अम्मा जब आगरा जाने लगी तो हफ्ता भर के लिए उन्होंने मुझे बेगम जान के पास छोड़ दिया। नवाब साहब , बेगम जान से शादी करके कुल साज़-ओ- सामान के साथ ही घर में रखकर भूल गए ।बेगम जी जान छोड़ कर बिल्कुल ही यासो हसरत की पोट ही बन गई। रब्बो ने उन्हें नीचे गिरते- गिरते संभाल लिया साथ खाती, साथ उठती -बैठती और माशाअल्लाह! साथ ही सोती थी। रब्बो और बेगम जान आम जलसों और मज़मूओ की दिलचस्प गुफ्तगू का मौजूँ थी। जहाँ उन दोनों का जिक्र आया और कहकहे उठे। लोग जाने क्या-क्या चुटकुले गरीब पर उड़ाते।
बाँदी यानी दासी, गुलाम। जिसकी अपनी कोई मर्जी नहीं होती, अपना कोई अस्तित्व नहीं होता। वो खरीदी जाती है, घर सँभालने के लिए ।हर जरूरत को पूरा करने के लिए। वह पत्नी की तरह सारे फर्ज निभाती है। लेकिन पत्नी का दर्जा नहीं पाती । उसे वह इज्जत ,वह ओहदा नहीं मिलता । आखिर क्यों ?और नवाबों के शौक, उनकी रंगीन तबीयत , बड़े ऊँचे खानदान की बहू बेटियों की रंगरलियाँ। सब छुप जाते हैं उनके दौलत के परदे के पीछे । तो क्या गरीब होना इतना बड़ा जुर्म है? अभिशाप है?
भाभी जान औसत दर्जे की खूबसूरत दुबली- पतली लड़की थी। जो शादी के बाद चंद ही सालों में फफोले की तरह नाजुक बन गयीं। शादी के दूसरे ही साल इन का सिलसिला हर वक्त थूकने और कै करने में गुजरने लगा। गदीले पोतड़े इस जोर -शोर से सिलने लगे जानो कल ही परसों में जच्चगी होने वाली है। मोटे ताबीजों से जिस्म पर तिल धरने की जगह ना रही ।जच्चगी अलीगढ़ में होगी ऐसा हुक्म पाकर भाभी जान के सफर की तैयारी शुरू हुई। डिब्बा पूरा अपने लिए रिजर्व था। ज्यूँ ही रेल रेंगी डिब्बे का दरवाजा खुला और एक कँवारी घुसने लगी । कुली ने बहु तेरा घसीटा मगर वह चलती रेल के पायदान पर ढीठ छिपकली की तरह लटक गयी।और रेंग कर गुसल खाने के दरवाजे से पीठ लगा कर हाँफने लगी । बी मुगलानी ने पूछा क्या पूरे दिन से हैं ?उसने हाँ में सिर हिलाया ।उसके चेहरे की सारी रगे खिँचने लगी। वह दर्द को घोटने लगी और बिल्कुल भाभी जान की जूतियाों के पास लाल-लाल गोश्त की बोटी आन पड़ी ।आड़ी होकर उसने उसे उठा लिया। फिर उसने ओढ़नी से धज्जी फाड़ कर नाल को कसकर बाँध दिया ।खुर्जा पर गाड़ी रुकी तो उसने डिब्बे का दरवाजा खोला और पैर तौलती हुई उतर गई।
दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने की आदत होती है। वह किसी की परवाह नहीं करते। लोग क्या कहेंगे ? क्या सोचेंगे? अगर किसी को बुरा लगा तो ? वगैरह -वगैरह जैसे प्रश्नों के बारे में तो सोचते ही नहीं। लाख मुश्किलें आएँ, वह अपने तरीके से उसका सामना करते हैं। ऐसे लोगों को दुनिया की परवाह नहीं होती। लेकिन कुछ तो होता है, जो उनकी शख्सियत को भी हिला देता है। लेकिन क्या?
रामअवतार लाम पर से वापस आ रहा था। बूढ़ी मेहतरानी अब्बा मियां से चिट्ठी पढ़वाने आई थी। अभी उसकी शादी को रचाए साल भर भी न बीता था कि राम अवतार की पुकार आ गई। ब्याह कर आई तो क्या मसमसी थी गौरी नाम की गौरी थी पर कमबख्त स्याह बहुत थी। हाँ आवाज में बला की कूक थी। गौरी क्या थी, बस एक मरखना लंबे सींग वाला बजार था, कि छुटा फिरता था । रत्तीराम के आने के बाद वह बिल्कुल बदल गई ।लेकिन गाँव वालों को दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। सब राम अवतार के लौटने का इंतजार कर रहे थे।
‘साहब मर गया’ जयंत राम ने बाजार से लाए हुए सौदा के साथ यह खबर लाकर दी। वह काना साहब -जैक्सन । वह मजे से सक्खू बाई को झोंटे पकड़कर पीटता था। फ्लोमीना और पीटू को मारता था ।मैंने एक दिन मौका पाकर सक्खू बाई को पकड़ा’ क्यों कमबख्त ! यह पाजी तुम्हें मारता है । तुझे शर्म नहीं आती? रोज कभी मारता है बाई? वह बहस करने लगी। तुझे शर्म नहीं आती सफेद चमड़ी वाले की जूतियाँ सहती है । इन लुटेरों ने हमारे मुल्क को कितना लूटा है? तुम्हें इसका इतना दर्द क्यों होता है? काहे को नहीं होगा दर्द? वह हमारा मर्द है ना ! वह शक्ल से रोबीला और खूबसूरत था। ऊँची पहुँच वाले बाप की बेटी डोर्थी से शादी करने के बाद भी उसका छिछोरापन कम ना हुआ।
कुसुम जिसे घाट पर बैठकर घंटो पानी की लहरें देखना अच्छा लगता था, अपने वैधव्य के बाद प्रेम में पड़कर उसे न पा सकने के दुख को बर्दाश्त न करते हुए उसी घाट पर उन्ही लहरों में समा गई।
राक्षसों के चंगुल से एक युवती को ,राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार अपने पराक्रम के द्वारा मुक्त कराया ?इसे जानने के लिए पूरी कहानी सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में सिंहासन बत्तीसी से ली गई कहानी सिंहासन बत्तीसी-बारहवी पुतली – पद्मावती
एक बार पाँचों पाण्डव आवश्यक कार्यवश बाहर गये हुए थे। आश्रम में केवल द्रौपदी, उसकी एक दासी और पुरोहित धौम्य ही थे। उसी समय सिन्धु देश का राजा जयद्रथ, जो विवाह की इच्छा से शाल्व देश जा रहा था, उधर से निकला। अचानक आश्रम के द्वार पर खड़ी द्रौपदी पर उसकी दृष्टि पड़ी और वह उस पर मुग्ध हो उठा। किन्तु कामान्ध जयद्रध ने बलपूर्वक द्रौपदी को खींचकर अपने रथ में बैठा लिया| भीम ने जयद्रथ की इस दुर्भावना का सबक किस प्रकार जयद्रथ को सिखलाया ?सुनते हैं महाभारत की कहानी भीम द्वारा जयद्रथ की दुर्गति, शिवानी आनंद की आवाज में…
राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छूने लगी थी। उन दिनों एक सेठ हुआ जिसका नाम पन्नालाल था। वह बड़ा ही दयालु तथा परोपकारी था | अब जब पन्नालाल ने अपने बेटे हीरालाल के विवाह के संबंध में सोचा तो उसके सामने एक बहुत बड़ी समस्या आ गई | वह समस्या क्या थी और विक्रमादित्य ने उसे कैसे हल किया? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में सिंहासन बत्तीसी-पन्द्रहवीं पुतली – सुंदरवती
शास्त्री जी किसी जजमान के यहां से जलपान करके मग्न होकर रास्ते में चले जा रहे होते हैं ,तभी अचानक से एक मोटर गाड़ी छप-छप करती हुई निकलती है और कीचड़ के छींटे उनके मुख और कपड़ों पर पड़ जाते हैं | शास्त्री जी इस बात का प्रतिशोध किस प्रकार मोटर चलाने वाले से लेते हैं? जानने के लिए सुनते हैं सुनते हैं रोचक कहानी मोटर की प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई रोचक कहानी मोटर की छींटे ,सुमन वैद्य जी की आवाज में….
जया एक हिंदुस्तानी महिला है उसके घर के पास किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.| किंतु उसे वहां का दृश्य मानवीय संवेदना से विहीन वहीं लगता है | किसी भी व्यक्ति के आंख में मृत व्यक्ति के लिए की अश्रु भी नहीं दिखाई दे रहा है| जया यह सब देख कर व्यथित हो रही है |क्या विदेशों में रहने वाले व्यक्ति मानवीय संवेदना से अपेक्षित है अपरिचित है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सुदर्शन प्रियदर्शी द्वारा लिखी गई कहानी अखबार वाला निधि की आवाज में…
एकाएक उनका मन हुआ कि वह भी सामने वाले पार्क में जाकर धूप का मज़ा ले लें। लेकिन उन्होंने अपने इस विचार को तुरंत झटक दिया। अपने मातहतों के बीच जाकर बैठेंगे। नीचे घास पर! इतना बड़ा अफ़सर और अपने मातहतों के बीच घास पर बैठे!ऑफिस का एक कर्मचारी किस प्रकार कई वर्षों के बाद धूप की सुखानुभूति करता है जानते हैं कहानी धूप में
जबसे निशीथ साथ चलते- चलते अचानक अजाने मोड पर मुड ग़या था तो ठिठक कर उस चौराहे पर उसके आस-पास फुरसत ही बाकि रह गई थी और एक अंधेरा खाली कोना। बस एक सप्ताह और वह उबर आई थी नई जीजिविषा के साथ.. एक आत्मनिर्भर आत्मविश्वासी लड़की के व्यक्तित्व मे एक चुंबकत्व होता है। केतकी रेडियो स्टेशन मे काम करती थी. खूबसूरत थी । बस अगर शादी नहीं करी तो लोगों को बाते बनाने का मौका मिल जाता है। जानिए नायिका केतकी के जीवन मे आने वाले कई उतार-चढ़ावों को और उसका हर बार परिस्थिति को हरा कर आगे बढ़ने की यात्रा , जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ की लिखी कहानी एक नदी ठिठकी सी”, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
भावनाओं से ओतप्रोत जीवन का नाम ही इंसानियत होता है |संतु, हरिया को उसकी बीमार पत्नी को छोड़ने की सलाह दे रहा है |क्या हरिया अपने भाई संतु की इस सलाह से सहमत है ?क्या होगा कहानी में आगे जाने के लिए सुनते हैं ज्योत्सना सिंह के द्वारा लिखी गई कहानी भावनाओं का सम्बल
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