आज हम बच्चों को उनकी गलतियों के लिए डांटते हैं, मारते भी हैं लेकिन याद कीजिए क्या वही सब गलतियां हमसे कभी ना कभी हो चुकी होती है?ऐसा ही कुछ आज निशिकांत के साथ हो रहा है ,जब उसे एहसास हो रहा है कि जिस बात के लिए वह आज अपनी बेटी को डांट रहा है वह गलती कभी उससे हो चुकी है और उससे पहले उसके पापा से तो यह क्रम क्या ऐसे ही चलता रहेगा .इसे जानने के लिए सुनते हैं विष्णुप्रभाकर द्वारा लिखी गई कहानी यह क्रम, नयनी दीक्षित की आवाज में..
निशिकांत ट्रेन से दिल्ली जा रहा है |कहीं ना कहीं उसका निजी अनुभव अहिंदू कौम के लिए कुछ खट्टास पैदा कर रहा है लेकिन ट्रेन में कुछ ऐसी घटना होती है जिससे निशिकांत की सोच में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आता है|क्या है वह घटना ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी परिवर्तन नयनी दीक्षित की आवाज में
कहानी बेहद भावपूर्ण है एक लेखक निशिकांत अपने दोस्त रमेश के पास जाता है जो एक अनाथालय चला रहा है | बंगाल से आई एक प्यारी सी मासूम अनाथ लड़की मीनू से उसकी मुलाकात होती है |निशिकांत के जीवन में मीनू की क्या भूमिका रहती है और क्या है मीनू का अतीत? विष्णु प्रभाकर की कहानी मुक्ति में जानते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में…
कहानी के मुख्य पात्र निशिकांत के मन की उस दशा को चित्रित किया गया है जहां पर वह स्वयं शादीशुदा होकर भी किसी दूसरी स्त्री के रूप ,सौंदर्य की तरफ आकर्षित है किंतु जब वह अपनी पत्नी को इस रूप में सोचता है कि जैसे वह किसी पराई स्त्री के प्रति आकर्षित है वैसे कोई और भी उसकी पत्नी के प्रति भी आकर्षित हो सकता है |तो क्या वह इसे स्वीकार कर पाएगा| निशिकांत की इस बंद को मन के द्वंद को समझते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी निशिकांत नयनी दिक्षित की आवाज में
निशिकांत लेखक बनना चाहता है हिंदी के प्रति उसका असीम प्रेम उसे यह करने की प्रेरणा दे रहा है किंतु निशिकांत द्वारा लिखी गई पहली कहानी अपने मित्र को दिखाता है तो मित्र उसकी कहानी को किसी बड़े लेखक की कहानी की नकल बताता है अब ऐसे में निशिकांत का क्या आत्मविश्वास डगमगा जाता है या फिर से कोशिश करता है विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी जानते हैं
कहानी में दो अनजान लोग जब विवाह का बंधन बन जाता है ऐसे में क्या होता है ?इस इस बात को कहानी की मुख्यधारा में शामिल किया गया है|कहानी के मुख्य पात्र निशिकांत का विवाह एक साधारण रंग -रूप की युवती रजनी से हुआ है |दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे से अपरिचित है| निशिकांत के मन में अपनी नवविवाहिता के लिए कई प्रश्न गूंज रहे हैं जैसे उसका व्यवहार कैसा होगा ?उसके साथ जीवन की दौड़ में सहारा बन पाएगी ? आदि -आदि | इन सब के बीच एक बात और जुड़ी हुई है |वह क्या है ?इसे जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी अपरिचित नयनी दीक्षित की आवाज में|
शक्तिसत्य पर विजय पाती हैबात की सार्थकता समझने के लिए सुनते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी शिकार को निकला शेर,निधि मिश्रा की आवाज में
एक कंजूस व्यक्ति के पास बहुत सारा सोना था लेकिन वह उसका सदुपयोग ना करके उसे जमीन में गाडे रखता था ।एक दिन उसका यह सारा सोना चोरी हो गया। इस बात से कंजूस को क्या सीख मिली और उसने क्या किया जाने के लिए सुनते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा लिखी गई कहानी कंजूस और सोना निधि मिश्रा जी की आवाज में
कहानी में एक युवती अपनी दोनों बेटियों के साथ अकेली है |ठंड की एक रात अचानक उसके यहां 60…65 साल का आदमी चादर लपेटे एक वृद्ध व्यक्ति आ जाता है ,जो अपने को उनका रिश्तेदार बतलाता है| अब युवती बेहद असमंजस की स्थिति में है, अतिथि को अपने घर आने दे अथवा नहीं| अब आगे क्या होता है जानने के लिए सुनते हैं सिनीवाली द्वारा लिखी गई कहानी अतिथि, निधि मिश्रा की आवाज में….
जयशंकर प्रसाद की चूड़ी वाले की नायिका चूड़ीवाली की नायिका विलासिनी है जो गृहस्थ कुलवधू बनने का सपना पूरा करने के लिए बहुत अधीर है ,किंतु जब वह उपेक्षित होती है तो अपनी जीवनचर्या को दूसरों की सेवाभाव के लिए समर्पित कर देती है |जानिए कैसे ?निधि मिश्रा की आवाज में….
कहानी में एक युवती अपनी दोनों बेटियों के साथ अकेली है |ठंड की एक रात अचानक उसके यहां 60…65 साल का आदमी चादर लपेटे एक वृद्ध व्यक्ति आ जाता है ,जो अपने को उनका रिश्तेदार बतलाता है| अब युवती बेहद असमंजस की स्थिति में है, अतिथि को अपने घर आने दे अथवा नहीं| अब आगे क्या होता है जानने के लिए सुनते हैं सिनीवाली द्वारा लिखी गई कहानी अतिथि, निधि मिश्रा की आवाज में….
सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
अमृता प्रीतम की लिखी हुई इस नज़्म “दुआ ” में ऐसा क्यों महसूस होता है की कोई दुआ कबूल हो या ना हो लेकिन इस नज़्म में मांगी गई दुआ को जरूर कबूल होना चाहिए |आखिर क्या है वह दुआ उसे जानने के लिए सुनते हैं अनुर्वी कीआवाज में अमृता प्रीतम की लिखी हुई नज़्म “दुआ “में”…
अंतिम समय में विद्या के पिता ने श्याम बाबू को बुला कर विद्या की ज़िम्मेदारी उन्हें सौप दी। तब से लेकर आज तक श्याम बाबू ने विद्या को अपने बेटी से ज़्यादा प्यार दिया है। और विद्या ने भी श्याम बाबू को अपने पिता ज़्यादा समझा है। “कहाँ बाबू जी. जो आपने और माँ ने मेरे लिए किया है उसके आगे तो ये कुछ भी नहीं है। आप दोनों ने एक अनाथ लड़की को अपने बेटे जैसे प्यार दिया है। उसका एहसान तो मैं सारी ज़िंदगी नहीं चुका सकती”। विद्या श्याम बाबू जी की सगी बेटी ना होते हुए भी उनके ना रहने के बाद भी उनके परिवार को एक मां की तरह संभालती है कहानी नहीं पड़ता है इंसानियत के रिश्ते खून के रिश्तो से ज्यादा अपने हो जाते हैं
लड़की देखने जाने के लिए उतावला परिवार होटल पहुँचता है। और वहाँ पर लड़की के पिता को स्वागत के लिए ना पाकर नाराज होता है । जब लड़की अपनी माँ के साथ आती है तो अफसर पुत्र के पिता उसकी लंबाई नापते हैं। और वास्तविक रंग देखने के लिए लड़की को मुँह धोने के लिए कहते हैं ।उसके बाद तो वहाँ का सारा माहौल बदल जाता है।
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