शान्तनु, अशोक की नीलांजना दीदी को , दीदी कभी नहीं बुला पाया. शान्तनु का किशोर मन शायद नीलांजना के रूप सौन्दर्य से इतना प्रभावित नहीं था जितना उसकी कुशाग्र बुद्धि और आत्मविश्वास से भरे सौम्य व्यक्तित्व से। .. .. शान्तनु का किशोरावस्था का प्यार क्या नीलांजना समझ पायी थी? क्या परिवार के सहयोग के बिना भी नीलांजना अपने भविष्य को सवार पायी थी? क्यो शान्तनु ने नीलांजना को सम्बोधित किया वीरांगना के नाम से , जानिए मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी वीरांगना में
शान्तनु, अशोक की नीलांजना दीदी को , दीदी कभी नहीं बुला पाया. शान्तनु का किशोर मन शायद नीलांजना के रूप सौन्दर्य से इतना प्रभावित नहीं था जितना उसकी कुशाग्र बुद्धि और आत्मविश्वास से भरे सौम्य व्यक्तित्व से। .. .. शान्तनु का किशोरावस्था का प्यार क्या नीलांजना समझ पायी थी? क्या परिवार के सहयोग के बिना भी नीलांजना अपने भविष्य को सवार पायी थी? क्यो शान्तनु ने नीलांजना को सम्बोधित किया वीरांगना के नाम से , जानिए मनीषा कुलश्रेष्ठ की कहानी वीरांगना में
प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो कब , कैसे , किसके लिए महसूस होगी , ये कह पाना कब सम्भव हुआ है? अविनाश, एक फ़ौजी अफ़सर, जिसकी पहली शादी का अनुभव बहुत ही तकलीफ़देह रहा था, उसने शादी ना करने का मन बना लिया था । सुधा, एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, रूप- गुण युक्त एक स्वावलंबी महिला थी। और उसने भी शादी को कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दी थी। और फिर, नीलांजना , बचपन को पीछे छोड़ती वो रूपसी तरुणी जिसके लिए दुनिया रंगो से सजी जीवंत तस्वीर जैसा था । इन तीनो किरदारो के जीवन तार एक दूसरे से कैसे उलझते है , आइए सुनते है मनीषा कुलश्रेष्ठ की भावनाओं में डूबती उतराती इस कहनी “ अधूरी तसवीरें” मे..,
कहानी ने निमिषा एक हाउसवाइफ है |निमिषा -अनिकेत की दो बेटियां हैं मानसी और रूपसी | निमिषा अपनी दोनों बेटियों को अपने जीवन से जुड़ी कुछ बातें साझा कर रही है मानसी और रूपसी से | निमिषा की यह बातें और विचार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के विचारों के अंतराल को कैसे समेट रही है |जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ जी के द्वारा लिखी गई कहानी पीढ़ियों का अंतराल, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
जबसे निशीथ साथ चलते- चलते अचानक अजाने मोड पर मुड ग़या था तो ठिठक कर उस चौराहे पर उसके आस-पास फुरसत ही बाकि रह गई थी और एक अंधेरा खाली कोना। बस एक सप्ताह और वह उबर आई थी नई जीजिविषा के साथ.. एक आत्मनिर्भर आत्मविश्वासी लड़की के व्यक्तित्व मे एक चुंबकत्व होता है। केतकी रेडियो स्टेशन मे काम करती थी. खूबसूरत थी । बस अगर शादी नहीं करी तो लोगों को बाते बनाने का मौका मिल जाता है। जानिए नायिका केतकी के जीवन मे आने वाले कई उतार-चढ़ावों को और उसका हर बार परिस्थिति को हरा कर आगे बढ़ने की यात्रा , जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ की लिखी कहानी एक नदी ठिठकी सी”, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
गीति और अनिरुद्ध का प्रेम विवाह हुआ था, किंतु आज एक जरा सी बात पर दोनों का जमकर झगड़ा हुआ| गीति इस झगड़े के बाद अनिरुद्ध का घर छोड़ने का निर्णय कर लेती है किंतु कहानी के एक प्रसंग में गीति अपने निर्णय पर विचार करने लग जाती है |क्या है कहानी का वह प्रसंग जो गीति को अपने निर्णय को बदलने पर मजबूर कर देता है |क्या होगा गीति और अनिरुद्ध के वैवाहिक का ?जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी टिटहरी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
नयी नयी शादी के बाद कैसे हम हर वक़्त साथ रहना चाहते है। लगता है एक पल भी दूर रहने का मतलब है प्यार कम हो रहा है। पर कैसे वक़्त के साथ ये प्यारा सा रिश्ता भी परिपक्व होता है। वैवाहिक जीवन के पलो को बेहद खूबसूरती और सजीवता से प्रस्तुत करती है ये कहानी “ लेट उस ग्रो टुगेदर”
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
तान्या— आज के वक़्त की एक पढ़ी लिखी स्वावलंबी लड़की है . माता पिता से दूर एक बड़े शहर में अच्छी नौकरी करती है। वो आजकल के तौर तरीक़ों यानी की जब तक हो सके शादी बच्चे जैसी जिम्मेदारियो से अलग एक स्व्छन्द जीवन जीना चाहती है । माता पिता अक्सर उसके विवाह की बात छेड़ते रहते है और वो टालती रहती है । फिर ऐसा क्या होता है की रिश्तों से दूर भागने वाली तान्या बदलने लगती है ? कहानी तान्या दीवान में आपको हम सबको ज़िंदगी की बड़ी सामयिक झलक दिखेगी
कविता और शांतनु भाई बहन है |एक समय ऐसा भी था कि दोनों भाई- बहन में असीम प्रेम झलकता था| किंतु आज क्या? क्यों उनके बीच में इतनी दूरियां पैदा हो गई ?आज कविता राखी पर क्या यह दूरियां मिटा आएगी ?पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ जी के द्वारा लिखी गई कहानी आंखों में किरकिराते रिश्ते ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
एक जेबकतरे के द्वारा इंसानियत का परिचय देना , इस कहानी को और भीभावुक बनाती है कैसे? जानते हैं ज्ञानप्रकाश विवेक द्वारा लिखी गई कहानी जेबकतरा , पूजा श्रीवास्तव की आवाज में आवाज में
दिग्वलय – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
प्रेम की अलग-अलग अनुभूति होती है प्रेम मीरा और कृष्ण के मध्य भी था कहानी कुछ इसी तरह के भावों को आधुनिक समीकरण के रूप में ढाल दिया गया है कहानी का नायक अभिनव एक शादीशुदा युवक है जिसकी मित्रता अनीता के साथ हो जाती है ।उनकी मित्रता में एक अजीब सी आत्मीयता और लगाव है किंतु जैसे-जैसे अभिनव को सामाजिक मान मर्यादा की तरफ ध्यान आकर्षित होता है उसके अंदर अजीब सी बेचैनी उत्पन्न हो जाती है ।अभिनव की यह बेचैनी उसे किस हद तक ले जाएगी? जानेंगे अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी दो नावों में सवार, शिवानी आनंद की आवाज़ में..
जीवन में रिश्ते नहीं ,रिश्तो में जीवन ढूंढो| कनक के पिता की मृत्यु हो चुकी है और कनक विदेश से कानपुर अपनी मां के पास आई है, उसके आने का मकसद अपने एक पिता और उनके दोस्त गुप्ता जी के साझा खरीदे हुए प्लॉट को बेचने का भी है |किंतु कहानी के प्रसंग में ऐसा भी आता है कि कनक अपना इरादा बदल देती है| कहानी का वह प्रसंग क्या है ?क्या कनक पर अपने पिता की परवरिश का रंग चढ़ा हुआ है? पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं नीतू मुकुल के द्वारा लिखी गई कहानी, “रंग जो छूटे नाहि” पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
हम जीवन में बहुत से किरदार अर्थात रिश्ते निभाते हैं लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर हम सिर्फ़ एक आदमी बन कर रहे तो कैसा लगेगा? जानिए शायर की नज़र से..
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
नहीं, मुझे पूरा सुने बगैर नहीं जा सकतीं तुम। अरविंद ने आदेश सा दिया, तुमने सिर्फ मेरा उजास देखा है। मेरे भीतर के अंधकार और दुर्गंध से परिचय नहीं है तुम्हारा। मेरे भीतर की अँधेरी, घृणित और असहनीय दुनिया में सिर्फ सुनीता ही रह सकती है मानसी तुम्हारा तो दम घुट जाएगा वहाँ। मेरे अशक्त और खोखले हो चुके तन को प्रेमिका की नहीं, परिचारिका की जरूरत है मानसी और परिचारिका मानसियाँ नहीं, सुनीताएँ ही हो सकती हैं। मानसी एक 24 वर्षीय खूबसूरत नव युवती है जिसे अपने से काफी उम्र में एवं शादीशुदा व्यक्ति अरविंद से प्रेम हो जाता है उनका प्रेम सारे बंधनों को तोड़ देना चाहता है किंतु जब अरविंद को इस बात का एहसास होता है मानसी उसके गुणों के प्रति आकर्षित है तब मानसी से अपने संबंधों को विच्छेद कर देना चाहता है ऐसी स्थिति में मानसी की क्या मनोदशा होती है और आगे कहानी में क्या होता है इस पूरी कहानी को जाने के लिए अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं कहानी मानसी
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