एकाएक उनका मन हुआ कि वह भी सामने वाले पार्क में जाकर धूप का मज़ा ले लें। लेकिन उन्होंने अपने इस विचार को तुरंत झटक दिया। अपने मातहतों के बीच जाकर बैठेंगे। नीचे घास पर! इतना बड़ा अफ़सर और अपने मातहतों के बीच घास पर बैठे!ऑफिस का एक कर्मचारी किस प्रकार कई वर्षों के बाद धूप की सुखानुभूति करता है जानते हैं कहानी धूप में
महाभारत की कहानियों में से एक कहानी’ युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा ‘ ,उस समय का प्रसंग है जब पांडवों के वनवास को 11 वर्ष हो चुके थे| दुर्योधन पांडवों को जान से मारने की मंशा से उस जगह जा पहुंचता है जहां पांडवों का वास है ,किंतु ऐसी कुछ घटित होता है कि दुर्योधन को ही युधिष्ठिर की शरण में आना पड़ता है और युधिष्ठिर दुर्योधन के प्राणों की का संरक्षण करते हैं| ऐसा क्या घटित हुआ था कि दुर्योधन को युधिष्ठिर की शरण लेनी पड़ी? शिवानी आनंद की आवाज में सुनते हैं कहानी का पूरा प्रसंग…
बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
याज्ञवल्क्य नाम के मुनि ने एक एक चुहिया उसे कन्या का रुप दे दिया, और अपने आश्रम में ले आये |अपनी ही लड़की की तरह उसका लालन-पालन किया | कन्या विवाह का समय आया ,तब कन्या ने किसको वर के रूप में चुना ?इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं पंचतंत्र की कहानी चुहिया का स्वयंवर, शिवानी आनंद की आवाज में…
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