कुसुम जिसे घाट पर बैठकर घंटो पानी की लहरें देखना अच्छा लगता था, अपने वैधव्य के बाद प्रेम में पड़कर उसे न पा सकने के दुख को बर्दाश्त न करते हुए उसी घाट पर उन्ही लहरों में समा गई।
(Use Cropper to set image and use mouse scroller for zoom image.)
Reviews for: Pani Ki Kamai Pani Mein (पानी की कमाई पानी मे)