ईशरसिंह ने अपनी बन्द होती आँखें खोलीं और कुलवन्त कौर के जिस्म की तरफ देखा, जिसकी बोटी-बोटी थिरक रही थी वह…वह मरी हुई थी…लाश थी…बिलकुल ठंडा गोश्त…जानी, मुझे अपना हाथ दे… कुलवंत सिंह भरे पूरे शरीर की एक दबंग औरत है ईश्वर सिंह से करीब 8 दिन बाद उसके पास आता है कुलवंत सिंह इस बात के लिए जिरह करती है 8 दिन कहां था? ईश्वर सिंह बहलाने की बहुत कोशिश करता है परंतु कुलवंत सिंह को सच्चाई का अंदाजा हो जाता है आखिर क्या थी? सच्चाई और कुलवंत सिंह को किस बात का अंदाजा हो जाता है? पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं सआदत हसन मंटो की लिखी कहानी ठंडा गोश्त अनुपम ध्यानी की आवाज में
हिंदुस्तान -पाकिस्तान दो झंडो के बीच खड़ा एक व्यक्ति जो लंबी दाढ़ी और फटे हाल में खड़ा हुआ जो मानसिक रूप से अस्वस्थ लग रहा हो
जैसा की हम सब जानते हैं मंटो ने उन औरतो और उन गलियों के बारे में बहुत लिखा है , जिनमे जाने वाले ही उन गलियों और उन औरतो को गालियां देते हैं , तरह तरह की बातें करते हैं , पर क्या कभी किसी ने उन गलियों के मर्द के बारे में सोचा है , जो उन औरतो के लिए ग्राहक लेके आते हैं , कभी सोचा है उनके आत्म सम्मान के बारे में ? एक ऐसे ही आदमी कहानी है ये जो उन रंगीन गलियों में अपना काम करता है , जहां की ज़िंदगी में शायद अँधेरे के सिवा कुछ नहीं है
आपने आज तक ऐसे लोगो के बारे में तो सुना ही होगा जो की कही से पैसे उठाते हैं और गरीबो में बांट देते हैं , आप उनको चाहे तो शैतान समझे या फिर देवता ये आपके ऊपर है , कई बार इंसान को ऐसी चीज़ों से लगाव हो जाता है , जो उसके लिए बहुत मायने रखने लगती हैं , और इंसान कई बार उनको खुद से ज़्यादा समझने लगता है , ये कहानी भी एक ऐसे ही इंसान की है , जो कानून की नज़र में गलत होता है उसे सज़ा मिलती है , पर आप खुद ये समझे की क्या वो सच में ग़लत है ?
ग़ुलाम देश के लोगो की आखों में जब आज़ादी का सपना होता है तो एक अनपढ़ इंसान भी सपने देखने लगता है , वो सोचने लगता है सब बदल जायेगा , अब वो भी गोरों के बराबर हो जायेगे ,,,और ज़रूरत पड़ने पर इतने सालों से गोरों ने जो अत्याचार किये हैं उसपे , उनका बदला भी वो ले पायेगा , उसके कानो ने नए कानून के बारे में सुना होता है , पर क्या सच में नए कानून से कुछ बदलेगा ? क्या सच में नया कानून आएगा ?
Is it always important to think and do? Or is it important to just go ahead and do it? This poem compares to giants of history – Dharmraj- Yudhishthira and Mighty Arjuna.
रणभूमि का शव tu बन जा, पर रंगमंच की प्रीत ना बन” वास्तविकता में जीवन इसी भांति जीना चाहिए | कविता के शब्दों मे रूप से स्पष्ट रूप से प्रकट किया गया है |अनुपम ध्यानी की आवाज में कविता” Ban, na Ban “…
मैं अपना दिल किराये पे चढ़ाना चाहता हूँ ! यह कविता इस युग के प्रेमियों के लिए है !
कवि हमेशा सत्य का परिचय कराता है ,हो सकता है वह सत्य कटु लगे ऐसी स्थिति में हमेशा कवि की उपेक्षा की जा जाती है |
30 seconds of positive energy, positive poetry.
मंगल भंगी भूँगी दाई का बेटा है ,जबकि सुरेश जमीदार बाबू महेशनाथ का बेटा है |एक समय भूँगी ने अपने बेटे मंगल से ज्यादा सुरेश को अपना दूध पिला कर उसकी देखभाल की, किंतु क्या भूँगी की मृत्यु के बाद मंगल को जमीदार महेश नाथ के यहां से अपनी मां द्वारा सुरेश को पिलाया दूध का दाम मिल पाता है या फिर उसे एक अछूत के रूप में देखा जाता है| प्रेमचंद जी की बेहद भावपूर्ण कहानी है दूध का दाम, जिसे आवाज दी है सुमन वैद्य जी ने
बुराई और अपराध के दलदल में एक बार इंसान धसता है ,तो फिर लाख कोशिशों के बावजूद वह निकल नहीं पाता | सत्ता की चकाचौंध में इंसान अपना जमीर अपना सब कुछ गवा देता है | ऐसी कहानी है एक युवा लड़के अभिनव सिंह की क्या होता है उसके साथ ?जानते हैं कहानी “गिरता सूरज “ में ….
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बोलने वाली लड़की – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कॉलेज के दिनों से दीपशिखा अपना नाम हमेशा अग्निशिखा बतलाती थी, क्योंकि उसे अग्नि की तरह प्रज्वलित रहना पसंद था ।बोलने में निडर ,वाचाल ।उसके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर कपिल ने दीपशिखा से विवाह किया किंतु शादी के बाद कपिल को दीपशिखा के यही गुण क्यों अच्छे नहीं लग रहे? क्या दीपशिखा भी अपने ससुराल में गुमसुम हो जाएगी? सुनिए बेहद भावपूर्ण कहानी बोलने वाली लड़की, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
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