कहानी एक शरारती बंदर की है, जिसे अपनी शरारत का परिणाम भुगतना पड़ता है |कैसे? पंचतंत्र की कहानियों में से एक कहानी बंदर और लकड़ी का खूंटा, सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में…
कहानी का नायक ब्रजराज अपनी पत्नी इन्दो की बातों से विचलित रहता है | ब्रजराज के हृदय में एक अलग ही विरक्ति आ जाती है |और ब्रजराज घर छोड़ने का निश्चय कर लेता है |आगे क्या होता है ब्रजराज की जिंदगी में? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं जयशंकर प्रसाद के द्वारा लिखी गई कहानी भीख ,शिवानी आनंद की आवाज में
फणिभूषण और मणिमल्लिका के प्रेम, मिलन और विछोह की रहस्यमई कहानी।
महाभारत की कहानियों में से एक कहानी’ युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा ‘ ,उस समय का प्रसंग है जब पांडवों के वनवास को 11 वर्ष हो चुके थे| दुर्योधन पांडवों को जान से मारने की मंशा से उस जगह जा पहुंचता है जहां पांडवों का वास है ,किंतु ऐसी कुछ घटित होता है कि दुर्योधन को ही युधिष्ठिर की शरण में आना पड़ता है और युधिष्ठिर दुर्योधन के प्राणों की का संरक्षण करते हैं| ऐसा क्या घटित हुआ था कि दुर्योधन को युधिष्ठिर की शरण लेनी पड़ी? शिवानी आनंद की आवाज में सुनते हैं कहानी का पूरा प्रसंग…
सत्य की जीत’ खण्डकाव्य के आधार पर धृतराष्ट्र सत्य और असत्य को असत्य कहकर अपने नीर-क्षीर विवेक का परिचय देते हैं। वह लोकमत का आदर करते हुए सभासदों को शान्त करते हुए कहते हैं वे यह भी स्वीकार करते हैं कि विश्व के सन्तुलित विकास के लिए हृदय और बुद्धि का समन्वित विकास आवश्यक है। वह दुर्योधन को आदेश देते हैं कि पाण्डवों को मुक्त कर दो एवं उन्हें उनका राज्य लौटा दो।
होमी जहांगीर भाभा, भारतीय परमाणु वैज्ञानिक और एकीकृत परमाणु ऊर्जा विकास के प्रमुख आदिकारी, 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई, भारत में जन्मे थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारतीय परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।होमी भाभा को भारत सरकार द्वारा भारतीय सिविल विभूषण और भारतीय रत्न से सम्मानित किया गया था। उनका योगदान भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण था और उन्होंने भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में स्वायत्तता प्राप्त करने में मदद की।
जब मन से रिश्ता नहीं जुड़ता है| तब हम किसी भी रिश्ते से सामाजिक रुप से जुड़ भी जाए ,वह सिर्फ एक धोखा होता है |वह आपसे अलग भी हो जाए तो उसके प्रति कोई शोक नहीं होता इसी बात को बड़ी गंभीरता से अपनी कहानी नो सिंपैथी प्लीज मैं मालती जोशी ने प्रस्तुत किया है
Reviews for: Bandar Aur Lakdi Ka Khoonta (बन्दर और लकड़ी का खूंटा)