वह खूबसूरत बचपन, जब गर्मियों की छुट्टियां नानी के यहां बिता करती थी ,वह मीठे -गुदगुदाने वाले पलो का खूबसूरत एहसास , अंगोना साहा के साथ…
एक ही मां के अंश यानी सिबलिंग्स,यह रिश्ता बहुत खास होता है वह छोटी-छोटी नोकझोंक, वह साथ-साथ हंसना ,रोना और और अपनी कुछ खास बातों को सिर्फ उनके साथ बांटना |समय की रफ्तार में अगर यह रिश्ते आप से दूर चले गए हैं ,तो फिर से उन्हें अपने नजदीक जरूर लाइए |कैसे? जानते हैं इस खूबसूरत एहसास को, अंगोना साहा के साथ..
कभी आपने यह अनुभव किया है कि जिंदगी में कुछ रिश्ते जो हमारे खून के नहीं होते ,फिर भी हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखते हैं |उन्हें भूलना असंभव होता है |ऐसे ही एक रिश्ते का अनुभव अंगोना साहा हमारे साथ बांट रही है…
हरि और उसकी पत्नी ,प्रबोध के घर जाते हैं |प्रबोध की अपनी पहली पत्नी के साथ तलाक हुए बिना लीला के साथ संबंध रखना हरि की पत्नी सही नहीं लग रहा है| क्या है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं ममता कालिया की द्वारा लिखी गई कहानी और अपत्नी अंगुना की आवाज में
क्या हम नहीं चाहते थे एक दूसरे के साथ समय बिताएं एक दूसरे को जाने- समझे ।जीवन की इस आपाधापी में वह समय कहीं लुप्त हो गया है आज इन परिस्थितियों में क्या हमारी इच्छा पूरी नहीं हो रही है ।बात छोटी सी है ,जरा विचार कीजिए अंगोना के साथ हम तुम एक कमरे में बंद
वह खूबसूरत बचपन, जब गर्मियों की छुट्टियां नानी के यहां बिता करती थी ,वह मीठे -गुदगुदाने वाले पलो का खूबसूरत एहसास , अंगोना साहा के साथ…
हमारे रिश्ते हमारी सोच पर निर्भर करते हैं| जैसी सोच वैसे ही हमारा रिश्ता| सास -बहू के बीच का रिश्ता कुछ ऐसा ही है …
क्या हम नहीं चाहते थे एक दूसरे के साथ समय बिताएं एक दूसरे को जाने- समझे ।जीवन की इस आपाधापी में वह समय कहीं लुप्त हो गया है आज इन परिस्थितियों में क्या हमारी इच्छा पूरी नहीं हो रही है ।बात छोटी सी है ,जरा विचार कीजिए अंगोना के साथ हम तुम एक कमरे में बंद
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