राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएँ लेकर न्याय के लिए तो आते ही थे कभी-कभी उन प्रश्नों को लेकर भी उपस्थित होते थे जिनका कोई समाधान उन्हें नहीं सूझता था। विक्रम उन प्रश्नों का ऐसा सटीक हल निकालते थे कि प्रश्नकर्त्ता पूर्ण सन्तुष्ट हो जाता थाएक दिन दो तपस्वी दरबार में आए और उन्होंने विक्रम को अपने प्रश्न का उत्तर देने की विनती की। उनमें से एक का मानना था कि मनुष्य का मन ही उसके सारे क्रिया-कलाप पर नियंत्रण रखता है और मनुष्य कभी भी अपने मन के विरुद्ध कुछ भी नहीं कर सकता है। दूसरा उसके मत से सहमत नहीं था। उसका कहना था कि मनुष्य का ज्ञान उसके सारे क्रिया-कलाप नियंत्रित करता हैइस प्रश्न का उत्तर विक्रमादित्य किस प्रकार देते हैं इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी उन्नीसवी पुतली रूपरेखा राजा विक्रमादित्य,शिवानी आनंद की आवाज में…
सिंहासन बत्तीसी-तेरहवीं पुतली – कीर्तिमती एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमन्त्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है। इस धरा पर सर्वश्रेष्ठ दानवीर कौन है? इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-तेरहवीं पुतली – कीर्तिमती शिवानी आनंद की आवाज में
नवीं पुतली- मधुमालती ने जो कथा सुनाई उससे विक्रमादित्य की प्रजा के हित में प्राणोत्सर्ग करने की भावना झलकती है। कैसे ?पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-नवीं पुतली – मधुमालती शिवानी आनंद की आवाज में…
विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें बंधकर हर लड़की को अपने प्रियजनों से विदा लेनी पड़ती है। हेम भी इसी बंधन में बंध कर अपने पिता से दूर अपने ससुराल चली आई थी किंतु तब ये किसने जाना था कि यह विदा एक दिन अनंत कालीन विदा बन जाएगी।
एकाएक उनका मन हुआ कि वह भी सामने वाले पार्क में जाकर धूप का मज़ा ले लें। लेकिन उन्होंने अपने इस विचार को तुरंत झटक दिया। अपने मातहतों के बीच जाकर बैठेंगे। नीचे घास पर! इतना बड़ा अफ़सर और अपने मातहतों के बीच घास पर बैठे!ऑफिस का एक कर्मचारी किस प्रकार कई वर्षों के बाद धूप की सुखानुभूति करता है जानते हैं कहानी धूप में
वास्तव में सच्ची प्रेमिका अपने प्रेमी से प्रेम करती हैं ,ना कि उनके धन से | विक्रमादित्य के राज्य में एक ऐसी प्रेमिका की कहानी है जो अपने प्रेमी की सहायता से अपने निरपराध पति की हत्या कराना चाहती है |आखिर क्यों ?विक्रमादित्य इस पर क्या न्याय देते हैं?इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी चौबीसवीं पुतली करुणावती चरित्रहीन स्त्री से प्रेम सिर्फ विनाश की ओर ले जाता है, शिवानी आनंद की आवाज में…
एक बार एक ज्योतिषी अपनी विद्या का बखान बढ़-चढ़कर अपने दोस्त से कर रहा था| विक्रमादित्य ने उस ज्योतिषी की बात को सुन लिया और उसकी विद्वता की जाँच के लिए उन्होंने क्या किया ?इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी बीसवीं पुतली ज्ञानवती राजा विक्रमादित्य तथा ज्ञानियों की कद्र, शिवानी आनंद की आवाज में
धार्मिक ग्रंथों में राजा बलि के पराक्रमी और दानवीर होने के सारे प्रसंगों का अध्ययन किया |अब उन्होंने उनके दर्शन करने का विचार बनाया, लेकिन उनके दर्शन कैसे हो, इसके लिए उन्होंने अपनी राज-पाट और मोह -माया को त्याग कर कठोर तपस्या प्रारंभ कर दी| उनकी तपस्या से उन्हें पाताल लोक में राजा बलि के दर्शन हो पाए ?उसके बाद क्या हुआ इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सताइसवीं पुतली मलयवती विक्रमादित्य और दानवीर राजा बलि,शिवानी आनंद की आवाज में…
एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत के क्रम में दरबारीयों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से। बहस का अन्त नहीं हो रहा था, क्योंकि दरबारियों के दो गुट हो चुके थे। एक कहता था कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है क्योंकि मनुष्य का जन्म उसके पूर्वजन्मों का फल होता है। राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार प्रत्यक्ष उदाहरण देकर इस बहस का अंत किया? यह जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी की कहानी तेइसवीं पुतली धर्मवती मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से ,शिवानी आनंद की आवाज में …
विक्रमादित्य के राज्य में एक गरीब दरिद्र ब्राह्मण और भाट रहते थे |दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए उन दोनों के पास धनराशि नहीं थी | विक्रमादित्य ने दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए धन प्रदान किया| किंतु भाट को 1000000 स्वर्ण मुद्राएं ,जबकि ब्राह्मण को कुछ सौ स्वर्ण मुद्राएँ ही प्रदान की | विक्रमादित्य ने इस प्रकार का पक्षपात क्यों किया? इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी पच्चीसवीं पुतली त्रिनेत्री ईश्वर से आस ,शिवानी आनंद की आवाज में..
Reviews for: Sinhasan Battisi -Ninteenth Putli rooprekha (सिंहासन बत्तीसी -उन्नीसवी पुतली – रूपरेखा)