दर्पण – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कितने ही वर्तमान के अरमानों को कुचल कर ,इंसान भविष्य की इमारत बनाने की इच्छा तो रखता है किंतु क्या यह सच नहीं है कि जब भविष्य में जब उन इच्छाओं के पूरा होने का क्षण आता है तब तक उस इच्छा का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। ऐसा ही कुछ हो रहा है नायिका बानी के साथ। बानी जब तक मां-बाप के साथ थी तो उनके कड़े अनुशासन के कारण अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं का दमन करना पड़ता था ।आज जब बानी शादीशुदा है तो पति के नियमों के चलते उसे फिर अपनी इच्छाओं पर मौन का चोला पहनाना पड़ रहा है। इतने वर्षों के बाद जब उसकी छोटी-छोटी इच्छाओं का सम्मान किया जा रहा है तो वह क्यों उत्साह विहीन हो चुकी है ?बेहद भावुक कर देने वाली ममता कालिया की कहानी है दर्पण, जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
दर्पण – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कितने ही वर्तमान के अरमानों को कुचल कर ,इंसान भविष्य की इमारत बनाने की इच्छा तो रखता है किंतु क्या यह सच नहीं है कि जब भविष्य में जब उन इच्छाओं के पूरा होने का क्षण आता है तब तक उस इच्छा का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। ऐसा ही कुछ हो रहा है नायिका बानी के साथ। बानी जब तक मां-बाप के साथ थी तो उनके कड़े अनुशासन के कारण अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं का दमन करना पड़ता था ।आज जब बानी शादीशुदा है तो पति के नियमों के चलते उसे फिर अपनी इच्छाओं पर मौन का चोला पहनाना पड़ रहा है। इतने वर्षों के बाद जब उसकी छोटी-छोटी इच्छाओं का सम्मान किया जा रहा है तो वह क्यों उत्साह विहीन हो चुकी है ?बेहद भावुक कर देने वाली ममता कालिया की कहानी है दर्पण, जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
दर्पण – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कितने ही वर्तमान के अरमानों को कुचल कर ,इंसान भविष्य की इमारत बनाने की इच्छा तो रखता है किंतु क्या यह सच नहीं है कि जब भविष्य में जब उन इच्छाओं के पूरा होने का क्षण आता है तब तक उस इच्छा का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। ऐसा ही कुछ हो रहा है नायिका बानी के साथ। बानी जब तक मां-बाप के साथ थी तो उनके कड़े अनुशासन के कारण अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं का दमन करना पड़ता था ।आज जब बानी शादीशुदा है तो पति के नियमों के चलते उसे फिर अपनी इच्छाओं पर मौन का चोला पहनाना पड़ रहा है। इतने वर्षों के बाद जब उसकी छोटी-छोटी इच्छाओं का सम्मान किया जा रहा है तो वह क्यों उत्साह विहीन हो चुकी है ?बेहद भावुक कर देने वाली ममता कालिया की कहानी है दर्पण, जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
सेवा – ममता कालिया – शैफाली कपूर
पुरुषोत्तम सहाय की पत्नी करीब 15 दिनों से अस्पताल में कोमा की स्थिति में पड़ी है। पुरुषोत्तम सहाय अकेले ही अपनी पत्नी की सेवा कर रहे हैं। कहने को पुरुषोत्तम सहाय की दो शादी-शुदा बेटियां, पुत्र, पुत्र-वधू ,पोता सभी है पर ऐसी स्थिति में अपनी उस मां के लिए जिसने ता-उम्र अपने पति और बच्चे की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया ,आज वही बच्चे क्या अस्पताल में जाकर मां की सेवा करना चाह भी रहें हैं या फिर मात्र औपचारिकता (formality) निभा रहे हैं ?ऐसी स्थिति में पुरुषोत्तम सहाय अपने बच्चों से क्या उम्मीद कर रहा है। पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी सेवा ,शेफाली कपूर की आवाज़ में
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
एकाक्षर – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में संकल्प खन्ना और खुर्शीद पति-पत्नी है। संकल्प खन्ना की आयु करीब साठ वर्ष की है ,जो पेशे से एक प्रोफेसर है। उनका दांपत्य जीवन ठीक-ठाक चल रहा होता है। लेकिन जब से संकल्प खन्ना की रूचि सोशल -मीडिया, फेसबुक व्हाट्सएप पर बढ़ने लगी है, खुर्शीद को संकल्प खन्ना के व्यवहार में परिवर्तन महसूस होने लगा है ।ऐसी क्या वजह हो सकती है कि संकल्प खन्ना को अपनी वास्तविक दुनिया से काल्पनिक दुनिया में रहना ज्यादा पसंद आने लगा है? क्या संकल्प खन्ना के जीवन में खुर्शीद के अलावा किसी और ने जगह बना ली है ?या फिर ऐसा भी हो सकता है कि खुर्शीद बेवज़ह ऐसा- वैसा सोच रही है। कुछ भी हो सकता है। पूरी कहानी जानने के लिए सुने ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी एकाक्षर -प्रेम ,जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
“हिंदुस्तानी अफ़सर – “”आप मुझे कोई और बंगला अलॉट कर दीजिए। वहाँ मेरी जान को खतरा है। कोई साया और आवाज़ जैसे मेरा पीछा कर रहे हैं।””
स्टेट अफ़सर – “”तुम्हें किसी बात का भ्रम हुआ होगा। कोई भूत-वूत नहीं होते। मैं इसकी जांच कराता हूँ।””
जांचकर्ता – “”अरे देखो! बाथरूम की खुदाई करने पर एक मानव कंकाल मिला है।””
शिमला के कैथो बंगले पर जो कोई भी रहने जाता, एक साया और एक आवाज़ उसका पीछा करती रहती। बंगले के बाथरूम में जब खुदाई हुई तो एक मानव कंकाल भी मिला। यह सब क्या था? यह कंकाल किसका था? क्या वाकई उस बंगले में किसी आत्मा का साया है? और आखिर वह आत्मा क्या कहना चाह रही है?
इस रहस्यमयी घटना के पीछे की सच्चाई क्या है? जानिए सत्य घटना पर आधारित डिप्टी कमिश्नर किंग के द्वारा लिखी गई कहानी ‘शिमला का बंगला’ में। आज ही सुनें शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।”
“हिंदुस्तानी अफ़सर – “”आप मुझे कोई और बंगला अलॉट कर दीजिए। वहाँ मेरी जान को खतरा है। कोई साया और आवाज़ जैसे मेरा पीछा कर रहे हैं।””
स्टेट अफ़सर – “”तुम्हें किसी बात का भ्रम हुआ होगा। कोई भूत-वूत नहीं होते। मैं इसकी जांच कराता हूँ।””
जांचकर्ता – “”अरे देखो! बाथरूम की खुदाई करने पर एक मानव कंकाल मिला है।””
शिमला के कैथो बंगले पर जो कोई भी रहने जाता, एक साया और एक आवाज़ उसका पीछा करती रहती। बंगले के बाथरूम में जब खुदाई हुई तो एक मानव कंकाल भी मिला। यह सब क्या था? यह कंकाल किसका था? क्या वाकई उस बंगले में किसी आत्मा का साया है? और आखिर वह आत्मा क्या कहना चाह रही है?
इस रहस्यमयी घटना के पीछे की सच्चाई क्या है? जानिए सत्य घटना पर आधारित डिप्टी कमिश्नर किंग के द्वारा लिखी गई कहानी ‘शिमला का बंगला’ में। आज ही सुनें शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।”
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
मोबाइल मोहब्बत- ममता कालिया – शैफाली कपूर
मुग्धा को अपने बचपन से जब से वह सही से बोल भी नहीं पाती थी तब से उसे मोबाइल फोन से जो मोहब्बत हुई ,उसका असर उसके हर एक क्रियाकलाप में देखा जा सकता है किंतु आज तो मुग्धा की शादी नमित के साथ हो रही है। क्या इन दोनों के जीवन की इस नयी शुरुआत करने पर मोबाइल फोन क्या कोई अपना रंग दिखायेगा?कैसी रहेगी विवाह के बाद की उनकी शुरुआत?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी मोबाइल मोहब्बत, शेफाली कपूर की आवाज़ में
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
शास्त्री जी किसी जजमान के यहां से जलपान करके मग्न होकर रास्ते में चले जा रहे होते हैं ,तभी अचानक से एक मोटर गाड़ी छप-छप करती हुई निकलती है और कीचड़ के छींटे उनके मुख और कपड़ों पर पड़ जाते हैं | शास्त्री जी इस बात का प्रतिशोध किस प्रकार मोटर चलाने वाले से लेते हैं? जानने के लिए सुनते हैं सुनते हैं रोचक कहानी मोटर की प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई रोचक कहानी मोटर की छींटे ,सुमन वैद्य जी की आवाज में….
सोनू एक बहुत छोटा बच्चा है| धीरे-धीरे सोनू गुमसुम रहने लगा |क्या कारण था सोनू के गुमसुम होने का जानने के लिए सुनते हैं सुभाष नीरव के द्वारा लिखी गई कहानी वाह मिट्टी, शिवानी आनंद के द्वारा
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
इंसानी मनोवृतियों तथा उसकी अनगिनत मजबूरियों को इस कहानी ‘राजहंस’ के माध्यम से दर्शाया गया है।
मनोहर लाल जब मंत्री बने तो उन्होंने जनता के सामने जिन बातों का वादा किया |क्या वह खुद उन बातों पर अडिग रहे? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सुभाष नीरव के द्वारा लिखी गई कहानी रंग परिवर्तन ,शिवानी आनंद की आवाज में
Reviews for: Darpan (Part -1)