गौतम के एक गलत फैसले ने पूरे घर को बिखेर कर रख दिया । जीवन में कुछ फसले बहुत सोच-समझ कर लेने चाहिए। उसके फैसले ने न सिर्फ उसके जीवन को नरक बनाया बल्कि उसके परिवार को भी भुगतना पड़ा। अ|खिर क्या था वो फैसला ?
मां बाप के लिए अपने बच्चे ना कोई बोझ होते हैं ना कोई अवसाद होते हैं वह अपने बच्चों को पूरे स्नेह के साथ उनका लालन-पालन करते हैं क्या कभी बच्चे भी अपने मां-बाप कीउसी प्रकार उनकी देखभाल कर पाते हैं इसी भावना से ओतप्रोत है मालती जोशी जी की लिखी कहानी वो तेरा घर यह मेरा घर ,सुनते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
हमारी भारतीय समाज में पति विहीन नारी की हमेशा उपेक्षा की जाती है |हमारी मानसिकता अभी भी नहीं बदली पति कैसा भी हो स्त्री का सुहाग होता है ,किंतु उसके बिना जैसे उस स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं रहता और उसका वजूद महा शून्य में तब्दील हो जाता है इसी संदर्भ में सुनते हैं इस मार्मिक कहानी को महा शून्य को मालती जोशी जी की आवाज में
बड़ी उम्र में शादी होने से क्या अरमान ख़त्म हो जाते है ? क्या शादी का मतलब सिर्फ़ शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति मात्र होता है ? क्या बड़ी उमर में शादी होने से भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरतें नहीं रह जाती है ? अंजू इन ही सवालों से जूझ रही थी । उमर बढ़ती जा रही थी तो भइया ने दो बच्चों के विधुर पिता से शादी करा के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली। आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के बावजूद समझौते तो उसने भी किए ही थे पर फिर ऐसा क्या हुआ की अंजू को निर्णय लेना ही पड़ा। वो बातें क्या थी जिन्होंने अंजू के स्वाभिमान को झकझोरा था .. सुनिए मालती जोशी कहानी “ बहुरि अकेला”
मुंशी राम सेवक की सारी धाक मिट्टी में मिल गई। बूढ़ी विधवा, मूंगा के पैसे हड़प करना उन्हें रास ना आया। ब्राह्मणी मूंगा ने उनके द्वार पर प्राण क्या त्यागे, सारे गाँव ने उनसे मुँह मोड़ लिया ।मूंगा के भूत का डर अलग से सताने लगा। पत्नी नागिन चल बसी। बेटा रामगुलाम रिफारमेंट्री स्कूल में भर्ती हो गया ।और खुद रामसेवक साधु हो गए। गरीब की हाय उनके पूरे परिवार को लील गई।
अपहरण – Malti Joshi (मालती जोशी) – Arti Srivastava
हमारे समाज में लड़की देखने दिखाने का चलन काफी पुराना है ।जब कोई लड़का देखने आने वाला होता है तो पूरा घर उसके स्वागत में बिछ-बिछ जाता है।एक अलग ही माहौल होता है।लड़की डरी – सहमी होती है लेकिन मन में अनेक विचार भी जन्म ले रहे होते है। एेसे में अगर लड़के को कोई और लड़की पसंद आ जाए तो उस लड़की पर क्या बीतती है जो अपने मनमंदिर में आपको जगह देती है। उसे हीनता का एहसास होने लगता है।उसका अपने ऊपर से विश्वास उठ जाता है। लेकिन कब ,क्या होगा ? कोई नही जानता।
इस्मत चुग़ताई की कहानी “सॉरी मम्मी” एक संवेदनशील लेकिन व्यंग्यपूर्ण झलक है आधुनिक परिवार और माँ-बेटे के रिश्ते की जटिलताओं पर।
कहानी में चुग़ताई अपने विशिष्ट अंदाज़ में पश्चिमी प्रभाव, घरेलू संबंधों की दूरी और भावनात्मक विडंबना को उजागर करती हैं।
मुख्य पात्र एक माँ और उसके बेटे के बीच का रिश्ता है — जो अब प्यार से ज़्यादा औपचारिकता और अपराधबोध से भरा है।
बेटा आधुनिक, पढ़ा-लिखा और अपने करियर में व्यस्त है। वह माँ से दूर रहता है और जब कभी बात करता है, तो सिर्फ़ एक शब्द कहता है — “Sorry Mummy!”
यह “सॉरी” सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी की भावनात्मक दूरी और असहायता का प्रतीक बन जाता है।
💠 कहानी का मूल भाव
इस कहानी में इस्मत चुग़ताई ने दिखाया है कि किस तरह आधुनिक जीवन की तेज़ रफ़्तार और स्वार्थी व्यस्तता ने माँ-बेटे के रिश्ते से आत्मीयता छीन ली है।
माँ अपने बेटे के बचपन, उसके प्यार और उसकी ज़रूरतों को याद करती है — पर अब उसके पास सिर्फ़ ठंडे संदेश और औपचारिक माफ़ियाँ बची हैं।
💠 मुख्य संदेश
कहानी सवाल उठाती है —
क्या “Sorry” कहना ही रिश्ते निभाने का विकल्प बन गया है?
क्या आधुनिकता ने संवेदनाओं को ‘इमोशनलेस एक्सप्रेशन’ में बदल दिया है?
“सॉरी मम्मी” हमें भीतर तक झकझोरती है और यह एहसास कराती है कि माँ का स्नेह और अपनापन किसी टेक्स्ट या शब्द में नहीं समा सकता।
💠 इस्मत चुग़ताई की शैली
उनकी भाषा में सादगी है लेकिन भावनाओं में गहराई।
कहानी व्यंग्य और करुणा का ऐसा मिश्रण है, जो पाठक को मुस्कुराते हुए रुला देता है।
यह कहानी सुनने योग्य क्यों है:
क्योंकि हर किसी के जीवन में कहीं न कहीं एक “सॉरी मम्मी” छुपा है —
एक अधूरी बात, एक अनकहा प्यार, और एक पछतावे की गूंज।
“सोमा मोंडल, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) की पहली महिला अध्यक्ष, जिन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से भारतीय स्टील उद्योग में नए आयाम स्थापित किए हैं। फोर्ब्स द्वारा दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में शामिल, सोमा मोंडल की यात्रा प्रेरणादायक है। उनके प्रबंधन के पहले साल में सेल का मुनाफा तीन गुना बढ़ा और उन्होंने कंपनी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। एक छोटे से ओडिया परिवार से निकलकर उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इतिहास रचा।
उनकी पूरी कहानी सुनने के लिए अभी डाउनलोड करें Gaatha ऐप, और जानें एक महिला की अद्वितीय सफलता की दास्तां।”
कहते हैं कि जिंदगी बेशक छोटी हो लेकिन इज्जत वाली होनी चाहिए और अगर जिंदगी लंबी हुई मगर बिना इज्जत की तो किस काम की? लोगों के टुकड़ों पर पलना, दूसरों की जूठन खाना, भीख माँगना , चोरी करना यह कोई जिंदगी तो नहीं । जिस उम्र में अपनों के सहारे की जरूरत होती है उस उम्र में अगर अपने ही अकेला छोड़ जाए तो——।
काकी कहा करती थीं कि लोग मर जाते हैं लेकिन वास्तव में वे मरते नहीं हैं। बस चोला बदल जाता है। तुम्हारे काका भी मरे नहीं हैं। यहां उनका समय पूरा हो गया था, दाना पानी उठ गया था, इसलिए चले गये। हमें भी साथ ही जाना था, लेकिन हमारा टिकट कहीं खो गया है। दूत लोग ढूंढ रहे होंगे। मिलेगा तैसे ही हमें भी जाना है। ये हां इंतजार कर रहे होंगे। तुम्हारे काका हमसे कहे थे कि हम चल रहे हैं तुम आना। एक वृद्धा है जिसे सब काफी कहते हैं अपने पति की मृत्यु के बाद उसका जीवन कैसा हो जाता है किस प्रकार अपने पति की यादों को सहेज कर रखना चाहती है कृष्णकांत जी के द्वारा लिखी गई कहानी काकी में सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज
भारत और पाकिस्तान के पर्वतीय सीमावर्ती इलाके पर कैप्टन समीर और उनका दोस्त पराग शिकार के उद्देश्य से वहां जाते हैं| रात होने पर रैन बसेरा के उद्देश्य से वे दोनों पेड़ों के पीछे छुप कर बैठ जाते हैं सुनसान रात में अपनी आंखों से जो दृश्य देखते हैं उससे वह बहुत अचंभित होते हैं| उन्होंने अपनी आंखों से क्या दृश्य देखा? क्या है उस बात का रहस्य? जानने के लिए सुनते हैं कहानी घुड़सवार सैनिकों की प्रेतआत्माएं ,अमित तिवारी की आवाज में..
कहानी दो शराबी भाइयों की है जो शराब और अपनी दौलत के नशे में दिन रात मदमस्त रहते हैं मुफ्त की शराब पीने वाले चापलूस उनके ख्याल ना में सुनते और शराब के मजे लेते किंतु इनकी करतूतों से एक दिन एक अप्रिय घटना घट जाती है क्या है वह घटना पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं चंदन पांडे द्वारा लिखी गई कहानी समय के दो भाई अमित तिवारी जी की आवाज में
सोनू एक बहुत छोटा बच्चा है| धीरे-धीरे सोनू गुमसुम रहने लगा |क्या कारण था सोनू के गुमसुम होने का जानने के लिए सुनते हैं सुभाष नीरव के द्वारा लिखी गई कहानी वाह मिट्टी, शिवानी आनंद के द्वारा
सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
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