नारी हृदय को समझना अपने आप में एक पहेली है इसी स्थिति को उजागर करती हुई है कहानी जिसमें रामदयाल एक फिल्म अभिनेता है जिसकी विवाह उर्मिला नाम की स्त्री से हुआ है रामदयाल द्वारा एक लेख पढ़ा जाता है जो नारी स्वभाव से संबंधित होता है लेख को अपने जीवन में यथार्थ करने के उद्देश्य से रामदयाल किस प्रकार की भूल कर बैठता है जानते हैं उपेंद्रनाथ अश्क द्वारा लिखी गई बेहद रोचक और हृदयस्पर्शी कहानी पहेली अमित तिवारी जी की आवाज में
रामदयाल एक श्रेष्ठ अभिनेता है| रामदयाल का विवाह उर्मिला से होता है जो कि सुंदर- सुशिक्षित और उच्च घराने की है युवती है |रामदयाल नवयुग पत्रिका में प्रकाशित एक महिला अंक को पढ़कर उसकी विवेचना करते -करते उसे अपने जीवन में सत्यापित करने का प्रयास करता है| और उसी प्रयास के जरिए उससे एक बहुत बड़ी भूल हो जाती है| रामदयाल ने ऐसा क्या किया पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं उपेंद्र नाथ अश्क द्वारा लिखी गई कहानी पहेली अमित तिवारी जी की आवाज में
तुम हाथ पर हाथ धरे नामर्दों की भाँति बैठे रहोगे, सरदारनी ने कहा, और लोग एक से एक बढ़िया घर पर कब्जा कर लेंगे। इस्लामाबाद की नयी आबादी के मुसलमान जब सामान का मोह छोड़कर लोग भाग जाते हैं तो उनके खाली मकानों पर कब्जा करने लगते हैं |लहना सिंह भी इसी संदर्भ में एक खाली मकान पर कब्जा करना चाहता है मकान में वह अपने घर का सारा सामान के साथ-साथ अपने चारे की मशीन को भी रखकर अपने पत्नी और अपने बच्चों को लेने जाता है उसके वापस आने पर वह देखता है उस कब्जे वाले घर मकान में अब कोई दूसरा आ चुका है | लहना सिंह के साथ आगे क्या होता है ?जानने के लिए उपेंद्रनाथ अश्क के द्वारा लिखी गई कहानी चारा काटने की मशीन ,अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं
रामदयाल एक श्रेष्ठ अभिनेता है| रामदयाल का विवाह उर्मिला से होता है जो कि सुंदर- सुशिक्षित और उच्च घराने की है युवती है |रामदयाल नवयुग पत्रिका में प्रकाशित एक महिला अंक को पढ़कर उसकी विवेचना करते -करते उसे अपने जीवन में सत्यापित करने का प्रयास करता है| और उसी प्रयास के जरिए उससे एक बहुत बड़ी भूल हो जाती है| रामदयाल ने ऐसा क्या किया पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं उपेंद्र नाथ अश्क द्वारा लिखी गई कहानी पहेली अमित तिवारी जी की आवाज में
बंशी रखकर साकी क्षणभर बेगम के पास आकर खडी हुई। उसका शरीर काँपा, ऑंखें जलने लगी, कंठ सूख गया। वह घुटने के बल बैठकर बहुत धीरे-धीरे अपने आंचल से बेगम के मुख का पसीना पोंछने लगी। इसके बाद उसने झुककर बेगम का मुँह चूम लिया। बादशाह जब शिकार से लौटते हैं ,तो अपनी बेगम को बेसुध देखकर बहुत क्रोधित होते हैं |बेगम सलीमा इस बात से अनभिज्ञ होती है ,उसके समीप रहने वाली साकी एक पुरुष है |बादशाह को जब यह ज्ञात होता है तो इसका जिम्मेदार बेगम सलीमा को समझते हैं | बेगम सलीमा बिना किसी खता होने पर भी अपने को इस बात का जिम्मेदार समझते हुए मृत्यु को अपना लेती है | क्या होता है? जब बादशाह को इस बात का पता चलता है कि इस पूरे प्रकरण में उनकी बेगम सलीमा का कोई दोष नहीं था | जानने के लिए सुनते हैं आचार्य चतुरसेन शास्त्री के द्वारा लिखी गई नामालूम सी एक खता ,अमित तिवारी जी की आवाज में…
भारत और पाकिस्तान के पर्वतीय सीमावर्ती इलाके पर कैप्टन समीर और उनका दोस्त पराग शिकार के उद्देश्य से वहां जाते हैं| रात होने पर रैन बसेरा के उद्देश्य से वे दोनों पेड़ों के पीछे छुप कर बैठ जाते हैं सुनसान रात में अपनी आंखों से जो दृश्य देखते हैं उससे वह बहुत अचंभित होते हैं| उन्होंने अपनी आंखों से क्या दृश्य देखा? क्या है उस बात का रहस्य? जानने के लिए सुनते हैं कहानी घुड़सवार सैनिकों की प्रेतआत्माएं ,अमित तिवारी की आवाज में..
मैं तो समझ रहा था कि तुम इस बँगले में‚ इस घटना के बाद रहना नहीं चाहोगी‚ लेकिन आज मैंने समझा कि तुम्हारा विश्वास तो हिमालय से भी ऊँचा है। तुम्हारे विश्वास को कोई तुफान नहीं डगमगा सकता। आज तुमने मेरे विश्वास को टूटने से बचा लिया।”—डिप्टी साहब ने पत्नी की आँखों के आँसू पोंछते हुए भरे कण्ठ से कहा। डिप्टी साहब जी के आज गृह प्रवेश है | तभी खबर आती है कि उनका भतीजा राजुल अब इस दुनिया में नहीं रहा |पूरा माहौल शोक सभा में बदल जाता है ,वहां आए सभी आगंतुक की बातों से डिप्टी साहब का मन शुभ -अशुभ के फेर में पड़ने लग जाता है | कहानी में आगे क्या होता है? जानने के लिए सुनते हैं डॉक्टर जगदीश व्योम जी के द्वारा लिखी गई कहानी शंका का अंकुर, अमित तिवारी जी की आवाज में
इश्क के फितूर से यह दुनिया अनजान सी है किसे यह बीमारी कब लग जाए ,कुछ कहा नहीं जा सकता ??? 11 वर्ष का एक बच्चा प्रियांक अपनी ही कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की पलछिन के प्रति आकर्षित हो जाता है |इश्क का फितूर उसका क्लास दर क्लास बदलता रहता है | परंतु क्या अपने एहसास को कह पाता है ??या फिर उसके एहसास को पलछिन समझ लेती है??? इसे जानने के लिए बेहद खूबसूरत अंदाज में प्रशांत वैष्णव जी की कहानी अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं कहानी इश्को मीटर……
क्यों सरकारी ऑफिस में अपना ही हक पाना मुश्किल होता है जानते हैं ज्योत्सना सिंह के द्वारा लिखी गई कहानी मैं जिंदा हूं
श्रीमती ने बालपन में ही खेल -खेल में मंदिर के एक मुनि को अपना पति स्वीकार कर लिया | अब श्रीमती सयानी हो चुकी है तो उसके सामने विवाह के कई प्रस्ताव आ रहे हैं और वह सब को अस्वीकार कर रही है| क्या वास्तव में श्रीमती को मुनि पति के रूप में प्राप्त होते हैं? क्या मुनि गृहस्थ जीवन स्वीकार करते हैं ? इंद्र चंद्र शास्त्री जी के द्वारा लिखी गई कहानी प्रेम के धागे जानते हैं सुमन वैद्य जी की आवाज में …
एक नौजवान मुसाफिर जो एक अंतहीन सफर पर चला जा रहा है रहा है उसकी अचानक एक सराय खाने की खूबसूरत मालकिन से मुलाकात होती है उसे मालकिन से मोहब्बत हो जाती है मालकिन किंतु बाद में उसका यह भ्रम टूटता है उसके बाद उस मुसाफिर का क्या हुआ पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं एक मुसाफिर की डायरी से मुकेश श्रीवास्तव जी के द्वारा लिखी गई कहानी अमित तिवारी जी की आवाज में
सुधा अरोड़ाअरोड़ा की लिखी कहानी डेजर्ट फोबिया उर्फ समुद्र में रेगिस्तान ,जिसमें कहानी की नायिका उस पड़ाव में पहुंच चुकी है जब वह बिल्कुल अपने आप को एकाकी महसूस कर रही है | यह एकाकीपन उसके चित्रों में साफ झलक रहा है |आज उसके घर की खिड़की से दिखाई देने वाला गहरा नीला समंदर भी मटमैला होते-होते मानो एक हताश रेगिस्तान में तब्दील हो चुका है | नायिका क्यों ऐसा महसूस कर रही है ?क्यों है नायिका के जीवन में इतना एकाकीपन ?
अंगूठी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
ऑफिस का एक मित्र रजत गुप्ता अपने सहकर्मी मिस्टर चावला के घर शनिवार दोपहर खाने पर आता है ।खाना -खाने के बाद अचानक उसे लगता है कि उसके हाथ की सोने की अंगूठी शायद सोफे के किनारे फस गई है ।अब क्या था घर में हलचल मच जाती है सोफे को अलट -पलट सभी तरीके से देखा जाता है ,पर वह अंगूठी नहीं मिलती ।ऐसी दशा में मिस्टर चावला को बैठे-बिठाए क्या- क्या मुसीबत सहनी पड़ रही है ?क्या हुआ उस अंगूठी का, क्या वाकई वह अंगूठी मिल पाई ?रजत गुप्ता की अंगूठी क्या वास्तव में सोफे में थी या कहीं और खोई थी? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों की गुत्थी को सुलझा पायेंगे, जब सुनेंगे ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी अंगूठी ,शैफाली कपूर की आवाज़ में…
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Gaatha
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