कहानी में दो जिगरी दोस्त मक्खन और प्रवीण एक दूसरे से काफी समय के बाद मिलते हैं | प्रवीर ,मक्खन से उसकी निजी जिंदगी में उसकी पत्नी लाली के बारे में जानना चाह रहा है |मक्खन ,प्रवीर को क्या बतलाता है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं कमलेश भट्ट के द्वारा लिखी गई कहानी, चिट्ठी आई है “”,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में …
एक फौजी की जिंदगी से रूबरू कराती कहानी जहां पर उसका अपना प्रेम और उसके देश के प्रति प्रेम के बीच में वह देश प्रेम को चुनता है ऐसी कहानी राजू की है जो एक फौजी है और जिसकी शादी उसके बचपन की दोस्त रूपा से होती है वह रूपा से अथाह प्रेम करता है किंतु जब देश को उसकी जरूरत होती है तो देश लिए तो हंसते-हंसते अपनी जान भी न्योछावर कर देता है पवनेश ठाकुराठी की बेहद मार्मिक कहानी पूजा श्रीवास्तव जी की आवाज में ।
प्रेम में छली गयी स्त्री – ये कहानी है एक अत्यंत सुंदर युवती निम्मी की .. जो वर्षों बाद एक विवाह में शामिल होने वापस अपने घर जा रही है । रास्ते में ट्रेन में उसकी सहयात्री निकलती है उसके बचपन की सखी और फिर याद आती है वो सब बातें जो उस भाग्यवान रूपवती के विवाह निश्चित होने और उसके टूटने की कई घटनाओं से जुड़ी थी । … निम्मी की सहेली ने उसे ऐसा क्या बताया की निम्मी ने आधे रास्ते से ही वापसी कर ली। क्यों नहीं जा पायी निम्मी फिर उस घर में वापस ….
प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो कब , कैसे , किसके लिए महसूस होगी , ये कह पाना कब सम्भव हुआ है? अविनाश, एक फ़ौजी अफ़सर, जिसकी पहली शादी का अनुभव बहुत ही तकलीफ़देह रहा था, उसने शादी ना करने का मन बना लिया था । सुधा, एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, रूप- गुण युक्त एक स्वावलंबी महिला थी। और उसने भी शादी को कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दी थी। और फिर, नीलांजना , बचपन को पीछे छोड़ती वो रूपसी तरुणी जिसके लिए दुनिया रंगो से सजी जीवंत तस्वीर जैसा था । इन तीनो किरदारो के जीवन तार एक दूसरे से कैसे उलझते है , आइए सुनते है मनीषा कुलश्रेष्ठ की भावनाओं में डूबती उतराती इस कहनी “ अधूरी तसवीरें” मे..,
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
रात! तारे-तारे, तारे! लूनी के मन में एक विचार उठा, मैं इन्हें देख रही हूँ, वह भी एक बार तो इन्हें देख ही लेगा और पहाड़ों की याद कर लेगा… तारे क्षण-भर झपक लेंगे; जब जागेंगे, तब मैं इन्हें अलपक ही देख रही हूँगी, पर वह-? भाई बहन के निश्छल प्रेम को दर्शाती यह कहानी जिसमें जिसने भाई-बहन अनाथ होते हैं और एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं किंतु भाई को मिलता है प्राण दंड मिलता है तो बहन की मनोदशा किस प्रकार हो जाती है भूतकाल में बिताए हर एक क्षण को याद कर रही है
तुम हाथ पर हाथ धरे नामर्दों की भाँति बैठे रहोगे, सरदारनी ने कहा, और लोग एक से एक बढ़िया घर पर कब्जा कर लेंगे। इस्लामाबाद की नयी आबादी के मुसलमान जब सामान का मोह छोड़कर लोग भाग जाते हैं तो उनके खाली मकानों पर कब्जा करने लगते हैं |लहना सिंह भी इसी संदर्भ में एक खाली मकान पर कब्जा करना चाहता है मकान में वह अपने घर का सारा सामान के साथ-साथ अपने चारे की मशीन को भी रखकर अपने पत्नी और अपने बच्चों को लेने जाता है उसके वापस आने पर वह देखता है उस कब्जे वाले घर मकान में अब कोई दूसरा आ चुका है | लहना सिंह के साथ आगे क्या होता है ?जानने के लिए उपेंद्रनाथ अश्क के द्वारा लिखी गई कहानी चारा काटने की मशीन ,अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं
किसी के जाने से उसकी यादें नहीं मिटती लेकिन कुछ ज़िन्दगी में अधूरा सा जरूर रह जाता है। कुछ ऐसे ही भावनाओं को दर्शाती है ये कविता।
जेरिन नाम के एक अनजान लड़के का अचानक स्कूल के अध्यापक के पास मदद मांगने के लिए फोन आता है ,कि वह सीडी चुराने के आरोप में सिक्योरिटी वालों की गिरफ्त में है |अध्यापक उसकी मदद के लिए वहां पहुंचता है ,किंतु जब उसे सच्चाई का पता लगता है तो वह बहुत हताश होता है |क्या थी उसकी सच्चाई और अध्यापक क्यों हताश हुआ ??पूरी कहानी जाने के लिए अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं कृष्ण बिहारी जी द्वारा लिखी गई कहानी जब तवक्को ही उठ गई गालिब……
बाँकुड़ा में रहने वाली एक लड़की अन्नपूर्णा शादी के बाद मुंबई जा बसी है |आज 1 साल के बाद हो अपने मां -बापू को खत लिख रही है| बचपन में बरसात के आने पोखर पर जाकर के केंचुओं को मार देती थी जो उसके लिए आनंद का कार्य था किंतु आज वही अन्नपूर्णा को बरसात अच्छी नहीं लगती और केंचुओं से उसे डर लगता है क्यों ? ऐसा क्या हो गया अन्नपूर्णा के साथ जो उसके लिए जो आनंद था आज मैं उसका भय का कारण हो गया? इसे जानने के लिए सुनते हैं सुधा अरोड़ा के द्वारा लिखी गई कहानी अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी, शिवानी आनंद की आवाज में…
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suhanis063@gmail.com
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pragati sharma