Satya ki jeet insta
आज का आधुनिक युग, नारी-सशक्तिकरण का दौर है। महान कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा लिखित कविता (खण्ड काव्य) सत्य की जीत में द्रौपदी के माध्यम से पग-पग पर आज की जागृत नारी ही बोल रही है। हालांकि इस खण्डकाव्य की कथा महाभारत की चीर-हरण घटना पर आधारित है, किन्तु कवि ने उसमें वर्तमान नारी की मनोदशा को दिखाने का प्रयास किया है,
द्रौपदी स्वाभिमानी है। वह अपमान सहन नहीं कर सकती। वह अपना अपमान नारी जाति का अपमान समझती है। वह नारी के स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने वाली किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर सकती।
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की कविता को गाथा पर ले कर आ रही हैं, नयनी दीक्षित ।