सुधा अरोड़ा की कहानियां आम लोगों के जीवन से कहीं ना कहीं जुड़ी हुई होती है |कहानी सत्ता संवाद में स्पष्ट रूप से इस बात की झलक मिलती है |कहानी में घर की सत्ता घर की महिला के पास है कहानी में घर की मुख्य कर्ताधर्ता महिला किस प्रकार का व्यवहार करती है? ऐसे में वह किस प्रकार घर में सभी से संवाद करती है?इसे बेहद रोचक ढंग से कहानी में प्रस्तुत किया गया है|
राघव अपनी अमेरिकन बीवी स्टेला और दो बच्चों – पॉल और जिनि के साथ भारत अपने मां-बाप के यहां आया हुआ है | जिनि, जो बस चार महीने की है| अब कहानी में दो पीढ़ियों में बच्चों की परवरिश को लेकर एक अंतर स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है |कैसे? इसे जानने के लिए सुनते हैं सुधा अरोड़ा के द्वारा लिखी गई कहानी सुरक्षा का पाठ ,शिवानी आनंद की आवाज में..
सुधा अरोड़ा की कहानी करवाचौथी औरत स्त्रियों की स्थिति पर एक तीखा व्यंग्य है।
यह कहानी बड़े ही चुटीले अंदाज़ में समाज की उस मानसिकता को उजागर करती है, जहाँ स्त्री का व्रत, उसका त्याग और उसका प्रेम परिवार के लिए उतनी अहमियत नहीं रखता, जितना एक पालतू कुत्तिया के नखरे और लाड़–प्यार रखते हैं।
लेखिका इस तुलना के माध्यम से यह बताती हैं कि किस तरह एक औरत, जो करवाचौथ जैसे व्रत पर अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए दिनभर भूखी-प्यासी रहती है, उसकी भावनाएँ और उसके बलिदान की उपेक्षा कर दी जाती है। घर के लोग उसे वह सम्मान और संवेदना नहीं देते, जिसकी वह हक़दार है। बल्कि, उसके स्थान पर एक कुत्तिया के छोटे–मोटे नखरे और इच्छाएँ ज़्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
इस कहानी का व्यंग्य केवल चुभता ही नहीं, बल्कि पाठकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करता है—
👉 आखिर समाज में औरत की जगह कहाँ है?
👉 उसका व्रत, उसकी निष्ठा और उसका त्याग क्यों अक्सर हल्के में लिया जाता है?
👉 क्या एक औरत का अस्तित्व केवल परंपराओं और व्रतों तक सीमित है?
सुधा अरोड़ा की लेखनी में व्यंग्य का यह तीखा पुट, हमें समाज के आईने में झाँकने पर मजबूर करता है और यह सोचने पर विवश करता है कि— क्या आज भी स्त्री की असल अहमियत पहचानी जा रही है?
सुधा अरोड़ाअरोड़ा की लिखी कहानी डेजर्ट फोबिया उर्फ समुद्र में रेगिस्तान ,जिसमें कहानी की नायिका उस पड़ाव में पहुंच चुकी है जब वह बिल्कुल अपने आप को एकाकी महसूस कर रही है | यह एकाकीपन उसके चित्रों में साफ झलक रहा है |आज उसके घर की खिड़की से दिखाई देने वाला गहरा नीला समंदर भी मटमैला होते-होते मानो एक हताश रेगिस्तान में तब्दील हो चुका है | नायिका क्यों ऐसा महसूस कर रही है ?क्यों है नायिका के जीवन में इतना एकाकीपन ?
बाँकुड़ा में रहने वाली एक लड़की अन्नपूर्णा शादी के बाद मुंबई जा बसी है |आज 1 साल के बाद हो अपने मां -बापू को खत लिख रही है| बचपन में बरसात के आने पोखर पर जाकर के केंचुओं को मार देती थी जो उसके लिए आनंद का कार्य था किंतु आज वही अन्नपूर्णा को बरसात अच्छी नहीं लगती और केंचुओं से उसे डर लगता है क्यों ? ऐसा क्या हो गया अन्नपूर्णा के साथ जो उसके लिए जो आनंद था आज मैं उसका भय का कारण हो गया? इसे जानने के लिए सुनते हैं सुधा अरोड़ा के द्वारा लिखी गई कहानी अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी, शिवानी आनंद की आवाज में…
सुधा अरोड़ा के द्वारा लिखी गई कहानी रहोगी तुम वही, में देखा जाए तो ऐसी वास्तविकता से परिचय कराया गया है जिसमें एक पति वास्तव में अपनी पत्नी से क्या चाहता है? एक पति अपनी पत्नी को किस रूप में देखना चाहता है? खुद पति को भी मालूम नहीं होता नहीं होता और और फिर भी वह अपनी और अपनी दुविधा का दोष भी वह सिर्फ पत्नी पर डालता है | जानते हैं कैसे ?इसी बात को बेहद रोचक ढंग से कहानी में प्रस्तुत किया गया है ,शिवानी आनंद की आवाज में..
एक बार तेनालीराम, महाराज कृष्ण देव राय जी से रूठ गए और उन्होंने दरबार आना बंद कर दिया | जब महाराज को तेनालीराम की कमी महसूस होने लगी तो उन्होंने उन्हें बुलाने की बात सोची लेकिन यह क्या? तेनालीराम तो कई दिनों से अपने घर भी नहीं गए , आखिर तेनालीराम कहां है और राजा ने किस प्रकार उनकी खोज की? इस पूरे रोचक किस्से को सुनते हैं तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी तेनालीराम की खोज शिवानी आनंद की आवाज में
महाभारत की कहानियों में से एक कहानी है “अश्वत्थामा और अर्जुन का युद्ध “ | महाभारत के युद्ध में एक ऐसा भी समय आया जब अर्जुन ,अश्वत्थामा के आगे निष्प्रभावशाली दिखाई दिए | इस प्रसंग का पूरा वर्णन सुनते हैं, शिवानी आनंद की आवाज में |
महामाया और राजीव लोचन बचपन के साथी हैं। राजीव महामाया से प्रेम करता है किंतु एक दिन महामाया और राजीव को साथ देख महामाया का भाई उसका विवाह एक मरनासन्न बूढ़े से करवा देता है, जिसके अगले ही दिन महामाया विधवा हो जाती है तथा किसी तरह सती प्रथा के नाम पर जलती हुई चिता से बचकर भागने में सफल हो जाती है। वह राजीव के साथ इस शर्त पर रहना मंजूर करती है कि वह जीवन भर उसका अवगुंठन नहीं हटाएगा। एक रात राजीव खुद को रोक नहीं पाता और महामाया को हमेशा के लिए खो देता है।
विक्रमादित्य के सिंहासन की दूसरी पुतली चित्रलेखा द्वारा सुनाई गई कहानी जिसमें एक साधु विक्रमादित्य को एक फल देता है और उसे एक यशस्वी पुत्र की प्राप्ति होने का वरदान देता है |क्या है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में कहानी विक्रम और बेताल की कहानियों में से एक कहानी सिंघासन बत्तीसी -दूसरी पुतली चित्रलेखा
सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते -काटते लोगों की उम्र बीत जाती है , पर काम कुछ नहीं होता है | ऐसा ही कुछ एक अधेड़ उम्र के आदमी के साथ हो रहा है| वह व्यक्ति अपने को परमात्मा का कुत्ता कहता है और सरकारी दफ्तर के लोगों को सरकारी कुत्ता |आखिर क्यों? समझते हैं उसकी पीड़ा को मोहन राकेश जी के द्वारा लिखी गई कहानी परमात्मा का कुत्ता में सुमन वैद्य जी की आवाज में….
तीसरा आदमी उस जिम्मेदार मध्यवर्गीय व्यक्ति की कहानी है, जो रोज़-रोज़ की तौल-मटोल में कहीं खो गया है।
घर में, दफ्तर में, हर जगह अपनी जगह जमी रही “दूसरी आवाज़” ने उसकी पहचान का हिस्सा बन लिया। लेकिन अब वह उसी आवाज़ से बाहर आकर अपनी सच्ची पहचान तलाशना चाहता है।
मन्नू भंडारी ने इस कहानी में उस तीसरे आदमी को उतारा है — जो न पूरी तरह ‘पहला’ है, न ‘दूसरा’। वो है उस खुद की आवाज़ की तलाश में…
📋 सारांश
शेरा बाबू दफ्तर में छोटे-क्लर्क की नौकरी करता है; घर में पत्नी, ससुराल, बेहतर दर्जे की नौकरी — सब उसका वजूद घेर लेते हैं।
उस पर लगातार दबाव बनता रहा, उसकी भूखें, उसकी आवाज़ों, उसकी आत्मा की कहानियाँ दबती गईं।
वो एक पत्रिका निकालने की योजना बनाता है — लेकिन एक स्व-सृजित आवाज़ बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता।
कहानी का “तीसरा आदमी” वह है — वह आवाज़ जो उसने दबाई है, वह व्यक्ति जो उसने बनने से इंकार कर दिया है।
अंत में, वो उसी स्थिति में है — पूरे अस्तित्व के साथ ज़िंदा, लेकिन अपनी आवाज़ खो चुका — अपने भीतर उभरे प्रश्नों के साथ।
🔍 सुनने की वजह
इस कहानी में आपको मिलेगा अपने अंदर की आवाज़ का प्रतिबिंब — जो रोज़ कोई ‘दूसरा’ बनकर खामोश हो जाता है।
कहानी की भाषा सरल लेकिन बहुत गहरी है — मन्नू भंडारी की विशिष्ट शैली में, आप महसूस कर सकते हैं जीवन-थकान, चाह लेकिन चुप्पी, और अंत में एक सशक्त विरोध।
Gaatha पर सुनना विशेष इसलिए होगा क्योंकि रूप-रेखा नहीं, भावना-दस्ताना सुनाई देगी — शब्दों के हल्के काँप-सकते स्वर, भीतर की हलचल, और वहीं-वहीं ठहरी हुई पहचान की आवाज़।
मक्रील का दृश्य बेहद सुहावना है वहां एक वृद्ध कवि अपने स्वास्थ्य सुधार के लिए आता है | मक्रील में कवि का भव्य स्वागत होता है| वृद्ध कवि मक्रील की नदी देखना चाहता है |तभी उसकी मुलाकात उसी होटल में खूबसूरत युवती से होती है| इसके बाद कहानी में एक बहुत बड़ा बदलाव आता है| वृद्ध कवि और उस खूबसूरत युवती के बीच क्या हुआ ?यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी मक्रील में जानते हैं, सुमन वैद्य जी की आवाज में
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
एकाक्षर – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में संकल्प खन्ना और खुर्शीद पति-पत्नी है। संकल्प खन्ना की आयु करीब साठ वर्ष की है ,जो पेशे से एक प्रोफेसर है। उनका दांपत्य जीवन ठीक-ठाक चल रहा होता है। लेकिन जब से संकल्प खन्ना की रूचि सोशल -मीडिया, फेसबुक व्हाट्सएप पर बढ़ने लगी है, खुर्शीद को संकल्प खन्ना के व्यवहार में परिवर्तन महसूस होने लगा है ।ऐसी क्या वजह हो सकती है कि संकल्प खन्ना को अपनी वास्तविक दुनिया से काल्पनिक दुनिया में रहना ज्यादा पसंद आने लगा है? क्या संकल्प खन्ना के जीवन में खुर्शीद के अलावा किसी और ने जगह बना ली है ?या फिर ऐसा भी हो सकता है कि खुर्शीद बेवज़ह ऐसा- वैसा सोच रही है। कुछ भी हो सकता है। पूरी कहानी जानने के लिए सुने ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी एकाक्षर -प्रेम ,जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
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