A lighthouse of literary values and epitome of rational thought, ‘Gurudev’ Rabindranath Tagore is regarded as the man who shaped the Bengali literature, art and Indian philosophy in the modern times. Recipient of Nobel prize in Literature, Rabindranath Tagore is revered in India and the world by young and old alike for his monumental contributions in various fields. In this two hour biopic which is the most extensive production in Hindi on the Bengali polymath, Rajya Sabha TV brings you a detailed account of various faces of Tagore — that of a poet, painter, musician, humanist, educationist, nationalist, and more. Also on this series, watch the interview of Gurudev’s close family and associates where we retrace his glorious life. Anchor: Rajesh Badal
राष्ट्रीय कवि, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी एक भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी की ज़िंदगी पर पहली बार एक घंटे की बायोपिक फ़िल्म। इस फ़िल्म में माखनलाल चतुर्वेदी की ज़िंदगी के अनेक पहलुओं को उजागर किया गया है। माखनलाल चतुर्वेदी काल कोठरी में भी रात रात भर जाग कर कविता लिखते थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सबसे प्रेरणादायी कविता – चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ— की रचना भी उन्होंने जेल में ही की। यह सब आप सुन सकते हैं ख़ुद माखनलाल चतुर्वेदी की आवाज़ में। अपनी बेबाक पत्रकारिता के लिए माखनलाल चतुर्वेदी को कई बार जेल जाना पड़ा। ब्रिटिश सरकार ने उनपर राजद्रोह का मुक़दमा चलाया लेकिन माखनलाल चतुर्वेदी अपने निर्भीक पत्रकारिता से कभी नहीं हटे। प्रभा, प्रताप और कर्मवीर जैसे पत्रिकाओं के माध्यम से उन्होंने अँगरेज़ी सरकार का जमकर विरोध किया और पूरे देश में राष्ट्रीयता की भावना जगाई। अपने शानदार साहित्यिक लेखन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे। देखिए एक भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी की जीवन गाथा पर बनी एक शानदार फ़िल्म।
रामकथा के मूर्धन्य रचनाकार, अँगरेज़ी हिंदी शब्दकोश के रचयिता और हिंदी के प्रकांड पंडित फ़ादर कामिल बुल्के यानी बाबा बुल्के एक ऐसे विद्वान थे जो भारतीय संस्कृति और हिंदी से जीवन भर प्यार करते रहे, एक विदेशी होकर नहीं बल्कि एक भारतीय होकर।
रामकथा के महत्व को लेकर बाबा बुल्के ने वर्षों शोध किया और देश-विदेश में रामकथा के प्रसार पर प्रामाणिक तथ्य जुटाए। उन्होंने पूरी दुनिया में रामायण के क़रीब तीन सौ रूपों की पहचान की। रामकथा पर विधिवत पहला शोध कार्य बाबा बुल्के ने ही किया, जो हिंदी शोध के क्षेत्र में एक मानक है। विरासत के इस कार्यक्रम में बाबा बुल्के के जीवन से जुड़े अनेक रोचक प्रसंगों को पहली बार दिखाया गया है। हम कह सकते हैं कि टेलीविजन के इतिहास में पहली बार बाबा बुल्के के जीवन और व्यक्तित्व-कृतित्व पर इतनी विस्तृत और मनोरंजक जानकारी दी गई है।
Anchor: Rajesh Badal
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जीवन गाथा पर पहली बार एक घंटे की बायोपिक फ़िल्म । इसमें ध्यानचंद की ज़िंदगी के अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है | ध्यानचंद हॉकी के इतने दीवाने थे कि पेड़ से हॉकी के आकार की लकड़ी काटकर उससे रात रात भर चाँद की रौशनी में हॉकी खेला करते थे। यह सब आप सुन सकते हैं खुद मेजर ध्यानचंद की अपनी आवाज़ में | डॉन ब्रेडमेन ने ध्यानचंद से कहा, आप तो ऐसे गोल करते हैं जैसे मैं क्रिकेट में रन बनाता हूँ | हिटलर उनके के खेल का इतना दीवाना था कि उसने उन्हें जर्मन सेना में फील्ड मास्टर बनने का प्रस्ताव दिया, जिसे ध्यानचंद ने इंकार कर दिया। ज़िंदगी में उन्होंने हज़ार गोल से ज़्यादा किए | यह कभी न टूटने वाला रिकॉर्ड है | हॉकी का ये बेमिसाल जादूगर ज़िंदगी के आख़िरी दिनों में पैसों के लिए मोहताज़ रहा | कमेंटेटर गुरुदेवसिंह से उन्होंने फोटो खींचने के लिए मना कर दिया था क्योंकि उनका पैन्ट फटा हुआ था और वो नहीं चाहते थे कि ऐसा फोटो देख कर नई पीढ़ी हॉकी खेलना छोड़ देगी | देखिए मेजर ध्यानचंद की जीवन गाथा पर बनी एक शानदार फ़िल्म।
Rajya Sabha TV brings to you ‘Virasat’, a series which explores the life and times of distinguished artistes from various fields. In the first episode of this series, watch a biopic on the legendary actor and choreographer, Zohra Sehgal.
Anchor: Rajesh Badal
राष्ट्रकवि, लेखक और पत्रकार मैथिलीशरण गुप्त की ज़िंदगी पर पहली बार एक घंटे की बायोपिक फ़िल्म। इस फ़िल्म में मैथिलीशरण गुप्त की ज़िंदगी के अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है। ब्रजभाषा में अपनी कविता शुरू करने वाले मैथिलीशरण गुप्त महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से खड़ी बोली हिंदी के अग्रणी कवि बन गए। उन्होंन खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । साहित्य जगत में दद्दा नाम से लोकप्रिय मैथिलीशरण गुप्त की कालजयी कृति भारत-भारती ने राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान नई राजनीतिक और सामाजिक चेतना जगाई। राष्ट्रवाद और ऐतिहासिक गौरव को आधार बनाकर उन्होंने अनमोल रचनाएं की। अपनी बेबाक लेखनी के लिए मैथिलीशरण गुप्त को आज़ादी के आंदोलन के दौरान जेल भी जाना पड़ा। अपने शानदार साहित्यिक लेखन के लिए पद्म भूषण से सम्मानित राष्ट्रकवि मैथिलीशरण की जीवन गाथा पर बनी एक शानदार फ़िल्म।
Anchor: Rajesh Badal
Reviews for: Rabindranath Tagore (Part 1)