रामकथा के मूर्धन्य रचनाकार, अँगरेज़ी हिंदी शब्दकोश के रचयिता और हिंदी के प्रकांड पंडित फ़ादर कामिल बुल्के यानी बाबा बुल्के एक ऐसे विद्वान थे जो भारतीय संस्कृति और हिंदी से जीवन भर प्यार करते रहे, एक विदेशी होकर नहीं बल्कि एक भारतीय होकर।
रामकथा के महत्व को लेकर बाबा बुल्के ने वर्षों शोध किया और देश-विदेश में रामकथा के प्रसार पर प्रामाणिक तथ्य जुटाए। उन्होंने पूरी दुनिया में रामायण के क़रीब तीन सौ रूपों की पहचान की। रामकथा पर विधिवत पहला शोध कार्य बाबा बुल्के ने ही किया, जो हिंदी शोध के क्षेत्र में एक मानक है। विरासत के इस कार्यक्रम में बाबा बुल्के के जीवन से जुड़े अनेक रोचक प्रसंगों को पहली बार दिखाया गया है। हम कह सकते हैं कि टेलीविजन के इतिहास में पहली बार बाबा बुल्के के जीवन और व्यक्तित्व-कृतित्व पर इतनी विस्तृत और मनोरंजक जानकारी दी गई है।
Anchor: Rajesh Badal
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