एक नौजवान मुसाफिर जो एक अंतहीन सफर पर चला जा रहा है रहा है उसकी अचानक एक सराय खाने की खूबसूरत मालकिन से मुलाकात होती है उसे मालकिन से मोहब्बत हो जाती है मालकिन किंतु बाद में उसका यह भ्रम टूटता है उसके बाद उस मुसाफिर का क्या हुआ पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं एक मुसाफिर की डायरी से मुकेश श्रीवास्तव जी के द्वारा लिखी गई कहानी अमित तिवारी जी की आवाज में
कहानी में एक औरत अपने जीवन के खालीपन को भरने के लिए क्या रास्ता अपनाती है ?विवेक श्रीवास्तव की कहानी चैट में जानते हैं ,अमित तिवारी की आवाज में
प्रोफेसर डी.पी. झा 48 वर्ष की आयु में कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं |अपनी मौत को इतने करीब से महसूस करते हुए वह जीते जी अपने सारे कर्तव्यों को पूरा करना चाहते हैं |वह अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज में देहदान कर देते हैं | उनकी मृत्यु के पश्चात उनके शव के साथ क्या होता है??? बड़े भावपूर्ण रूप में चित्रित किया गया है अभिज्ञात’’ की कहानी कामरेड और चूहे मे…. ,अमित तिवारी जी की आवाज में सुनिए सिर्फ गाथा पर
नेहा ओम बाबू और निरूपा की बेटी है ओम बाबू हद से ज्यादा अपनी बेटी नेहा से प्रेम करते हैं रघु नेहा को स्कूल के दिनों से प्रेम करता है नेहा की खातिर कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहता है इधर नेहा की दोस्ती अर्जुन और फिर रघुवीर से हो जाती है परंतु अचानक से एक दिन कोई दोनों के सिर पर वार कर उन्हें घायल कर देता है नेहा को इस बात की शंका है कि यह काम रघु के द्वारा किया गया है क्या नेहा की शंका सत्य है या इसके पीछे कोई और कारण है प्रेम और सस्पेंस से भरी इस मनोरंज क जुनैद के द्वारा लिखी गई कहानी फितूर को सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज म
बुराई और अपराध के दलदल में एक बार इंसान धसता है ,तो फिर लाख कोशिशों के बावजूद वह निकल नहीं पाता | सत्ता की चकाचौंध में इंसान अपना जमीर अपना सब कुछ गवा देता है | ऐसी कहानी है एक युवा लड़के अभिनव सिंह की क्या होता है उसके साथ ?जानते हैं कहानी “गिरता सूरज “ में ….
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नेक दिल की औरत सुनोबिया ने अपने ससुर की पुरानी हवेली की दिलो जान से देखभाल कीऔर उसका रखरखाव किया | इसी हवेली के एक पुराने कमरे में उसे महसूस हुआ कि वहां पर कोई जिंn बाबा रहते हैं जो उससे बेहद खुश है , किंतु उसके पति रमजान को यह बात रास नहीं आई | किंतु कहानी के अंत में ऐसा घटित हुआ जिससे उसका पति रमजान भी यह मानने को मजबूर हो गया |
काकी कहा करती थीं कि लोग मर जाते हैं लेकिन वास्तव में वे मरते नहीं हैं। बस चोला बदल जाता है। तुम्हारे काका भी मरे नहीं हैं। यहां उनका समय पूरा हो गया था, दाना पानी उठ गया था, इसलिए चले गये। हमें भी साथ ही जाना था, लेकिन हमारा टिकट कहीं खो गया है। दूत लोग ढूंढ रहे होंगे। मिलेगा तैसे ही हमें भी जाना है। ये हां इंतजार कर रहे होंगे। तुम्हारे काका हमसे कहे थे कि हम चल रहे हैं तुम आना। एक वृद्धा है जिसे सब काफी कहते हैं अपने पति की मृत्यु के बाद उसका जीवन कैसा हो जाता है किस प्रकार अपने पति की यादों को सहेज कर रखना चाहती है कृष्णकांत जी के द्वारा लिखी गई कहानी काकी में सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज
गीति और अनिरुद्ध का प्रेम विवाह हुआ था, किंतु आज एक जरा सी बात पर दोनों का जमकर झगड़ा हुआ| गीति इस झगड़े के बाद अनिरुद्ध का घर छोड़ने का निर्णय कर लेती है किंतु कहानी के एक प्रसंग में गीति अपने निर्णय पर विचार करने लग जाती है |क्या है कहानी का वह प्रसंग जो गीति को अपने निर्णय को बदलने पर मजबूर कर देता है |क्या होगा गीति और अनिरुद्ध के वैवाहिक का ?जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी टिटहरी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
एक औरत यह सोचने पर क्यों विवश हो जाती है कि आखिर उसका एक औरत होने के नाते उसका वजूद क्या है ?आज चेतना भी यही सोचने को विवश है जब तक मां-बाप के साथ थी, तब तक उन पर निर्भर थी और आज अपने पति पर निर्भर है। आखिर चेतना ऐसा सोचने के लिए क्यों मज़बूर है ? चेतना के साथ क्या घटित हुआ ?जानिए अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी वज़ूद में शिवानी आनंद की आवाज़ में..
कहानी में दो अनजान लोग जब विवाह का बंधन बन जाता है ऐसे में क्या होता है ?इस इस बात को कहानी की मुख्यधारा में शामिल किया गया है|कहानी के मुख्य पात्र निशिकांत का विवाह एक साधारण रंग -रूप की युवती रजनी से हुआ है |दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे से अपरिचित है| निशिकांत के मन में अपनी नवविवाहिता के लिए कई प्रश्न गूंज रहे हैं जैसे उसका व्यवहार कैसा होगा ?उसके साथ जीवन की दौड़ में सहारा बन पाएगी ? आदि -आदि | इन सब के बीच एक बात और जुड़ी हुई है |वह क्या है ?इसे जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी अपरिचित नयनी दीक्षित की आवाज में|
जब तक बातें होती रहतीं, उन्हें लगता कि वे एक चलती-फिरती, जीती-जागती दुनिया से जुड़े हुए हैं, वरना इस शहर के अनजाने चेहरों के समुद्र में एक भी पहचाना चेहरा उन्हें नजर नहीं आता था। तब उनकी मनःस्थिति एक भटके हुए जहाज की हो जाती। कहाँ जाएँ… क्या करें… सब कुछ अपरिचित… अटूट एकाकीपन| विधुर रविंद्र बाबू अपने बेटे- बहू के पास आए हुए | बेटा और बहू दोनों नौकरी- पेशा है |घर में सारी सुविधाएं होने के बावजूद एकाकीपन परेशान कर रहा है एकाकीपन से बचने के लिए यहां -वहां लोगों से अपना परिचय बढ़ा रहे हैं किंतु क्या यह उनका प्रयास उनका एकाकीपन दूर कर पाता है? क्या होता है आगे रविंद्र बाबू जी की जिंदगी में ?जानने के लिए सुनते हैंअंजना वर्मा जी के द्वारा लिखी गई कहानी यहाँ-वहाँ हर कहीं,पूजा श्रीवास्तव जी की आवाज में…
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pragati sharma