Pramod Tiwari Stories
Samay Badalna Hoga (समय बदलना होगा )
Samay Badalna Hoga (समय बदलना होगा )
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Samay Badalna Hoga (समय बदलना होगा )
Narrator
देश प्रेम की हुंकार तो हम सब भरते हैं, किंतु हम धर्म, जाति मैं इतना बटे हुए हैं कि वास्तव में देश के प्रति अपने फर्ज़ नहीं निभाते | इसी बात पर कटाक्ष करते हुए प्रमोद तिवारी जी की यह कविता “समय बदलना होगा”, सोचने पर मजबूर कर देगी कि वास्तव में देश के प्रति हमारा क्या फर्ज़ है और हम देश के प्रति क्या कर सकते हैं
Chaand tumhe dekha hai (चांद तुम्हें देखा है)
Chaand tumhe dekha hai (चांद तुम्हें देखा है)
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Chaand tumhe dekha hai (चांद तुम्हें देखा है)
Narrator
बादल के घूँघट से बाहर जब भी तू निकला है मैं क्या मेरे साथ समन्दर तक मीलों उछला है आसन पर बैठे जोगी को जोग लगे बेकार|| चांद को देखकर कवि की मन में क्या-क्या भावनाएं आ रही है?अपनी खूबसूरत आवाज में प्रमोद तिवारी जी की प्रस्तुति |चांद तुम्हें देखा है”…
Nadi (नदी)
Nadi (नदी)
Badal (बादल)
Badal (बादल)
Yaad bahut aate hain (याद बहुत आते हैं)
Yaad bahut aate hain (याद बहुत आते हैं)
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Lal Kila Kavi Sammelan (लाल किला कवि सम्मेलन )
Lal Kila Kavi Sammelan (लाल किला कवि सम्मेलन )
8.5
Rahon mein Bhi (राहो में भी)
Rahon mein Bhi (राहो में भी)
9.5
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