राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथा कलाकारों को बहुत सम्मान देते थे। उनके दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान तथा कलाकार मौजूद थे, फिर भी अन्य राज्यों से भी योग्य व्यक्ति आकर उनसे अपनी योग्यता के अनुरुप आदर और पारितोषिक प्राप्त करते थे। एक दिन विक्रम के दरबार में दक्षिण भारत के किसी राज्य से एक विद्वान आया उसका मानना था कि विश्वासघात विश्व का सबसे नीच कर्म है। उसने राजा को अपना विचार स्पष्ट करने के लिए एक कथा सुनाई। वह कथा क्या थी इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानीअठारहवीं पुतली तारामती विक्रमादित्य और विद्वानों तथा कलाकारों का सम्मान ,शिवानी आनंद की आवाज में…
अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु के समय, अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा गर्भ से थी और अभिमन्यु की मृत्यु के पश्चात उत्तरा ने एक बालक परीक्षित को जन्म दिया | परीक्षित के जन्म की क्या कथा है और परीक्षित इतिहास में अपने किन गुणों के लिए जाने जाते हैं ?इस पूरी कथा को सुनने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी परीक्षित के जन्म की कथा, शिवानी आनंद की आवाज में…
राजा विक्रमादित्य जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और कोई न था | राजा को एक बार दो व्यक्ति दिखाई दिए एक मानव मुण्डों की माला पहने बीभत्स दिखने वाला कापालिक है तथा दूसरा एक बेताल है |उन दोनों में किसके लिए द्वंद चल रहा है और राजा किस प्रकार निर्णय देते हैं इस रोचक कहानी को आवाज दी है शिवानी आनंद में..
उर्वशी एक आधुनिक लड़की है जो होशियार होने के साथ ही जीवन में कुछ कर दिखाने की चाहत रखती है। प्रेम विवाह कर पति से उपेक्षित होने के बाद भी उसने हिम्मत न हारते हुए अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने की चाहत को पूरा करने का प्रयास किया जिसमें उसकी खूबसूरती ही उसके लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसकी जिंदगी एक कटी पतंग की तरह झूलने लगी।
राजा विक्रमादित्य के परोपकारी होने का वृतांत इस कहानी में मिलता है| राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार अपनी महामंत्री की एकमात्र पुत्री के प्राणों की रक्षा करने हेतु असंभव से दिखने वाली परिस्थितियों को संभव किया और दुर्लभ ख्वांग बूटी लेकर आए जिससे उसके प्राणों की रक्षा की जा सकी? कैसे ??इस रोचक वृतांत जानते हैं सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी इक्कीसवीं पुतली चन्द्रज्योति विक्रमादित्य और दुर्लभ ख्वांग बूटी,शिवानी आनंद की आवाज में…
चौथी पुतली कामकंदला की कथा से भी विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना का पता चलता है कैसे ?पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानी सिंहासन बत्तीसी-चौथी पुतली कामकंदला शिवानी आनंद की आवाज में…
नवीं पुतली- मधुमालती ने जो कथा सुनाई उससे विक्रमादित्य की प्रजा के हित में प्राणोत्सर्ग करने की भावना झलकती है। कैसे ?पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-नवीं पुतली – मधुमालती शिवानी आनंद की आवाज में…
एक बार राजा विक्रमादित्य दरबार में बैठे थे और दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। बातचीत के क्रम में दरबारीयों में इस बात पर बहस छिड़ गई कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से। बहस का अन्त नहीं हो रहा था, क्योंकि दरबारियों के दो गुट हो चुके थे। एक कहता था कि मनुष्य जन्म से बड़ा होता है क्योंकि मनुष्य का जन्म उसके पूर्वजन्मों का फल होता है। राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार प्रत्यक्ष उदाहरण देकर इस बहस का अंत किया? यह जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी की कहानी तेइसवीं पुतली धर्मवती मनुष्य जन्म से बड़ा होता है या कर्म से ,शिवानी आनंद की आवाज में …
राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी समस्याएँ लेकर न्याय के लिए तो आते ही थे कभी-कभी उन प्रश्नों को लेकर भी उपस्थित होते थे जिनका कोई समाधान उन्हें नहीं सूझता था। विक्रम उन प्रश्नों का ऐसा सटीक हल निकालते थे कि प्रश्नकर्त्ता पूर्ण सन्तुष्ट हो जाता थाएक दिन दो तपस्वी दरबार में आए और उन्होंने विक्रम को अपने प्रश्न का उत्तर देने की विनती की। उनमें से एक का मानना था कि मनुष्य का मन ही उसके सारे क्रिया-कलाप पर नियंत्रण रखता है और मनुष्य कभी भी अपने मन के विरुद्ध कुछ भी नहीं कर सकता है। दूसरा उसके मत से सहमत नहीं था। उसका कहना था कि मनुष्य का ज्ञान उसके सारे क्रिया-कलाप नियंत्रित करता हैइस प्रश्न का उत्तर विक्रमादित्य किस प्रकार देते हैं इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी उन्नीसवी पुतली रूपरेखा राजा विक्रमादित्य,शिवानी आनंद की आवाज में…
Reviews for: Sinhasan Battisi -Eighteenth Putli Taramati (सिंहासन बत्तीसी -अठारहवीं पुतली – तारामती)