसे उसी के ज़ाल में फंसाता है?और कैसे सज़ा दिलवाता है ? यह कहानी का बहुत बड़ा सस्पेंस है। यह दिलेर मुज़रिम कौन है ?और आखिर उसकी इतनी दिलेरी दिखाने के के पीछे क्या राज़ छुपा हुआ है ?इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं इब्रेसफ़ी के द्वारा लिखी गई कहानी दिलेर मुज़रिम नयनी दीक्षित की आवाज़ में…

Episode 1

इब्ने सफ़ी अपने जानदार जासूसी उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं । जिसमें बहुत सारी कल्पना और जानकारियाँ शामिल होती है। नकली नाक कहानी का मुख्य किरदार जैसे जाबिर एक चालबाज बूढ़ा है जाबिर बेहद पेचीदा श़ख्स है जिसे किसी भी किस्म का इंसानी ज़ज्बा छू भी नहीं पाता और वह आखिर में फ़रीदी जैसे होशियार डिटेक्टिव को भी चकमा देकर हर बार निकल जाता है ।क्या अंत में जाबिर पकड़ा जायेगा ?मगर कैसे? जासूसी कथा नकली नाक मेंजानिए नयनी दीक्षित की आवाज. में…1

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