अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित करने वाले लाला हर दयाल माथुर एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे ।उन्होंने प्रसिद्ध क्रांतिकारी ‘ग़दर पाटी’ का गठन किया। देशभक्ति के साथ साहित्य के क्षेत्र में उनका अहम योगदान रहा। बौद्ध संस्कृति साहित्य पर उनको ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि से सम्मानित भी किया गया।
1983 मेंआज ही के दिन देश में पहली बार नई दिल्ली में राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था। यह राष्ट्रमंडल देशों का सातवां शिखर सम्मेलन था। इसकी अध्यक्षता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी। यह सम्मेलन 29 नवंबर तक चला।
21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना हुई. आज़ाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई.
भारत की महान क्रांतिकारी में से एक मातंगिनी हाजरा को ‘बूढ़ी गांधी’ के नाम से के नाम से जाना जाता है।’कर बंदी’ आंदोलन को दबाने के लिए बंगाल में इन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया। हजारों लोगों के साथ सरकारी डाक बंगले पर पहुंचकर इन्होंने अपना जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। 72 वर्ष की आयु में इन्हें अंग्रेजों ने गोलियों से छलनी कर दिया किन्तु मरते दम तक तिरंगे को इन्होंने गिरने नहीं दिया। आखिरी समय में भी उनके मुंह से वंदे मातरम ही निकलता रहा।
गणेश वासुदेव मावलंकर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष थे। उन्हें ‘दादासाहेब’ के नाम से भी जाना जाता था। वे अहमदाबाद लोकसभा क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रुप में लोकसभा में निर्वाचित हुये थे। उन्होने भारतीय संसदीय संस्थान में एक उत्कृष्ट वक्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
इटली के विश्व संरक्षण संगठन सम्मेलन में ‘विश्व पशु दिवस’ मनाने की घोषणा की गई। जर्मन लेखक ज़िमर्मन ने1925 में बर्लिन में प्रथम विश्व पशु दिवस का आयोजन किया। उनके अथक प्रचार एवं प्रसार के कारण 1931 में वैश्विक स्तर पर विश्व पशु दिवस मनाने की शुरुआत की गई ।जिसका उद्देश्य पशु कल्याण मानकों में सुधार करना था।
कहते हैं “ अपनी धरती और जड़ों से जुड़कर ही मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है क्योंकि वे जड़े ही उसकी ज़िन्दगी को मज़बूती देती हैं जिनके सहारे वह आगे सदा आगे बढ़ता है और ज़िन्दगी को गहराई से समझता है “ सब उसे प्यार और दुलार से बाला पुकारते थे और बहुत कम उम्र में ही बाला ने इस बात को समझ कर जीवन में धारण कर लिया था इनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है , आइये जानते हैं इनके बारे में
संसार की ओर देखने की जैसी हमारी दृष्टि होगी, संसार हमें वैसा ही दिखाई देगा।कैसे ? विनोबा भावे द्वारा लिखी गई कहानीजैसी दृष्टि सुनते हैं ,शिवानी आनंद के द्वारा
ये कहानी एक बकरी के बेचने और खरीदने के बहुत ही सरल माध्यम से हमे यह सिखाती है कि हमे यूं तो कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए लेकिन अगर कोई आपके साथ बुरा करे तो उसे सबक ज़रूर सिखाना चाहिए।
चितरंजन दास का जन्म 05 नवम्बर 1870 ई. को ढाका के विक्रमपुर में हुआ था। वे कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रसिद्ध वकील थे, जो 1909 ई. में अलीपुर बम कांड में अरविंदो घोष का बचाव कर चर्चित हो गए ।
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