पं0 श्रीनारायण चतुर्वेदी का जन्म उत्तर-प्रदेश के इटावा जनपद में सन् 1895 ई0 में हुआ माना जाता है तथा श्रीनारायण जी इसी जन्मतिथि के हिसाब से ही भारत सरकार की राजकीय सेवा से सेवानिवृत भी हुये । (हाँलांकि इनकी मृत्यु के उपरांत प्रकाशित आत्मकथा ‘परिवेश की कथा’ में उन्होने अपना जन्म आश्विन कृष्ण तृतीया, अर्थात 28 दिसम्बर 1893 ई0 की मध्यरात्रि को होना अवगत कराया है)।
राजभवन की अतिथिशाला में सजावट के लिए एक पुरातन दीपदान को सिगरेट दानी के रूप में सुशोभित किया जाता है |जबकि उस दीपदान में भगवान श्री गणेश की सुंदर मूर्ति भी स्थापित होती है| हमारी सरकार में सर्कुलर होना गर्व की बात मानी जाती है | इसी तर्ज पर भगवान का नाम लेना सर्कुलर होने पर बाधा होता है| बड़ी खूबसूरती के साथ इसी बात को रखते हुए कहानी राजभवन की सिगरेट दानी में व्यंग किया गया है|
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