मेरा जन्म मध्य प्रदेश के दमोह नगर के धरम पुरा मोहल्ले में हुआ था। पिता लाला राम सहाय श्रीवास्तव जो ब्रिटिश शासन के अत्याचारों से रेलवे मोहकमे की नौकरी छोड़कर धरमपुरा रियासत में ही काम करने लगे थे का आकस्मिक निधन होने से माँ भागवती देवी ने परिवार सम्हाला। लेकिन बड़े भाई साहब की भी अचानक मृत्यु हो जाने से बड़ी बहन सावित्री देवी ने शिक्षक की नौकरी कर परिवार को संभाला और मुझे पढ़ाया लिखाया।
मैंने पॉली टेक्निक कालेज नौगांव से इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल में सेवाएँ देते हुए कार्य पालन यंत्री पद से जनवरी 2003 में छिंदवाड़ा में सेवा निवृत्त हुआ। साहित्य मेरा शौक है और बाल साहित्य मेरी जिंदगी।
बच्चों के बगैर होली की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।बच्चों का पसंदीदा त्योहार है होली ।कोई रंग-बिरंगे कपड़े पहनने के लिए मचल रहा है तो कोई खुद ही अपने आपको रंग से पोत ले रहा है। बचपन की याद दिलाती है शानदार कविता मुट्ठी में गुलाल…
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