पांडु जेष्ठ पुत्र युधिष्ठिर धर्मराज के रूप में विश्व में जाने जाते रहे हैं |कहानी में इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है| जब यक्ष के प्रश्नों का उत्तर युधिष्ठिर के अन्य भाई नहीं दे पाते हैं ,तो उन सबको मृत्यु प्राप्त हो जाती है किंतु युधिष्ठिर यक्ष के प्रश्नों के उत्तर देकर यक्ष को प्रसन्न कर देते हैं और अपना मनचाहा वरदान भी प्राप्त कर लेते हैं |कैसे? इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी यक्ष और युधिष्ठिर संवाद भाग -1 शिवानी आनंद की आवाज में …
अज्ञातवास का अर्थ है बिना किसी के संज्ञान में आये किसी अपरिचित स्थान व अज्ञात स्थान में रहना। वनवास के बारहवें वर्ष के पूर्ण होने पर पाण्डवों ने अब अपने अज्ञातवास के लिये मत्स्य देश के राजा विराट के यहाँ रहने की योजना बनाई| अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने अपनी पहचान छुपाने के लिए अलग-अलग उन्होंने अपना वेश बदला |पांचो पांडु पुत्र पुत्र युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल ,सहदेव ने किन-किन का वेश धारण किया और उन्होंने क्या भूमिका निभाई ?इसे जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में महाभारत की कहानियों में से एक कहानी पांडवों का अज्ञातवास…
विक्रमादित्य के द्वारा मृग के रूप में श्रापित राजकुमार को मृग रूप से मुक्ति दिला कर, पुनः राजकुमार को उसका राज्य वापस दिलाने की एक रोचक घटना है| जिसे सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी मृग रूप से मुक्ति, शिवानी आनंद की आवाज में..
सौप्तिक पर्व में ऐषीक पर्व नामक मात्र एक ही उपपर्व है। इसमें 18 अध्याय हैं। अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य-कौरव पक्ष के शेष इन तीन महारथियों का वन में विश्राम, तीनों की आगे के कार्य के विषय में मत्रणा, अश्वत्थामा द्वारा अपने क्रूर निश्चय से कृपाचार्य और कृतवर्मा को अवगत कराना, तीनों का पाण्डवों के शिविर की ओर प्रस्थान, अश्वत्थामा द्वारा रात्रि में पाण्डवों के शिविर में घुसकर समस्त सोये हुए पांचाल वीरों का संहार, द्रौपदी के पुत्रों का वध, द्रौपदी का विलाप तथा द्रोणपुत्र के वध का आग्रह, भीम द्वारा अश्वत्थामा को मारने के लिए प्रस्थान करना और श्रीकृष्ण अर्जुन तथा युधिष्ठिर का भीम के पीछे जाना, गंगातट पर बैठे अश्वत्थामा को भीम द्वारा ललकारना, अश्वत्थामा द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग, अर्जुन द्वारा भी उस ब्रह्मास्त्र के निवारण के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग, व्यास की आज्ञा से अर्जुन द्बारा ब्रह्मास्त्र का उपशमन, अश्वत्थामा की मणि लेना और अश्वत्थामा का मानमर्दित होकर वन में प्रस्थान आदि विषय इस पर्व में वर्णित है। महाभारत की कहानियों में से एक कहानी सौप्तिक पर्व में. जिसे सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में…
पितामह भीष्म के आहत होने पर आचार्य द्रोण को सेनापति बनाया गया। सेनापति बनने के बाद द्रोण ने प्रतिज्ञा की कि मैं भीष्म की तरह ही कौरव-सेना की रक्षा तथा पांडव-सेना का संहार करूँगा। मुझे केवल धृष्टद्युम्न की चिंता है, क्योंकि उसकी उत्पत्ति ही मेरी मृत्यु के लिए हुई है। इस पूरे प्रसंग में कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य को जब कौरवों का सेनापति बनाया जाता है तो महाभारत का युद्ध किस मोड़ तक जा पहुंचता है| इस दरमियान कौन-कौन सी घटनाएं घटित होती है ?और कौन-कौन वीरगति को प्राप्त होता है ?इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी द्रोण पर्व,शिवानी आनंद की आवाज में…
समय द्वारा अपने मनोरंजन के लिए वायु. जल, अग्नि और कई प्रकार के जीवों के उपरांत मनुष्य के बनाए जाने की कथा।
Saguni was a poor little girl, whose dream was to study in a school, Ipsa, another little girl of class five make Saguni’s dream come true.
Reviews for: Yaksha Yudhisthir Samvad (यक्ष-युधिष्ठिर संवाद) Part-2