this story contains the description of a tarbooj (watermelon) and the whole world inside it.
राजा कृष्णदेव राय बहुत बड़े कला प्रेमी थे| इस संदर्भ में कलाकारों को तेनाली रामा की सलाह से सम्मानित भी करते थे| इस बात से राज दरबार के अन्य लोग तेनालीरामा से चिढ़ते थे उन्होंने तेनाली रामा के ऊपर रिश्वतखोर होने का आरोप लगा दिया| अब तेनालीरामा ने इस आरोप को कैसे गलत सिद्ध किया ?इस रोचक किस्से को सुनते हैं तेनाली रामा की कहानी में से एक कहानी रिश्वत का खेल सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में….
असली पूँजी – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
जिज्ञासा और अनीता कॉलेज के दिनों की बहुत पक्की सहेलियां हैं जिज्ञासा शुरू से पढ़ाई में तेज रही है और उसने अनीता की हमेशा पढ़ाई में मदद किया| जिज्ञासा शादी के बाद अपने पति और अपने एक बेटी के साथ अपने घर गृह गृहस्थी में बहुत खुश है किंतु जब वह आज अपनी बेटी के कॉलेज में अपनी पक्की दोस्त अनीता को प्रिंसिपल के रूप में देखकर अपने को उसके आगे हीन समझने लगी। किंतु क्या अनीता की ज़िंदगी को जानने के बाद उसे समझ में आता है कि जीवन की असली पूंजी क्या होती है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी असली पूंजी, शिवानी आनंद की आवाज़
एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक युवक- युवती के प्राण नदी के बहाव से बचाने के पश्चात विक्रमादित्य को ज्ञात हुआ कि वे युवक –युवती, भाई -बहन है| विक्रमादित्य ने उस युवती को अपनी मुंह- बोली बहन के रूप मंो स्वीकार कर लिया अब विक्रमादित्य ने किस प्रकार अपनी मुंह- बोली बहन का विवाह योग्य व्यक्ति से कराया? इसके पीछे की कहानी जानने के लिए सुनते हैं इसी की कहानियों में से एक कहानी उन्तीसवीं पुतली मानवती राजा विक्रम की बहन की शादी, शिवानी आनंद की आवाज में..
जहां चाह वहां राह की कहावत को सार्थक करती कहानी। जिसमें चार चोर चोरी की राह छोड़ एक आम इंसान का जीवन बिताते हुए सबके लिए कहानी वाले बाबा बन जाते हैं।
एक ही मां के अंश यानी सिबलिंग्स,यह रिश्ता बहुत खास होता है वह छोटी-छोटी नोकझोंक, वह साथ-साथ हंसना ,रोना और और अपनी कुछ खास बातों को सिर्फ उनके साथ बांटना |समय की रफ्तार में अगर यह रिश्ते आप से दूर चले गए हैं ,तो फिर से उन्हें अपने नजदीक जरूर लाइए |कैसे? जानते हैं इस खूबसूरत एहसास को, अंगोना साहा के साथ..
हिरण्यधनु नामक निषाद का पुत्र एकलव्य भी धनुर्विद्या सीखने के उद्देश्य से द्रोणाचार्य के आश्रम में आया, किन्तु कर्ण के समान ही निम्न वर्ण का होने के कारण द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य बनाना स्वीकार नहीं किया। निराश होकर एकलव्य वन में चला गया। उसने द्रोणाचार्य को उनकी मूर्ति के समक्ष अपना गुरु मानकर उनके समक्ष धनुर्विद्या का ज्ञान करने लगा| इस पर द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ के अँगूठे की माँग की| आखिर द्रोणाचार्य जी ने गुरु दक्षिणा के रूप में एकलव्य से उसके हाथ का अंगूठा क्यों मांगा ? क्या हुआ उसके बाद एकलव्य के साथ और क्यों इतिहास में एकलव्य का नाम प्रसिद्ध है? इस पूरे प्रसंग को जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानी में से एक कहानी एकलव्य की गुरुभक्ति, शिवानी आनंद की आवाज में…
माया सुर के द्वारा युधिष्ठिर के लिए एक ऐसी सभागार का निर्माण हुआ जिसमें बहुत सी बातें भ्रम पैदा कर रही थी |इसी सभागार में दुर्योधन उपहास का पात्र बन गए| दुर्योधन ने उपहास का बदला लेने के प्रयोजन से दुर्योधन के मामा शकुनि के साथ मिलकर द्यूत-क्रीड़ा के लिए युधिष्ठिर को आमंत्रित किया | मामा शकुनि की धूर्तता के कारण इस द्यूत-क्रीड़ा का क्या परिणाम निकला और युधिष्ठिर के साथ क्या-क्या हार गए| इस पूरे प्रसंग को जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी कौरवों का कपट ,शिवानी आनंद की आवाज में ..
राजा विराट के साले कीचक के वध हो जाने पर राजा सुशर्मा और कौरवों विराट नगर पर आक्रमण करने के उद्देश्य से विराटनगर पर आक्रमण कर दिया किंतु उसी समय चारों पांडव भाई सुशर्मा से युद्ध करने के लिए चले गए थे ऐसे में किस प्रकार राजकुमार उत्तर ने किसकी सहायता से कौरवों से युद्ध किया ?इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी विराटनगर पर कौरवों का आक्रमण, शिवानी आनंद की आवाज में…
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